पुष्कर सिंह धामी के शपथ ग्रहण में शामिल हुईं वसुंधरा राजे, क्या हैं इसके सियासी मायने?
पार्टी के उत्तराखंड के चुनावी कैंपेन से राजे ने भले ही दूरी बनाई हो लेकिन धामी के शपथ ग्रहण समारोह में वह केंद्रीय मंत्रिमंडल के अहम सदस्यों, और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ शामिल हुई।
पांच राज्यों में हुए चुनाव में से चार राज्यों में मिली जीत के बाद भाजपा के हौसले बुलंदी पर हैं। भाजपा की इस जीत से उन राज्यों में भी खुशी की लहर है जहां आने वाले साल में चुनाव होने हैं। इनमें से एक राजस्थान भी है। जहां साल 2023 में चुनाव होने हैं, और इस विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और बीजेपी अपनी अपनी तैयारियों में जुटी हुई हैं। राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए एक बार फिर सक्रिय नजर आने लगी हैं। ऐसे में सियासी गलियारों में अब यह भी शोर सुनाई देने लगा है कि वह बीजेपी की ओर से एक बार फिर मुख्यमंत्री की दावेदारी पेश कर सकती है।
अचानक धामी के शपथ ग्रहण में राज्य के पहुंचने से सियासी अटकलों को मिला बल
वसुंधरा राजे अचानक पुष्कर सिंह धामी के शपथ ग्रहण में पहुंची। उनके यहां पहुंचने के बाद से ही सियासी गलियारों में लगातार चर्चा बनी हुई है। सियासी जानकार इसके मायने निकाल रहे हैं।
इसलिए की जा रही है चर्चा
सियासी जानकारों का मानना है कि राजे के धामी के शपथ ग्रहण में पहुंचने पर इसलिए भी चर्चा हो रही है, क्योंकि राजे केंद्र के संगठन में बड़े पद पर आसीन हैं। वसुंधरा राजे पार्टी के उपाध्यक्ष हैं, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने पार्टी के उत्तराखंड के चुनावी कैंपैन से दूरी बनाई थी। इसका एक कारण यह भी बताया जा रहा है कि उनकी पंजाब उत्तराखंड के प्रभारी दुष्यंत गौतम से नाराजगी है। पार्टी के उत्तराखंड के चुनावी कैंपेन से राजे ने भले ही दूरी बनाई हो लेकिन धामी के शपथ ग्रहण समारोह में वह केंद्रीय मंत्रिमंडल के अहम सदस्यों, और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ शामिल हुई।
राजस्थान पतह करना चाहती है बीजेपी
आपको बता दें साल 2023 के आखिरी तक राजस्थान में चुनाव होने हैं। इस चुनाव में भाजपा का काफी कुछ दांव पर लगा होगा, बीजेपी ने 2019 में राजस्थान 25 सीटें जीती हैं। पार्टी हर हाल में चाहेगी कि उसे राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनाव में जीत मिले। लेकिन पार्टी राजस्थान में चल रही गुटबाजी से परेशान है और उसे खत्म करना चाहती है, और इसलिए केंद्रीय संगठन सभी नेताओं के साथ समन्वय बनाने की कोशिशों में लग गया है।
राजनीतिक जानकारों का ऐसा मानना है राजे को कमजोर करने के लिए पार्टी संगठन ने प्रदेश में सतीश पूनिया के रूप में एक दूसरा धड़ा भी खड़ा किया हुआ है। इतना ही नहीं पार्टी की ओर से कई ऐसे नेताओं को दोबारा पार्टी में शामिल किया गया है, जिससे वसुंधरा राजे कमजोर हों। राजे इस बात को लेकर केंद्रीय नेतृत्व के सामने अपनी नाराजगी भी जता चुकी हैं, लेकिन अब जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है तो वसुंधरा राजे और केंद्रीय संगठन दोनों ही आपस के मुद्दे सुलझाना चाहते हैं, ताकि राजस्थान में बीजेपी की सरकार बन सके।
अन्य न्यूज़