अरूंधति रॉय के इस लेक्चर में ऐसा क्या है? कालीकट यूनिवर्सिटी ने सिलेबस में किया शामिल, BJP ने देशद्रोह बताया

Arundhati Roy
अभिनय आकाश । Jul 27 2020 1:28PM

केरल की कालीकट यूनिवर्सिटी के बीए इंग्लिश के तीसरे सेमेस्टर में लेखिका अरुंधति रॉय के लेक्चर Come September को पढ़ाए जाने का निर्णय किया। ये बात सामने आने के बाद इस पर विवाद शुरू हो गया और मामला राज्यपाल को पत्र लिखने तक पहुंच गया।

अरुंधती रॉय, नाम तो सुना ही होगा, ये नाम देश की उन गिनी-चुनी हस्तियों में शामिल है जिन्होंने लेखक के तौर पर अंतरराष्ट्रीय मुकाम हासिल किया है। अरुंधती रॉय ने '90 के दशक में 'द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स' लिखकर ख्याति हासिल की थी। इसके अलावा भी ये नाम कई बातों की वजह से लगातार सुर्खियों में है, जिसके बारे में आपको आगे बताएंगे। पहले अरुंधती रॉय के हालिया दौर में खबरों में रहने की वजह बता देते हैं। दरअसल, केरल की कालीकट यूनिवर्सिटी के बीए इंग्लिश के तीसरे सेमेस्टर में लेखिका अरुंधति रॉय के लेक्चर Come September को पढ़ाए जाने का निर्णय किया। ये बात सामने आने के बाद इस पर विवाद शुरू हो गया और मामला राज्यपाल को पत्र लिखने तक पहुंच गया। 

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क्या है पूरा मामला?

'Come September' नामक अरुंधति रॉय का 2002 का एक लेक्चर है। केरल के कालीकट यूनिवर्सिटी ने निर्णय लिया है कि इसे बीए अंग्रेजी के तीसरे सेमेस्टर के छात्रों को सिलेबस में पढ़ाया जाएगा। लेकिन ये बात बीजेपी को नागवार गुजरी। केरल भाजपा के अध्यक्ष के सुरेंद्रन ने इसे देशद्रोह तक करार दिया है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ने धर्म के आधार पर भेदभाव का हवाला देते हुए इसे सिलेबस से हटाए जाने की मांग की है। साथ ही सुरेंद्रन ने राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को इस संबंध में पत्र भेज कर कार्रवाई की मांग की है। 

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ऐसा क्या है इस लेक्चर में?

बीजेपी नेता का दावा है कि उक्त लेख को अरुंधति रॉय के एक भाषण से लिया गया है, जिसमें न सिर्फ सरकारी नीतियों को गलत बताया गया है बल्कि भारतीय संविधान तक को भी चुनौती दी गई है। साथ ही भारत सरकार ने जम्मू कश्मीर में ‘आज़ादी के अहिंसक आंदोलनकारियों’ के खिलाफ आतंक का रास्ता अपनाया है। गौरतलब है कि उक्त लेक्चर को अरुंधति रॉय ने अमेरिका के लानन फाउंडेशन के समक्ष सितम्बर 18, 2002 को सैंटा फे में दिया था।  जो कि 2003 में पब्लिश हो गया था। यह वीडियो और ट्रांसक्रिप्ट फॉर्मेट में इंटरनेट पर मौजूद है। इसमें रॉय ने कहा कि भारत में जो कोई परमाणु बम, बड़े बांधों, कॉर्पोरेट वैश्वीकरण, सांप्रदायिक हिंदू फासीवाद का बढ़ता खतरा पर अपने विचार रखता है, उसे सरकार एंटी नैशनल कह देती है। 20वीं सदी में राष्ट्रवाद की अवधारणा ही ज्यादातर नरसंहारों का कारण रही हैं, चाहे वो किसी भी तरह की रही हों।'

अरुंधती रॉय के कुछ एंटी इंडिया बयानों पर एक नजर...

17 जून 2011, जगह- लंदन- मैं भारत जैसी जगहों के बारे में बात कर रही हूं। कश्मीर या मणिपुर में जो चल रहा है। नागालैंड और मिजोरम में जो चल रहा है। जैसे ही भारत संप्रभु राष्ट्र बना, जैसे ही भारत उपनिवेशवाद से आजाद हुआ। खुद वैसा ही बन गया। 1997 से कश्मीर में लड़ाई छेड़ रखी है। हर तरफ युद्ध चल रहा है। पाकिस्तान ने भी ऐसा नहीं किया है।

तारीख 24 अक्टूबर 2010, जगह- श्रीनगर- दो हफ्ते पहले मैं रांची में थी पत्रकार ने मुझसे पूछा- मैडम क्या आप भारत को कश्मीर का हिस्सा मानती हैं? मैंने कहा- सुनो, कश्मीर कभी भी भारत का हिस्सा नहीं रहा। 

इसके अलावा अरुंधति रॉय ने अल्पसंख्यकों पर अत्याचार को 26/11 मुंबई हमले की वजह बताया था और अफजल गुरू की फांसी के विरोध में अलगाववादियों के साथ प्रदर्शन किया था। 

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