आर्टिफिशियल रेन क्या है? जानें कैसे होती है क्लाउड सीडिंग और कृत्रिम बारिश

कृत्रिम वर्षा
प्रतिरूप फोटो
X
Ankit Jaiswal । Oct 28 2025 10:14PM

क्लाउड सीडिंग एक उन्नत वैज्ञानिक तकनीक है जो बादलों में रसायनों का छिड़काव कर जलवाष्प को संघनित कर उन्हें बारिश के लिए तैयार करती है। यह प्रक्रिया तीन प्रमुख चरणों में संपन्न होती है, जिसमें बादलों का निर्माण, घनत्व वृद्धि और अंततः बारिश के रूप में जल का गिरना शामिल है, जो सूखाग्रस्त क्षेत्रों और कृषि के लिए एक महत्वपूर्ण समाधान प्रस्तुत करती है।

कृत्रिम वर्षा, जिसे आर्टिफिशियल रेन भी कहा जाता है, एक ऐसी वैज्ञानिक प्रक्रिया है जिसमें बादलों की भौतिक अवस्था में आर्टिफिशियल बदलाव करके वातावरण को बारिश के अनुकूल बनाया जाता है। मौजूद जानकारी के अनुसार, इस प्रक्रिया को क्लाउड सीडिंग कहा जाता है और यह तीन प्रमुख चरणों में पूरी होती है।

बता दें कि पहले चरण में केमिकल की मदद से वांछित इलाके के ऊपर हवा के द्रव्यमान को ऊपर की ओर भेजा जाता है, जिससे बादल बनने की प्रक्रिया शुरू हो। इस चरण में कैल्शियम क्लोराइड, कैल्शियम कार्बाइड, कैल्शियम ऑक्साइड, नमक और यूरिया तथा अमोनियम नाइट्रेट जैसे यौगिकों का इस्तेमाल किया जाता है। ये यौगिक हवा से जलवाष्प को सोखकर संघनन प्रक्रिया को सक्रिय कर देते हैं।

दूसरे चरण में बादलों के भार को और बढ़ाने के लिए नमक, यूरिया, अमोनियम नाइट्रेट, सूखी बर्फ और कैल्शियम क्लोराइड जैसी चीजों का उपयोग किया जाता है। इससे बादल भारी होकर घने बन जाते हैं।

तीसरे और अंतिम चरण में, जब बादल पहले से मौजूद हों या मनुष्य द्वारा बनाए गए हों, तब सिल्वर आयोडाइड और सूखी बर्फ जैसे ठंडा करने वाले केमिकल्स का छिड़काव किया जाता है। इससे बादलों का घनत्व बढ़ जाता है और वे बर्फीले स्वरूप में बदलकर भारी हो जाते हैं, जिसके कारण वे बारिश के रूप में गिरते हैं। इस छिड़काव के लिए हवाई जहाज, रॉकेट्स या गुब्बारों का प्रयोग किया जाता है।

गौरतलब है कि कृत्रिम वर्षा का मुख्य उद्देश्य फसलों को पर्याप्त पानी उपलब्ध कराना, सूखे की समस्या से निपटना और वायु प्रदूषण के स्तर को अस्थायी रूप से कम करना है। क्लाउड सीडिंग से बादलों में मौजूद नमी बर्फ या बूंदों के रूप में एकत्र होती है और जब ये भारी हो जाती हैं, तो जमीन पर गिरकर बारिश का रूप लेती हैं।

मौजूदा जानकारी के अनुसार, यह तकनीक दुनिया के कई देशों में प्रयोग की जा रही है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां प्राकृतिक वर्षा असंतुलित या कम होती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि उचित वैज्ञानिक नियंत्रण और सही रसायनों के प्रयोग से कृत्रिम वर्षा से कृषि उत्पादन बढ़ाने और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में मदद मिल सकती है।

All the updates here:

अन्य न्यूज़