लद्दाख विवाद पर मोदी और ट्रंप के बीच हाल में कोई संपर्क नहीं हुआ: सरकारी सूत्र

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भारत ने शुक्रवार को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस दावे को खारिज किया कि उन्होंने पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन की सेनाओं के बीच जारी गतिरोध के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की है।

नयी दिल्ली। भारत ने शुक्रवार को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस दावे को खारिज किया कि उन्होंने पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन की सेनाओं के बीच जारी गतिरोध के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की है। शीर्ष सरकारी सूत्रों ने कहा कि विवाद पर दोनों नेताओं के बीच ऐसा कोई संपर्क नहीं हुआ है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी अमेरिका को स्पष्ट संदेश दिया कि चीन के साथ सीमा विवाद में तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सैन्य गतिरोध को सुलझाने के लिए भारत मौजूदा द्विपक्षीय तंत्रों का इस्तेमाल कर रहा है। यह वाशिंगटन को लगातार दूसरे दिन स्पष्ट संदेश है कि सीमा विवाद में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता की पेशकश भारत को स्वीकार्य नहीं है।

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आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने टेलीफोन पर हुई वार्ता के दौरान अमेरिकी रक्षा मंत्री मार्क टी एस्पर को मुद्दे पर भारत की स्थिति से अवगत कराया। भारत और चीन की सेनाओं में तनातनी के बीच ट्रंप ने बुधवार को कहा था कि वह दोनों देशों के बीच मध्यस्थता करने को तैयार हैं। बृहस्पतिवार को उन्होंने यह पेशकश फिर से दोहराई। सूत्रों ने कहा कि हाल में प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच कोई संपर्क नहीं हुआ है। दोनों नेताओं के बीच पिछली बार चार अप्रैल को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा के मुद्दे पर बात हुई थी। उच्च स्तरीय एक सूत्र ने कहा, ‘‘कल विदेश मंत्रालय ने यह स्पष्ट कर दिया था कि हम स्थापित तंत्रों और राजनयिक संपर्कों के जरिए चीन के सीधे संपर्क में हैं।’’ स्पष्टीकरण ट्रंप के वाशिंगटन में यह कहने के कुछ घंटे बाद आया कि उन्होंने मोदी से बात की है और भारतीय प्रधानमंत्री भारत और चीन के बीच ‘‘बड़ी तनातनी’’ पर अच्छे मूड में नहीं हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘मैं आपको बता सकता हूं कि मैंने प्रधानमंत्री मोदी से बात की है। चीन के साथ जो चल रहा है, उसे लेकर वह अच्छे मूड में नहीं हैं।’’

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विदेश मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को असल में ट्रंप की पेशकश को खारिज कर दिया और कहा कि दोनों देश मुद्दे का शांतिपूर्ण समाधान निकालने के लिए सैन्य और राजनयिक स्तर पर बातचीत कर रहे हैं। सैन्य सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी एस्पर को अलग से संदेश दिया कि गतिरोध को सुलझाने के लिए मौजूदा द्विपक्षीय तंत्रों का इस्तेमाल किया जा रहा है। बीजिंग में चीन के विदेश मंत्रालय ने भी ट्रंप की पेशकश को खारिज किया और कहा कि दोनों देश वार्ता के जरिए अपने मतभेदों को उचित रूप से सुलझाने में सक्षम हैं। पूर्वी लद्दाख में पैंगोग त्सो, गलवान घाटी, देमचोक और दौलत बेग ओल्डी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच तीन सप्ताह से गतिरोध जारी है जिसे 2017 में हुए डोकलाम गतिरोध के बाद सबसे बड़ी तनातनी माना जा रहा है।

तनाव तब उत्पन्न हुआ जब चीन ने पैंगोंग त्सो झील के आसपास फिंगर क्षेत्र में भारत द्वारा बनाई जा रही एक महत्वपूर्ण सड़क का कड़ा विरोध किया। इसके साथ ही उसने गलवान घाटी में दारबुक-शयोक-दौलत बेग ओल्डी सड़क का भी विरोध किया। पूर्वी लद्दाख में स्थिति तब बिगड़ गई जब पांच मई की शाम पैंगोंग त्सो में दोनों देशों के लगभग 250 सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई। इसके बाद उत्तरी सिक्किम में भी नौ मई को इसी तरह की घटना हुई। भारत ने जुलाई 2019 में ट्रंप के इस दावे को भी खारिज किया था कि मोदी ने कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए उनकी मदद मांगी है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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