हवा में लटकी ट्रॉली में फंसे थे दो बच्चे, रेस्क्यू ऑपरेशन हो गया बंद, कमांडो ने रातभर रूक कर डरे-सहमे बच्चों को दिया हौसला
झारखंड के देवघर में रविवार को हुई रोपवे दुर्घटना में डेढ़ हजार फुट की उंचाई पर फंसी केबल कार ट्रॉली संख्या छह में दो छोटे बच्चों को ढांढ़स बंधाने के लिए वायुसेना के एक गरुड़ कमांडो ने स्वेच्छा से पूरी रात उनके साथ गुजारी। उसने मानवता की ऐसी मिसाल कायम की जिसकी चारों ओर प्रशंसा हो रही है।
देवघर। हमारे देश में वीरों की कमी नहीं हैं। जब जब देश में संकट आया है तो देश को संकट से बचाने के लिए भारतीय सेना देवदूत की तरह संकट के सामने खड़ी रही। फिर चाहे दुश्मन देश की तरफ से रची गयी साजिशें हो या प्राकृतिक आपदा से उमड़ा सैलाब, सेना हमेशा देश की रक्षा के लिए तत्पर रही। कठिन से कठिन परिस्थिति में सेना के जवानों ने अपनी जान की परवाह किए बगैर लोगों की मदद की। झारखंड के देवघर में हुई रोपवे दुर्घटना से पूरा देश सहम गया था। 1500 फीट उपर हवा में ट्रोलियां अचानक फंस गयी थी। इसमें कई लोग फंसे हुए थे। सेना को जब इसकी जानकारी दी गयी तब रेस्क्यू ऑपरेशन चला और लोगों की सुरक्षित निकाला गया। रोपवे में लगभग 50 लोग फंसे हुए थे जिसमें से 46 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया और 3 लोगों की मौत हो गयी। ऑपरेशन 3 दिनों तक चला क्योंकि परिस्थितियां काफी कठिन थी। एक चूक से भी कई जिंदगियां खत्म हो सकती थी। ऐसे में सावधानी के साथ लोगों को सुरक्षित निकाला गया। ऑपरेशन के दौरान एक ऐसी घटना सामने आयी जिसे सुनकर देश के जवानों के लिए दिल से सलाम निकलता है। आइये आपको बताते एक ऐसे कमांडो के कारनामे के बारे में जिसकी मानवीयता और जज्बे के आप कायल हो जाएंगे।
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बच्चों को ढांढ़स बंधाने के लिए रातभर ट्रोली में रहा कमांडो
झारखंड के देवघर में रविवार को हुई रोपवे दुर्घटना में डेढ़ हजार फुट की उंचाई पर फंसी केबल कार ट्रॉली संख्या छह में दो छोटे बच्चों को ढांढ़स बंधाने के लिए वायुसेना के एक गरुड़ कमांडो ने स्वेच्छा से पूरी रात उनके साथ गुजारी। उसने मानवता की ऐसी मिसाल कायम की जिसकी चारों ओर प्रशंसा हो रही है। देवघर रोपवे दुर्घटना हुई तो 48 लोग लगभग एक दर्जन केबल करों में डेढ़ हजार से दो हजार फुट की ऊंचाई पर लटक गये और उन्हें बचाने का कोई रास्ता राज्य प्रशासन को नहीं सूझ रहा था। ऐसे में भारत सरकार ने वायुसेना के एमआई 17 हेलीकाप्टर के साथ गरुड़ कमांडो को राहत और बचाव कार्य के लिए त्रिकुट पहाड़ियों पर भेजा।
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रात होने के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन हो गया था बंद
बचाव अभियान के दौरान ट्रॉली संख्या-छह में सोमवार शाम ढलते-ढलते सिर्फ दो छोटे बच्चे बच गये जिन्हें अंधेरा हो जाने के कारण वहां से निकाला नहीं जा सका। ऐसे में तय यह हुआ कि इन बच्चों को मंगलवार की सुबह ट्रॉलियों से बाहर निकाल कर उनके परिजनों को सौंपा जायेगा। उन्हें ट्रॉली से निकालने पहुंचा गरुड़ कमांडो अजीब दुविधा में था।
एक तरफ उसके साथी हेलीकॉप्टर से उसे वापस उपर आने के लिए पुकार रहे थे तो दूसरी तरफ ट्रॉली में बचे दो बच्चे उसकी ओर सहारे की उम्मीद में टकटकी लगाये बैठे थे। इस घटना के गवाह झारखंड पुलिस के अतिरिक्त महानिदेशक आर के मलिक ने बताया कि वायुसेना के उस गरुड़ कमांडो ने अपनी आत्मा की आवाज सुनी और मानवता की नयी मिसाल पेश करते हुए दुर्घटनाग्रस्त रोपवे पर अटकी ट्रॉली संख्या-छह पर दोनों बच्चों का रात का सहारा बनने का फैसला किया और अपनी जान की परवाह न करते हुए हेलीकॉप्टर छोड़कर ट्रॉली में चढ़ गया।
कमांडो ने पूरी रात बच्चों के साथ रहकर उन्हें ढांढ़स बंधाया
मंगलवार को तड़के जब वायुसेना का एमआई 17 हेलीकॉप्टर वापस राहत एवं बचाव कार्य के लिए त्रिकुट पर्वत पहुंचा तो सबसे पहले दोनों बच्चों को बारी-बारी से अपनी गोद में बिठाकर गरुड़ कमांडो ने हेलीकॉप्टर में पहुंचाया जहां से वापस उन्हें सुरक्षित जमीन पर लाकर उतारा गया। वायुसेना ने अपने इस दिलेर गरुड़ कमांडो का नाम तो नही बताया है लेकिन उसकी इस मानवीय पहल की चारों ओर प्रशंसा हो रही है।
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