यूपी के राजनेता वोट पाने के लिए जाति-धर्म पर निर्भर, प्रदर्शन पर नहीं : प्रियंका गांधी

Priyanka Gandhi

कांग्रेस महासचिव ने कहा कि यूपी का औसत राजनेता मानता है कि उसे वैसे भी धर्म और जाति के आधार पर वोट मिल जाएंगे, ऐसे में उसे दूसरे मोर्चों पर प्रदर्श करने की जरूरत ही क्या है? वह जनता से जुड़े असल मुद्दों को आसानी से दरकिनार कर सकता है। यह लोकतंत्र में विकसित हो रही बहुत ही अस्वस्थ प्रवृत्ति है।

लखनऊ। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में जाति और धर्म पर ज्यादा जोर होने से राजनेता बेफिक्र हो गए हैं और वे असल मुद्दों को दरकिनार कर रहे हैं। प्रियंका ने माना कि यूपी में पिछले कुछ दशकों में कांग्रेस संगठन कमजोर हुआ है, लेकिन पार्टी ने इसे दोबारा खड़ा करने और जनता के साथ फिर से जुड़ने के लिए कड़ी मेहनत की है। 1989 से उत्तर प्रदेश की राजनीति में जाति और धर्म के वर्चस्व से जुड़े एक सवाल पर प्रियंका ने कहा, “यह सही है कि यूपी की राजनीति जाति और धर्म पर केंद्रित हो गई है, लेकिन हकीकत यह है कि इस तरह की राजनीति ने राज्य के विकास में कोई योगदान नहीं दिया है। इसने न केवल राज्य को पीछे धकेला है, बल्कि राजनीतिक वर्ग को बेफिक्र भी बनाया है।” कांग्रेस महासचिव ने कहा, “यूपी का औसत राजनेता मानता है कि उसे वैसे भी धर्म और जाति के आधार पर वोट मिल जाएंगे, ऐसे में उसे दूसरे मोर्चों पर प्रदर्श करने की जरूरत ही क्या है? वह जनता से जुड़े असल मुद्दों को आसानी से दरकिनार कर सकता है। यह लोकतंत्र में विकसित हो रही बहुत ही अस्वस्थ प्रवृत्ति है।” प्रियंका ने उन्हें भेजे गए सवालों के लिखित जवाब में कहा, “इसका यह मतलब है कि विकास, सुशासन और अर्थव्यवस्था जैसे मुद्दे पीछे छूट जाते हैं, क्योंकि जाति और धर्म से जुड़ी भावनाएं राजनीति पर हावी हैं।” उन्होंने कहा, “कांग्रेस अकेली पार्टी है, जिसने महिलाओं, युवाओं और यूपी के सामाजिक और राजनीतिक उत्थान से जुड़े हर पहलू के लिए एक सुनियोजित योजना तैयार की है और इसे अपने घोषणापत्र में पेश किया है। हमारा मानना ​​है कि राजनेताओं को शासन और विकास के प्रति जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए और हम इस संदेश को पूरे राज्य में फैला रहे हैं।” 

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यह पूछे जाने पर कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का कैडर कितना मजबूत है, क्योंकि पार्टी पिछले 33 वर्षों से राज्य की सत्ता में नहीं है, प्रियंका ने कहा, “पिछले कुछ दशकों में यूपी में हमारा संगठन लगातार कमजोर होता गया। गठबंधनों के कारण पिछले कई चुनावों में हमने 200 से 300 सीटों पर प्रत्याशी भी नहीं उतारे।” उन्होंने कहा, “जब मैं पहली बार यहां आई थी तो मैंने देखा कि हमारा कैडर लगभग पूरी तरह से खत्म हो चुका था। हालांकि, कुछ पुराने कांग्रेसी और महिलाएं इसके बावजूद मजबूती से खड़े थे।” प्रियंका ने जोर देकर कहा कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में 400 सीटों पर उम्मीदवार उतारने से नया नेतृत्व खड़ा होगा और कांग्रेस भी मजबूत बनेगी। कांग्रेस महासचिव ने कहा, “हमने अपनी पार्टी को दोबारा खड़ा करने के लिए बहुत मेहनत की है। हमने कार्यक्रमों के तौर-तरीकों को बदल दिया है, ताकि वे हमारे कैडर को जनता के साथ दोबारा जोड़ सकें और सिर्फ पार्टी केंद्रित न रहें। हमने 1,00,000 से अधिक कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया है और राज्यभर में न्याय पंचायत और ग्राम स्तर तक संगठन का निर्माण किया है।” पार्टी को मजबूत बनाने के लिए उनके द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में विस्तार से बताते हुए प्रिंयका ने कहा, “हमने यह सुनिश्चित किया कि पिछले कुछ वर्षों में जनता को जब भी समस्याओं का सामना करना पड़ा, तब हमारी पार्टी के कार्यकर्ता मदद के लिए सबसे पहले आगे आए और उनके अधिकारों के लिए लड़े। बावजूद इसके संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत करने के मामले में अभी हमें लंबा रास्ता तय करना है।” उन्होंने कहा, “विकास हमारे राजनीतिक एजेंडे में सबसे ऊपर है। हम महिलाओं और युवाओं से अपील कर रहे हैं कि वे जाति और धर्म की राजनीति को ऐसी राजनीति से बदलें, जो जनता की जरूरतों के अनुरूप हो।” 

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कांग्रेस के इन आरोपों पर कि भाजपा विकास के मुद्दे से हट रही है और केवल आतंकवाद और माफियाओं पर ध्यान केंद्रित कर रही है, प्रियंका ने कहा, “मैं इसे बेहद शर्म की बात मानती हूं कि लोग इतनी बड़ी समस्याओं का सामना कर रहे हैं, वे गुजर-बसर करने में असमर्थ हैं, दैनिक आधार पर संघर्ष कर रहे हैं, बावजूद इसके भाजपा नेता ऐसी चीजों में अपना समय बिता रहे हैं।” उन्होंने कहा, “ध्रुवीकरण आखिर है क्या? यह एक खुला राजनीतिक औजार है, जो राजनीतिक दलों को हर मोर्चे पर कमजोर प्रदर्शन करने की छूट देता है।” कांग्रेस महासचिव ने चुनावी नतीजों से परे उत्तर प्रदेश के लोगों के अधिकारों के लिए लड़ाई जारी रखने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा, “मैं यहां यूपी के लोगों के लिए काम करूंगी और उनके हक के लिए लड़ूंगी, फिर चाहे चुनाव के नतीजे कुछ भी हों। मैं उनके प्रति अपनी जिम्मेदारी से वाकिफ हूं और मैं इसे दिल की गहराई से महसूस करती हूं।” प्रियंका ने कहा, “यूपी में इतना सामर्थ्य, इतना कौशल और इतनी क्षमता है, लेकिन इसके लोगों को उनके अधिकारों से बार-बार वंचित किया जा रहा है। वे वास्तव में ऐसी राजनीति के हकदार हैं, जो उनकी जरूरतों और आकांक्षाओं को सबसे ऊपर रखती है। मैं इसे संभव बनाने के लिए बहुत मेहनत करूंगी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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