ओबीसी के फायदे के लिए शिवसेना छोड़ने का जोखिम उठाया : छगन भुजबल

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महाराष्ट्र के मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल ने कहा है कि उन्होंने वर्षों पहले शिवसेना छोड़कर अपने राजनीतिक करियर को जोखिम में डाला था, लेकिन उन्होंने ऐसा अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय के लोगों के फायदे के लिए लिया था।

पालघर। महाराष्ट्र के मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल ने कहा है कि उन्होंने वर्षों पहले शिवसेना छोड़कर अपने राजनीतिक करियर को जोखिम में डाला था, लेकिन उन्होंने ऐसा अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय के लोगों के फायदे के लिए लिया था। महाराष्ट्र के एक प्रमुख ओबीसी नेता भुजबल ने शुक्रवार को ओबीसी समाज हक्का संघर्ष समिति द्वारा आयोजित एक बैठक को संबोधित करते हुए यह बयान दिया। स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी समुदाय के लिए राजनीतिक आरक्षण की मांग को लेकर पालघर में हुए विरोध प्रदर्शन के बाद यह बैठक हुई थी।

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उन्होंने कहा, ‘‘पिछले कई वर्षों से मैं ओबीसी समुदाय के लिए काम कर रहा हूं। मैंने अपने राजनीतिक करियर को उनके फायदे के लिए जोखिम में डाला और शिवसेना छोड़ दी थी।’’ महाराष्ट्र के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री ने कहा कि राकांपा प्रमुख शरद पवार ने ओबीसी के अधिकारों की लड़ाई में उनकी बहुत मदद की है। भुजबल ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत शिवसेना से की थी, लेकिन 1991 में वह पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे। बाद में दिग्गज नेता शरद पवार के कांग्रेस से अलग होने और अपनी पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) बनाने के उपरांत भुजबल भी राकांपा में शामिल हो गए थे।

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मौजूदा समय में शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस महाराष्ट्र में महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार का हिस्सा हैं। इस बीच, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे के राज्य सरकार को तीन मई तक मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने के लिए दिये गए अल्टीमेटम पर भुजबल ने कहा कि इस मुद्दे से सावधानी से निपटने की जरूरत है ताकि इससे कानून और व्यवस्था की समस्याएं पैदा न हों।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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