हमें अपनी पुरानी प्रतिष्ठा फिर से पाने के लिए शिक्षण संस्थानों को विश्वस्तरीय बनाना होगा: नायडू
उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हम तेजी से बदलते तकनीकी युग में जी रहे हैं। हमें अपने विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों को आधुनिक सन्दर्भों के साथ प्रासंगिक बनाना चाहिए। उच्च शिक्षा को नए अवसरों से जोड़ा जाना चाहिए।’’
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)| उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि हमें अपनी पुरानी प्रतिष्ठा फिर से अर्जित करने के लिए शिक्षण संस्थाओं को विश्वस्तरीय बनाना होगा तथा नए शोध और नवाचार गतिविधियों को बढ़ाना होगा।
नायडू ने बृहस्पतिवार को बिलासपुर स्थित अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। पूर्व में रिकॉर्ड किए गए वीडियो संदेश में उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश का भविष्य युवाओं के सपनों और आशाओं से गढ़ा जाएगा।
देश की 65 प्रतिशत से अधिक आबादी 35 साल से कम उम्र के युवाओं की है। दीक्षांत के बाद संस्थान के प्रतिभाशाली युवा अपनी रूचि के क्षेत्रों में अपना और विश्वविद्यालय का नाम रोशन करेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘हम अपनी प्राचीन समृद्ध ज्ञान और परम्परा को भूल गए हैं। हमें अपनी पुरानी प्रतिष्ठा फिर से अर्जित करने के लिए शिक्षण संस्थानों को विश्वस्तरीय बनाना होगा। नए शोध और नवाचार गतिविधियों को बढ़ाना होगा।’’
उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हम तेजी से बदलते तकनीकी युग में जी रहे हैं। हमें अपने विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों को आधुनिक सन्दर्भों के साथ प्रासंगिक बनाना चाहिए। उच्च शिक्षा को नए अवसरों से जोड़ा जाना चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के प्रत्येक जनजातीय समुदाय का समृद्ध सांस्कृतिक और मानवशास्त्रीय इतिहास है। उन्होंने विश्वविद्यालय से अपेक्षा की कि वे छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति, लोक परम्पराओं, लोक कलाओं तथा उनके साहित्य पर शोध करेंगे और उसे प्रकाश में लाएंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राज्यपाल और कुलाधिपति अनुसुईया उइके ने कहा, ‘‘विद्यार्थी जीवन सम्पूर्ण जीवनकाल का महत्वपूर्ण समय होता है। अच्छे और बुरे का बोध हमें इसी समय होता है।
मानवीय मूल्यों, संस्कारों और रचनात्मक क्षमता का विकास इसी दौरान होता है। कड़ी मेहनत से जीवन को दिशा मिलती है।’’
उइके ने आह्वान किया कि विद्यार्थी अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित करें और इसे प्राप्त करने के लिये निरंतर प्रयास करें। एक दिन जरूर कामयाबी मिलेगी। उन्होंने कहा, ‘‘आज मेडल प्राप्त 162 विद्यार्थियों में 117 महिलाएं हैं। यह समाज के लिए गौरव का विषय है।
महिला सशक्तिकरण का उदहारण भी है। केवल कागज की डिग्री प्राप्त कर लेना महत्वपूर्ण नहीं हैं, हमें संवेदनशीलता और मानवीय संवेदनाओं के साथ गरीबों एवं जरूरतमंद लोगों की सेवा के लिए तत्पर रहना चाहिए।’’ इस दौरान राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल ने भी समारोह को संबोधित किया और कहा कि विश्वविद्यालय ने छत्तीसगढ़ी में नोट शीट लिखने की शुरुआत कर अच्छी पहल की है।
समारोह में 117 मेधावी छात्राओं समेत कुल 162 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक और उपाधियों से अलंकृत किया गया। समारोह में वर्ष 2018-19, वर्ष 2019-20 और वर्ष 2020-21 में उत्तीर्ण करीब एक लाख 70 हजार विद्यार्थियों को उनकी अनुपस्थिति में डिग्रियां प्रदान की गईं।
इस दौरान विश्वविद्यालय ने उच्च शिक्षा के विकास और प्रबंधन में महत्वपूर्ण कार्य के लिए राजनितिज्ञों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और शिक्षाविदों समेत आठ लोगों को मानद उपाधि से विभूषित किया।
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