आतंकवाद का कोई राइट या लेफ्ट नहीं होता, आतंकवाद सिर्फ आतंकवाद होता है: अमित शाह

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[email protected] । Jul 15 2019 5:16PM

गृह मंत्री ने इस संदर्भ में सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक जैसे उपायों का उल्लेख किया। शाह ने कहा कि पाकिस्तान को एक दिन दुनिया के दबाव में इस समझौते पर दस्तखत करने होंगे और अगर वह नहीं करता है तो हमारे पास उससे निपटने के तरीके हैं। शाह ने एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी के एक सवाल के जवाब में कहा कि भाजपा की सरकार कानून से चलती है।

नयी दिल्ली। गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि पाकिस्तान ने आतंकवाद पर काबू पाने के लिये दक्षेस देशों के क्षेत्रीय समझौते (सार्क रीजनल कन्वेंशन ऑन सप्रेशन ऑफ टेररिज्म) पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं लेकिन भारत के पास उससे निपटने के लिये ‘‘सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक जैसे अन्य तरीके’ हैं। राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण संशोधन विधेयक 2019 पर लोकसभा में चर्चा के दौरान कुछ सदस्यों द्वारा मांगे गए स्पष्टीकरण पर अमित शाह ने कहा, ‘‘ आतंकवाद का कोई राइट या लेफ्ट नहीं होता। आतंकवाद सिर्फ आतंकवाद होता है। ’’ उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने सार्क रीजनल कन्वेंशन ऑन सप्रेशन ऑफ टेररिज्म पर भी दस्तखत नहीं किये हैं। अगर वह भारत के साथ समझौते पर दस्तखत नहीं करता तो भी हमारे पास उससे निपटने के लिए अनेक तरीके हैं। अगर वह दस्तखत नहीं करेगा तो क्या हम अन्य देशों को इसमें जोड़ने के लिए इंतजार करेंगे।

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गृह मंत्री ने इस संदर्भ में सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक जैसे उपायों का उल्लेख किया।  शाह ने कहा कि पाकिस्तान को एक दिन दुनिया के दबाव में इस समझौते पर दस्तखत करने होंगे और अगर वह नहीं करता है तो हमारे पास उससे निपटने के तरीके हैं। शाह ने एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी के एक सवाल के जवाब में कहा कि भाजपा की सरकार कानून से चलती है। इसमें जांच, अभियोजन और फैसले अलग अलग स्तर पर होते हैं। सरकार इसमें हस्तक्षेप नहीं करती।समझौता एक्सप्रेस मामले में अपील नहीं करने संबंधी ओवैसी की टिप्पणी पर शाह ने कहा कि इस मामले में संप्रग सरकार ने ही रुख बदलकर पहले पकड़े गये आरोपियों को छोड़ दिया और दूसरों को पकड़ लिया। ‘‘ क्या ओवैसी ने कभी संप्रग से यह सवाल पूछा कि आरोपियों को छोड़कर बेगुनाहों को क्यों पकड़ा गया?’’

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जब ओवैसी ने कहा, ‘अब आप सरकार में आएं हैं तो आप यह काम करिए’’, तो गृह मंत्री ने कहा कि वैसे ‘‘आपकी यह इच्छी भी हम पूरी करेंगे।’’चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए अमित शाह ने कहा कि कुछ लोगों ने धर्म का जिक्र किया और एनआईए कानून का दुरूपयोग किये जाने के विषय को भी उठाया। उन्होंने कहा, ‘‘ हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि (प्रधानमंत्री नरेन्द्र) मोदी सरकार की एनआईए कानून का दुरूपयोग करने की न तो कोई इच्छा है और न ही कोई मंशा है और इस कानून का शुद्ध रूप से आतंकवाद को खत्म करने के लिय उपयोग किया जायेगा। ’’ कुछ सदस्यों द्वारा ‘पोटा’ (आतंकवादी गतिविधि रोकथाम अधिनियम) का जिक्र किये जाने के संदर्भ में गृह मंत्री ने कहा, ‘‘ पोटा कानून को वोटबैंक बचाने के लिए भंग (निरस्त) किया गया था। पोटा की मदद से देश को आतंकवाद से बचाया जाता था। इससे आतंकवादियों के अंदर भय था, देश की सीमाओं की रक्षा होती थी। इस कानून को पूर्ववर्ती संप्रग की सरकार ने 2004 में आते ही भंग कर दिया। ’’ उन्होंने कहा कि पोटा को भंग करना उचित नहीं था, यह हमारा आज भी मानना है । पूर्व के सुरक्षा बलों के अधिकारियों का भी यही मानना रहा है। 

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शाह ने कहा कि पोटा को भंग किये जाने के बाद आतंकवाद इतना बढ़ा कि स्थिति काबू में नहीं रही और संप्रग सरकार को ही एनआईए को लाने का फैसला करना पड़ा।  उन्होंने इस संदर्भ में मुम्बई में श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोट और 26:11 आतंकी हमले का भी उदाहरण दिया।  गृह मंत्री ने कहा, ‘‘ आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने वाली किसी एजेंसी को और ताकत देने की बात हो और सदन एक मत न हो, तो इससे आतंकवाद फैलाने वालों का मनोबल बढ़ता है। मैं सभी दलों के लोगों से कहना चाहता हूं कि यह कानून देश में आतंकवाद से निपटने में सुरक्षा एजेंसी को ताकत देगा। ’’ उन्होंने कहा कि यह कानून देश की इस एजेंसी को आतंकवाद के खिलाफ लड़ने की ताकत देगा। यह समझना होगा कि श्रीलंका में हमला हुआ, हमारे लोग मारे गए, बांग्लादेश में हमारे लोग मारे गए । लेकिन देश से बाहर जांच करने का अधिकार एजेंसी को नहीं है। ऐसे में यह संशोधन एजेंसी को ऐसा अधिकार प्रदान करेगा ।अमित शाह ने कांग्रेस नेता मनीष तिवारी के एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘सीबीआई अगर अवैध होती तो सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को ही होता क्योंकि उसने ही सबसे ज्यादा एजेंसी का दुरुपयोग किया है।’’ शाह ने स्पष्ट किया कि विशेष अदालतें केवल आतंकवाद के मामले देखेंगी। उन्होंने कहा कि एक कानूनी प्रक्रिया होने के कारण मामलों में देर होती है। हम इसमें समयसीमा तय नहीं कर सकते। देरी इसलिए होती है क्योंकि कानून में आरोपियों को भी अपना बचाव करने का अधिकार मिला है। यही हमारे कानून की खूबसूरती है। 

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