घटिया राशन की शिकायत में कोई दम नहींः गृह मंत्रालय

[email protected] । Jan 14 2017 10:42AM

गृह मंत्रालय ने प्रधानमंत्री कार्यालय को एक रिपोर्ट सौंपी है जिसमें कहा गया है कि बीएसएफ जवान की इस शिकायत में कोई दम नहीं है कि जवानों को घटिया राशन दिया जाता है।

गृह मंत्रालय ने सभी अर्धसैनिक बलों को निर्देश दिया है कि जवानों की शिकायतों का तेजी से निवारण सुनिश्चित किया जाए। वहीं मंत्रालय ने प्रधानमंत्री कार्यालय को एक रिपोर्ट सौंपी जिसमें कहा गया है कि बीएसएफ जवान की इस शिकायत में कोई दम नहीं है कि जवानों को घटिया राशन दिया जाता है। गृह मंत्रालय ने बीएसएफ, सीआरपीएफ, सीआईएसएफ, एसएसबी, आईटीबीपी, एनएसजी और असम राइफल्स को भेजे पत्र में कहा है कि किसी जवान की ओर से किसी भी मामले में मिली शिकायत पर स्वतंत्र जांच की जाए और इसे जल्द से जल्द सुलझाने का प्रयास किया जाए।

आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि सातों अर्धसैनिक बलों को कहा गया है कि वे अपने जवानों को मौजूदा शिकायत निवारण प्रणाली के बारे में सूचित करें और यदि कोई शिकायत है तो जवान उसे निःसंकोच दर्ज कराएं। बलों से यह भी कहा गया कि अगर कोई जवान शिकायत करता है तो उसके वरिष्ठ अधिकारियों को उसे परेशान नहीं करना चाहिए। सूत्रों ने कहा कि अर्धसैनिक बलों को ई-पत्रों के माध्यम से जवानों की शिकायतों को लेने को कहा गया है। सातों बलों में से एक ने ई-पत्र के माध्यम से शिकायत प्राप्त करना शुरू कर दिया है, अन्य छह को भी इस प्रक्रिया को अपनाने को कहा गया है।

इस बीच गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उसे एक बीएसएफ जवान की इस शिकायत में कोई दम नहीं नजर आया है कि सीमा पर तैनात सुरक्षाकर्मियों को घटिया राशन दिया जाता है और इस पर जोर दिया कि ‘सुरक्षा बलों में खाने को लेकर कोई व्यापक असंतोष नहीं है।’

मंत्रालय ने रिपोर्ट में पीएमओ को अवगत कराया कि अर्धसैनिक बलों में किसी भी चौकी पर राशन की कोई कमी नहीं है और नियमित गुणवत्ता जांच की जाती है। बीएसएफ के जवान तेज बहादुर यादव के एक वीडियो ने माहौल गर्म कर दिया है जिसमें उसने कहा कि सीमा पर तैनात सुरक्षा बल के जवानों को परोसे जाने वाले खाने की गुणवत्ता अच्छी नहीं होती। इस पर पीएमओ ने विस्तृत तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी थी। सूत्रों के मुताबिक पीएमओ को बताया गया कि गृह मंत्रालय ने सभी अर्धसैनिक बलों को निर्देश दिया है कि जवानों की सभी शिकायतों को गंभीरता से लिया जाए और उनकी कार्य परिस्थितियों और भोजन की गुणवत्ता में सुधार के लिए सुधारात्मक कदम उठाये जाने चाहिए।

इस बीच गृह राज्यमंत्री किरेन रीजीजू ने कहा कि सभी जवानों को सोशल मीडिया पर कुछ भी डालते वक्त सावधानी बरतनी चाहिए। उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘जवानों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते वक्त आगाह रहने को कहा जाएगा ताकि देश की सुरक्षा से समझौता नहीं हो और बलों का मनोबल नहीं प्रभावित हो।’’

उधर उत्तराखंड पुलिस ने अपने जवानों के सोशल मीडिया पर सेवा से जुड़ी कोई शिकायत डालने पर रोक लगा दी है। राज्य पुलिस ने चेतावनी दी है कि अगर पुलिसकर्मियों की डाली गयी कोई सामग्री बल या राज्य और केंद्र सरकारों की नीतियों की छवि को खराब करती है तो दंडात्मक कदम उठाये जाएंगे। देहरादून में पुलिस महानिदेशक एमए गणपति ने राज्य के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को सर्कुलर जारी कर यह सुनिश्चित करने को कहा कि उनके अधीनस्थ पुलिसकर्मियों द्वारा फेसबुक, व्हाट्सएप्प, ट्विटर और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों का इस्तेमाल केवल पेशेवर मकसद से किया जाए।

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