UP RERA ई-अदालतों में मामलों के तीव्र निस्तारण के लिए कृत्रिम मेधा का इस्तेमाल करेगा

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तेजी से बढ़ते भू-सम्पदा क्षेत्र को विनियमित करने, पारदर्शिता लाने, घर खरीददारों के हितों की रक्षा करने तथा ग्राहकों एवं बिल्डर के बीच विवादों का शीघ्र निस्तारण करने के मकसद से 2017 में यूपी रेरा स्थापित किया गया था।

उत्तर प्रदेश भू-सम्पदा विनियामक प्राधिकरण (यूपी रेरा) ने मंगलवार को कहा कि उसने ई-अदालतों की अर्ध-न्यायिक प्रक्रिया में कृत्रिम मेधा के इस्तेमाल के लिए अभिरुचि पत्र आमंत्रित किए हैं। इसने एक बयान में कहा कि कृत्रिम मेधा (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) के इस्तेमाल के तहत शिकायत दर्ज करने, मामलों की छंटनी या उनके बीच प्राथमिकताएं तय करने, अधिसूचना या मामलों पर नजर रखने के स्तर पर हस्तक्षेप शामिल है। तेजी से बढ़ते भू-सम्पदा क्षेत्र को विनियमित करने, पारदर्शिता लाने, घर खरीददारों के हितों की रक्षा करने तथा ग्राहकों एवं बिल्डर के बीच विवादों का शीघ्र निस्तारण करने के मकसद से 2017 में यूपी रेरा स्थापित किया गया था।

बयान में कहा गया, ‘‘ यूपी रेरा त्वरित अर्ध-न्यायिक तंत्र- स्मार्ट अदालत का डिजाइन को तैयार करने, इसे विकसित करने एवं इसे लागू करने के लिए कृत्रिम मेधा, मशीन लर्निंग और ‘नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग’ जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल करने की इच्छा रखता है ताकि प्राधिकरण शिकायतों का कुशल, निष्पक्ष, व्याख्या योग्य एवं तीव्र निस्तारण कर सके।’’ इसने कहा, ‘‘ कोविड-19 महामारी के बाद वर्चुअल अदालतों की रचना के साथ ई-अदालतों के डिजिटलकरण में तेजी आई, ऑनलाइन विवाद निस्तारण प्रणाली अपनाई जाने लगी। ऐसे में एआई ऑनलाइन मंच एवं प्रणाली की क्षमता को बढ़ाने एवं उसे रणनीतिक बनाने में अहम प्रौद्योगिकी होगी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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