Jammu-Kashmir की पहचान अब आतंक नहीं बल्कि पर्यटन है, विश्वास नहीं है तो यह रिपोर्ट पढ़िये

Jammu Kashmir Tourism
ANI

जहां तक केंद्रीय गृह मंत्रालय की रिपोर्ट की बात है तो हम आपको बता दें कि उसमें कहा गया है कि कभी आतंकवादियों का स्थल माना जाने वाला जम्मू-कश्मीर अब 'पर्यटकों का स्थल' बन गया है और 2022 में 22 लाख सैलानियों ने केंद्रशासित प्रदेश का दौरा किया।

जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं में कमी भले आई है लेकिन अभी इस केंद्र शासित प्रदेश से आतंकवाद पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है। राजौरी के गांव में हिंदुओं पर हुए आतंकी हमले दर्शाते हैं कि आतंकवाद को जड़ से समाप्त करने के लिए और जोर से लगने की जरूरत है। बहरहाल, इसमें भी कोई दो राय नहीं कि 2022 में आतंकी घटनाओं में उल्लेखनीय कमी रिकॉर्ड की गयी है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की रिपोर्ट की बात करें या जम्मू-कश्मीर पुलिस के आंकड़ों की, दोनों से ही यह बात साबित होती है कि जम्मू-कश्मीर के हालात में बड़ा सुधार आया है।

जहां तक केंद्रीय गृह मंत्रालय की रिपोर्ट की बात है तो हम आपको बता दें कि उसमें कहा गया है कि कभी आतंकवादियों का स्थल माना जाने वाला जम्मू-कश्मीर अब 'पर्यटकों का स्थल' बन गया है और 2022 में 22 लाख सैलानियों ने केंद्रशासित प्रदेश का दौरा किया, जो पिछले सर्वाधिक आंकड़े से लगभग चार गुना अधिक है। मंगलवार को जारी गृह मंत्रालय की 'वर्षांत समीक्षा 2022' के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में 2018 में आतंकी घटनाओं की संख्या जहां 417 थी, वहीं 2021 में यह संख्या घटकर 229 रह गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2018 में शहीद होने वाले सुरक्षाकर्मियों की संख्या 91 थी, लेकिन 2021 में घटकर यह संख्या 42 रह गई। केंद्रीय गृत्र मंत्रालय ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर में अब पथराव की कोई घटना नहीं होती है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार केंद्रशासित प्रदेश में दृढ़ता के साथ विकास के पथ पर आगे बढ़ रही है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 42,000 से अधिक लोग आतंकवाद के शिकार हुए और दिल्ली में किसी ने इस बारे में नहीं सोचा, लेकिन अब मोदी के नेतृत्व में आतंकवाद पर सुरक्षाबलों ने पूरी लगाम कस दी है। गृह मंत्रालय के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं में लगभग 54 प्रतिशत, सुरक्षाकर्मियों की मौतों में 84 प्रतिशत और आतंकवादियों की भर्ती में लगभग 22 प्रतिशत की कमी आई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर के लिए प्रधानमंत्री विकास पैकेज के तहत 80,000 करोड़ रुपये की लागत से पनबिजली से संबंधित करीब 63 परियोजनाओं का निर्माण हुआ है और 4,287 करोड़ रुपये की लागत से किरू परियोजना का कार्य प्रगति पर है।

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उधर, साल 2022 में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की घटनाओं की बात करें तो आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर पुलिस के महानिदेशक दिलबाग सिंह ने जानकारी दी है कि 2022 में 56 पाकिस्तानी नागरिकों सहित कुल 186 आतंकवादी मारे गए और 159 को गिरफ्तार किया गया। उन्होंने दावा किया कि हाल के समय में यह साल सबसे सफल वर्ष रहा। उन्होंने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में कोई भी आतंकवादी गतिविधियां नहीं होने (जीरो टेरर) के लक्ष्य को हासिल करने के लिए पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियां सही दिशा में आगे बढ़ रही हैं। साल 2022 के अंत में पुलिस प्रमुख ने अपने संवाददाता सम्मेलन में जानकारी दी थी कि 146 पाकिस्तान निर्मित आतंकी मॉड्यूल, जिनमें चार से पांच सदस्य शामिल थे, जिन्हें चुनिंदा और लक्षित हत्याओं और ग्रेनेड और आईईडी हमलों को अंजाम देने का काम सौंपा गया था, उनका भी 2022 में भंडाफोड़ किया गया।

उन्होंने कहा कि 2022 में जम्मू-कश्मीर में 100 युवा आतंकवाद में शामिल हुए, जो कई सालों में सबसे कम संख्या है। उन्होंने कहा कि इनमें से ज्यादातर का सफाया कर दिया गया, जबकि सुरक्षा बल सक्रिय आतंकवादियों की संख्या को दो अंकों के आंकड़े तक लाने के लिए काम कर रहे हैं जो वर्तमान में 100 से थोड़ा अधिक है। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने 2022 में घाटी में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने में ‘‘100 प्रतिशत सफलता’’ हासिल की, लेकिन पाकिस्तान प्रायोजित ऑनलाइन आतंकवाद अब एक चुनौती है। डीजीपी दिलबाग सिंह ने यह भी कहा कि आतंकवादी ‘‘भय’’ बरकरार रखने के लिए जम्मू और कश्मीर में अल्पसंख्यक समुदाय के कर्मचारियों और अन्य लोगों को धमकी दे रहे हैं लेकिन ‘‘हमें इस तरह के कृत्यों से डरना नहीं चाहिए।’’

दिलबाग सिंह ने कहा कि पुलिस और केंद्रीय सशस्त्र अर्धसैनिक बलों के हताहतों की संख्या में भी 2022 में कमी दर्ज की गई, जिसमें 14 पुलिसकर्मी और 17 सीएपीएफ कर्मी आतंकी हमलों में शहीद हो गये। उन्होंने कहा कि वर्ष के दौरान नागरिक हताहतों की संख्या में भी कमी आई और केवल 24 मामूली कानून व्यवस्था की घटनाएं हुईं। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है कि यह संख्या शून्य हो जाए। उन्होंने कहा कि सीमा पार से शांति भंग करने की साजिशें जारी हैं लेकिन ‘‘हम यह सुनिश्चित करने में सफल रहे हैं कि स्थानीय युवाओं को हिंसा के रास्ते पर नहीं जाने दिया जाए।’’ उन्होंने कहा कि पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों ने भटके हुए युवाओं को वापस लाने और उन्हें उनके परिवारों से मिलाने के लिए कड़े प्रयास किए।

खेल गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए, पुलिस प्रमुख दिलबाग सिंह ने बांदीपोरा, गांदरबल और श्रीनगर में रात्रि क्रिकेट टूर्नामेंट शुरू होने पर संतोष व्यक्त किया। दिलबाग सिंह ने कहा, ‘‘इस तरह की गतिविधियां (रात का क्रिकेट) पहले नहीं देखी गई थीं। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि हाल के वर्षों में आधिकारिक तंत्र में लोगों का भरोसा और विश्वास कई गुना बढ़ा है। मुझे यकीन है कि आतंकवाद जल्द ही खत्म हो जाएगा।’’

वहीं, कश्मीर क्षेत्र के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) विजय कुमार ने कई सिलसिलेवार ट्वीट कर बताया कि 24 से अधिक लड़कों को मुख्यधारा में वापस लाया गया है। उन्होंने कहा कि कोई हड़ताल, सड़क पर हिंसा, इंटरनेट बंद, पथराव की घटनाएं साल 2022 में नहीं हुईं और इससे समाज के सभी वर्गों को लाभ हुआ। उन्होंने कहा, ‘‘(कानून और व्यवस्था) के मोर्चे पर हमने शांति और स्थिरता के मामले में 100 प्रतिशत सफलता हासिल की है। वर्ष 2016 में कानून और व्यवस्था की समस्या के 2897 मामले सामने आये थे और 2022 में 26 मामूली मामले सामने आये। पिछले तीन से अधिक वर्षों में इन घटनाओं से निपटने के दौरान किसी भी नागरिक की जान नहीं गई।’’ उन्होंने कहा कि सुरक्षा बलों ने साल 2022 में आतंकवाद विरोधी अभियानों के मोर्चे पर बड़ी उपलब्धि हासिल की है। उन्होंने जानकारी दी कि साल 2022 में आतंकवाद से जुड़े 49 मामलों में संपत्तियां कुर्क की गईं।

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