ट्रेन हादसा: जीवित बचे यात्रियों के चेहरों पर खौफ

पुखरायां। इंदौर-पटना एक्सप्रेस ट्रेन हादसे में जीवित बचे यात्रियों के चेहरों पर खौफ अब भी कायम है और उनकी बातों से साफ झलक रहा था कि वे किस प्रकार मौत के मुंह से निकल कर आ रहे हैं। ट्रेन के कुछ डिब्बे हादसे से कम प्रभावित हुए लेकिन उसके अंदर के दृश्य विचलित करने वाले थे। सुबह करीब तीन बजे हादसे के बाद यात्रियों के दहशत में इधर उधर भागने से चादरें, कंबल, तकिए, खाना, सूटकेस, बैग आदि बिखरे हुए थे।
ट्रेन के बाहर 17 साल की एक लड़की अपने भाई को खोजने का प्रयास कर रही थी। दोनों भोपाल में एक तैराकी प्रतिस्पर्धा में भाग लेने के बाद पटना लौट रहे थे। उनके साथ उनकी मां भी थीं। इस दर्दनाक माहौल में कुछ साहसी कहानियां भी सुनने को मिल रही थीं कि किस प्रकार एक बचावकर्मी ने पांच यात्रियों को जिंदा बाहर निकाला। बचाव दल में शामिल शक्ति सिंह ने कहा, ‘‘मैंने एक वृद्ध महिला को बाहर निकाला, उन्हें उस समय तक यह एहसास नहीं था कि उनका एक पैर कट गया है। डिब्बों में हर जगह शव और खून बिखरा हुआ था।
हादसे में जीवित बचे लोगों ने स्थानीय लोगों को धन्यवाद दिया जो सबसे पहले वहां पहुंचे थे। एक बचावकर्मी ने कहा कि जीवित लोगों को निकाल लिया गया है और डिब्बों में सिर्फ शव ही रह गए हैं। उन्होंने कहा कि आधे डिब्बों को साफ कर दिया गया है। बचाव कार्य में बाद में सेना भी शामिल हो गयी थी और उसने अपने 90 जवानों को तैनात किया था। इसके अलावा 50 सदस्यीय एक मेडिकल टीम भी तैनात की थी जिसमें पांच डॉक्टर थे।
सेना के कानपुर स्टेशन कमांडर ब्रिगेडियर बीएम शर्मा ने रविवार को कहा, ‘‘हमारी योजना रात भर काम चालू रखने की है। हमने रोशनी की व्यवस्था की है। हमारी टीमें पहले से ही वहां हैं। वहां रेलवे के क्रेन काम कर रहे हैं लेकिन हमने अभियान में तेजी के लिए आर्म्ड रिकवरी वाहन लगाया है। उन्होंने कहा कि सेना नागरिक प्रशासन तथा एनडीआरएफ सहित सहित एजेंसियों के संपर्क में है और सभी मिलकर काम कर रहे हैं।
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