Jaago Nagrik Jaago | शादी को लेकर क्या कहता है Shariyat और Hindu Law, समझें Expert से

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ANI
अंकित सिंह । May 15 2023 2:36PM

अगर लड़का लड़की दोनों हिंदू हैं तो उनकी शादी हिंदू मैरिज एक्ट के तहत होगी। अगर लड़का-लड़की दोनों किताबिया हैं तो यहां शरीयत लॉ काम करेगी। क्रिश्चियन के लिए भी शादी के तौर तरीके अलग हैं।

हर इंसान के जीवन में शादी बेहद महत्वपूर्ण होती है। हर कोई अपनी पसंद की लड़की या लड़के से शादी करना चाहता है। लेकिन कई बार शादियों के बीच धर्म अड़ंगा बन जाता है। ऐसे में हमने जानी-मानी कानून विशेषज्ञ आकांक्षा सिंह से यह जानने की कोशिश की कि कानून के मुताबिक देश में हर व्यक्ति इस तरह से शादी कैसे कर सकता है? शादियों के बाद आने वाली विरासत की चुनौती से भी कैसे निपटा जा सकता है? इसको लेकर भी आकांक्षा सिंह ने जवाब दिया है। साथ ही साथ आकांक्षा सिंह ने ट्रिपल तलाक को लेकर बने कानून के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी है। 

शादी को लेकर क्या कहता है भारतीय कानून?

भारत में अलग-अलग राज्य हैं, अलग-अलग तरह के परंपराएं हैं। ऐसे में भारतीय कानून में शादी को लेकर पर्सनल लॉ है। इसमें हिंदू मैरिज एक्ट है, मुस्लिम के लिए शरीयत है। इसके साथ ही एक स्पेशल मैरिज एक्ट है। शादी-ब्याह के साथ-साथ विरासत को लेकर चीजें पर्सनल लॉ के तहत इंडिया में रेगुलेट की जाती हैं। 

कानूनन शादियां कितनी प्रकार की हैं?

अगर लड़का लड़की दोनों हिंदू हैं तो उनकी शादी हिंदू मैरिज एक्ट के तहत होगी। अगर लड़का-लड़की दोनों किताबिया हैं तो यहां शरीयत लॉ काम करेगी। क्रिश्चियन के लिए भी शादी के तौर तरीके अलग हैं। अंतर धर्म विवाह में विवाह को लेकर स्पेशल मैरिज एक्ट बना है। यहां दो धर्म के लोग अगर आपस में शादी करना चाहते हैं तो इस कानून के तहत विवाह कर सकते हैं। यहां आपके धर्म से कोई फर्क नहीं पड़ता है। आप कानून शादी कोर्ट की जगह कर सकते हैं। कानूनी मैरिज सर्टिफिकेट जरूरी है या नहीं, इसके जवाब में आकांक्षा दुबे ने कहा कि यह जरूरी नहीं है। लेकिन इसे बनवाने से भविष्य में कई फायदे हो सकते हैं।

क्या धर्म परिवर्तन और नाम बदलना जरूरी है?

नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। आप चाहे किसी भी परंपरा के तहत शादी करें। ऐसा जरूरी नहीं होता है। लेकिन कई बार पारिवारिक दृष्टिकोण से लोगों को लगता है कि आगे विरासत को लेकर कोई दिक्कत ना हो ऐसे में नाम बदले जाते हैं। लेकिन यह अगर जबरदस्ती होता है तो ठीक नहीं है। शरीयत शादी के तहत नाम बनवाए जाते हैं लेकिन आप चाहे तो उसका इस्तेमाल करें या ना करें। अगर लड़का-लड़की दोनों इस्लाम धर्म को अपना कर शादी करना चाहते हैं तो वे शरीयत के तहत आएंगे। 

तलाक से संबंधित कानून क्या है?

पहले मुसलमानों में तीन तलाक कहने पर शादी टूट जाती थी। लेकिन फिलहाल पार्लियामेंट और सुप्रीम कोर्ट ने इस पर पाबंदी लगा रखी है। महिला सशक्तिकरण को लेकर इससे बड़ा कदम कहा जा सकता है। मुसलमानों में इसको लेकर तरह-तरह के अपने नियम हैं। मुसलमानों में शादी टूटने के बाद औरत को लेकर कई तरह के नियम है। 


विरासत के नियम क्या होंगे?

शरीयत में यह काफी टिपिकल रूप में दिखाया गया है। आप जिस घर में रहते हैं और उस घर में आपको स्वीकार किया गया है तो परंपरा के अनुसार आपको विरासत पर हक मिलता है। 


धर्म परिवर्तन किए बिना शादी

यह स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत आसानी से हो सकता है। लेकिन इसमें कई सारी चुनौतियां हैं। इसमें महीने भर का नोटिस देना पड़ता है। इसमें ज्यादातर देखा जाता है कि जो लड़का-लड़की भाग कर या चुप-चाप शादी करना चाहते हैं उन्हें कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा विरासत को लेकर भी सवाल है। इस एक्ट के तहत शादी करते हैं तो उन्हें विरासत में कितना हक मिलेगा, फिलहाल अभी बड़ा सवाल है। 

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