मुख्यमंत्री का चेहरा होने के कारण कांग्रेस मान रही है खुद को मजबूत

Virbhadra Singh says Have chosen Arki as it has not been won by Congress in past 4 years

हिमाचल प्रदेश में मतदाताओं द्वारा किसी एक पार्टी की सरकार को सत्ता में वापस नहीं आने देने के चलन और सत्ता विरोधी लहर भले ही कांग्रेस के लिए कुछ परेशानी का सबब हो किंतु पार्टी नेताओं का दावा है कि उनके पास वीरभद्र सिंह के रूप में मुख्यमंत्री का चेहरा होने के कारण भाजपा के मुकाबले उसकी स्थिति बेहतर रहेगी।

नयी दिल्ली। हिमाचल प्रदेश में मतदाताओं द्वारा किसी एक पार्टी की सरकार को सत्ता में वापस नहीं आने देने के चलन और सत्ता विरोधी लहर भले ही कांग्रेस के लिए कुछ परेशानी का सबब हो किंतु पार्टी नेताओं का दावा है कि उनके पास वीरभद्र सिंह के रूप में मुख्यमंत्री का चेहरा होने के कारण भाजपा के मुकाबले उसकी स्थिति बेहतर रहेगी। हिमाचल प्रदेश विधानसभा के लिए नौ नवंबर को मतदान होगा। राज्य की 68 विधानसभा सीटों के लिए भाजपा एवं कांग्रेस ने गत 18 अक्तूबर को अपनी सूची जारी की थी। इसमें जहां भाजपा ने अपने सभी 68 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है वहीं कांग्रेस की पहली सूची में मात्र 59 उम्मीदवारों के नाम घोषित किये गये। इससे इन अटकलों को हवा मिली है कि कांग्रेस में पार्टी टिकट को लेकर अभी तक आम सहमति नहीं बनी है और राज्य नेताओं के बीच आपसी खींचतान जारी है।

हिमाचल कांग्रेस में नेताओं के बीच आपसी खींचतान के बारे में पूछे जाने पर प्रदेश कांग्रेस समिति के प्रमुख सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भाषा से कहा, ‘‘ हर संगठन में जब भी कुछ परिवर्तन होता है तो कुछ लोग उसे पसंद करते हैं और कुछ लोगों को वह रास नहीं आता। विरोध होना स्वाभाविक है। किन्तु विरोध के बावजूद हम एकजुट होकर साथ चलते हैं।’’ पार्टी के राज्य संगठन में शीर्ष स्तर पर खींचतान की बात तब भी सामने आयी जब राज्य प्रचार समिति का प्रमुख बनाने की घोषणा की गयी। कांग्रेस के केन्द्रीय नेतृत्व की ओर से पहले सुक्खू को इस समिति का अध्यक्ष बनाया गया। किन्तु उसके कुछ बाद ही निवर्तमान मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को इस समिति का अध्यक्ष बनाया गया। चुनाव में सत्ता विरोधी असर के बारे में पूछे जाने पर सुक्खू ने कहा, ‘‘हमारा संगठन इतना मजबूत है कि वह सत्ता विरोधी कारकों से निबट सकता है। साथ ही इस बार पार्टी ने जिन भी लोगों को टिकट दिये हैं, उनकी संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए उन्हें यह मौका दिया गया है। इसके कारण हम सत्ता विरोधी लहर से मुकाबला करने में काफी हद तक सफल रहेंगे।’’

यह पूछे जाने पर कि क्या पार्टी के पास मुख्यमंत्री का चेहरा होने के कारण उसे लाभ मिलेगा, सुक्खू ने कहा, ‘‘निश्चित तौर पर हमारे पास मुख्यमंत्री चेहरा होने का हमें लाभ मिलेगा।’’ उन्होंने कहा कि विपक्षी भाजपा भ्रमजाल में फंसी है इसलिए उसने मुख्यमंत्री का कोई चेहरा घोषित किया नहीं है। साथ ही वे पूर्व मुख्यमंत्री प्रेमकुमार धूमल को नेता ही नहीं मानते। उनके नेतृत्व के पास मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने की क्षमता ही नहीं है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा चुनाव प्रचार के मामले में हिमाचल प्रदेश की तुलना में गुजरात पर अधिक जोर दिये जाने के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘‘यह कहना बिल्कुल गलत है।

राहुल गांधी हिमाचल प्रदेश के चुनाव में सक्रियता के साथ पूरी रूचि दिखा रहे हैं। वह हमसे रोज रिपोर्ट मांगते हैं। टिकट वितरण के मामले में भी उन्होंने सभी पक्षों की बात सुनी। साथ ही वह सभी को साथ लेकर चलने में विश्वास करते हैं।’’ हिमाचल प्रदेश से कांग्रेस की राज्यसभा सदस्य विप्लव ठाकुर ने इसी प्रश्न के उत्तर में कहा, ‘‘ कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल हिमाचल पर पूरा ध्यान दे रहे हैं। अभी राहुल जी मंडी होकर गये हैं। इससे पहले वह धर्मशाला आये थे। उनके चुनाव के समय भी कई दौरे होंगे।

विप्लव ठाकुर ने दावा किया कि राज्य के लोग भाजपा से असंतुष्ट हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी बढ़ती बेरोजगारी, महंगाई तथा सीमा की रक्षा में लगे भारतीय सुरक्षाबलों में शामिल राज्य के लोगों के बड़ी संख्या में शहीद होने को चुनावी मुद्दा बनायेगी। विप्लव ने आरोप लगाया कि केन्द्र की सत्तारूढ़ पार्टी ने लोकसभा चुनाव से पहले बड़े बड़े वादे किये थे। किन्तु उनमें से एक भी पूरा नहीं हुआ। ऊपर से जीएसटी एवं नोटबंदी के कारण लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि वह इस बार राज्य की डेरा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रही है। डेरा में केन्द्रीय विश्वविद्यालय एक बड़ा मुद्दा है। पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने इसके लिए घोषणा की थी। भूमि की व्यवस्था हो गयी थी। पर्यावरण एवं वन संबंधी मंजूरी भी मिल गयी थी। किन्तु वर्तमान केन्द्र सरकार ने कुछ भी नहीं किया।विप्लव दावा करती है कि उनकी पार्टी को इस चुनाव में सत्ता विरोधी लहर का सामना नहीं करना पड़ेगा क्योंकि वीरभद्र सिंह सरकार ने राज्य में विकास के कई काम करवाए है।

विप्लव ने कहा कि कांग्रेस के पास मुख्यमंत्री का चेहरा होने से उसे अवश्य लाभ मिलेगा। जब लोगों को यह ही नहीं मालूम होगा कि उनका नेतृत्व कौन करेगा तो वह किस पर भरोसा करेंगे। दूसरी तरफ हमारे पास एक चेहरा है जिसने अपने को विकास एवं प्रशासन के मामले में साबित किया है। विश्लेषकों के अनुसार निवर्तमान मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह एवं उनके परिजनों पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण कांग्रेस के लिए यह विधानसभा चुनाव कड़े मुकाबले वाला साबित होगा। इसी को ध्यान में रखते हुए पार्टी ने अपने प्रचार अभियान को नाम दिया है, ‘‘जवाब देगा हिमाचल’’। इस पहाड़ी राज्य के हाल-फिलहाल के चुनावी इतिहास पर यदि दृष्टि डालें तो पता चलता है कि अधिकतर सीटों पर दो प्रमुख राष्ट्रीय दलों ....कांग्रेस एवं भाजपा के बीच ही सीधा मुकाबला होता है।

वर्तमान विधानसभा में कांग्रेस के 36, भाजपा के 26 तथा छह अन्य विधायक हैं। हिमाचल के मतदाता एक पार्टी की सरकार को लगातार दो बार सत्ता में आने का मौका देना प्राय: पसंद नहीं करते हैं। वर्तमान में जहां कांग्रेस की सरकार है, वहीं 2007 में भाजपा, 2003 में कांग्रेस और 1998 में भाजपा की सरकार थी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़