Prabhasakshi Exclusive: Great Wall of Steel का जिक्र करके Xi Jinping ने क्या संदेश देने का प्रयास किया है?

Xi Jinping
ANI

ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) डीएस त्रिपाठी ने कहा कि चीन की संसद द्वारा राष्ट्रपति के रूप में तीसरा कार्यकाल देने का सर्वसम्मति से समर्थन किए जाने के बाद पहली बार दिए भाषण में शी ने अपनी अगुवाई वाली सीपीसी के नेतृत्व को कायम रखने का आह्वान किया।

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) डीएस त्रिपाठी से पूछा कि चीन के राष्ट्रपति के रूप में तीसरी बार पद संभालने वाले शी जिनपिंग ने चीनी सेना को ‘‘ग्रेट वॉल ऑफ स्टील’’ बनाने का संकल्प लिया है। चीन ने अपना रक्षा बजट भी बढ़ा दिया है। इस बीच, भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि चीन के साथ भारत का संबंध ‘जटिल’ है। यही नहीं, अमेरिकी खुफिया तंत्र ने भी पाकिस्तान और चीन के साथ भारत का तनाव बढ़ने की आशंका जतायी है। इस सबको कैसे देखते हैं आप?

इन सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि चीन के राष्ट्रपति के रूप में अपने अभूतपूर्व तीसरे कार्यकाल की शुरुआत करते हुए शी जिनपिंग ने चीनी सेना को ‘‘ग्रेट वॉल ऑफ स्टील’’ (फौलादी दीवार) बनाने का संकल्प लिया। चीन ने हाल में सऊदी अरब और ईरान के बीच वार्ता की मेजबानी करके वैश्विक मामलों में और बड़ी भूमिका निभाने की मंशा का संकेत दिया है। ईरान और सऊदी अरब सात साल के तनाव के बाद राजनयिक संबंध बहाल करने और दूतावासों को फिर से खोलने पर सहमत हो गए। पिछले सप्ताह बीजिंग में हुआ यह समझौता चीन के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत के तौर पर देखा जा रहा है क्योंकि खाड़ी देशों का मानना है कि अमेरिका धीरे-धीरे मध्य पूर्व से पीछे हट रहा है। उन्होंने कहा कि चीन की संसद ने पिछले सप्ताह ही शी को अभूतपूर्व रूप से पांच साल का तीसरा कार्यकाल देने का सर्वसम्मति से समर्थन किया, जिससे उनके ताउम्र सत्ता में बने रहने का रास्ता साफ हो गया है। पिछले साल अक्टूबर में चीन की सत्तारुढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) की कांग्रेस की बैठक में 69 वर्षीय शी को फिर से सीपीसी का नेता चुना गया था। इसी के साथ, शी सीपीसी के संस्थापक माओत्से तुंग के बाद पांच साल के तीसरे कार्यकाल के लिए पार्टी प्रमुख चुने वाले पहले चीनी नेता बन गए थे।

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ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) डीएस त्रिपाठी ने कहा कि चीन की संसद द्वारा राष्ट्रपति के रूप में तीसरा कार्यकाल देने का सर्वसम्मति से समर्थन किए जाने के बाद पहली बार दिए भाषण में शी ने अपनी अगुवाई वाली सीपीसी के नेतृत्व को कायम रखने का आह्वान किया। शी ने चीन के रक्षा बलों के आधुनिकीकरण को आगे बढ़ाने और सशस्त्र बलों को ‘‘ग्रेट वॉल ऑफ स्टील’’ बनाने के प्रयासों का भी आह्वान किया। शी ने कहा कि देश की सेना राष्ट्रीय संप्रभुता, सुरक्षा और विकास हितों की प्रभावी ढंग से रक्षा करने में सक्षम है। शी ने दुनिया के सात अजूबों में शामिल ‘ग्रेट वॉल ऑफ चाइना’ का जिक्र करते हुए यह बात की। उन्होंने बताया कि चीन की 20,000 किलोमीटर से भी लंबी इस विशाल दीवार को चीन के विभिन्न शासकों द्वारा हमलावरों से रक्षा के लिए बनवाया गया था।

ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) डीएस त्रिपाठी ने कहा कि शी का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब अमेरिका और कुछ पड़ोसी देशों के साथ चीन के संबंध तनावपूर्ण हैं। नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) के वार्षिक सत्र के समापन पर शी ने सीपीसी के नेतृत्व और पार्टी के मुख्य नीति निकाय, सीपीसी केंद्रीय समिति के केंद्रीकृत, एकीकृत नेतृत्व को कायम रखने पर जोर दिया। शी को पार्टी के संस्थापक माओत्से तुंग की तरह ही पार्टी का ‘‘मुख्य नेता’’ माना जाता है। लगभग 3,000 विधायकों की उपस्थिति वाले एनपीसी समापन समारोह में अपने भाषण में शी ने कहा कि सीपीसी जैसी बड़ी पार्टी के सामने आने वाली विशेष चुनौतियों से निपटने के लिए सतर्क और दृढ़ रहना महत्वपूर्ण है। सरकारी समाचार एजेंसी ‘शिन्हुआ’ की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने हमेशा आत्म-सुधार करते रहने, भ्रष्टाचार से दृढ़ता से लड़ने का साहस रखने के महत्व को रेखांकित किया।

उन्होंने कहा कि जहां तक भारत-चीन संबंधों की बात है तो उसके संदर्भ में अमेरिकी खुफिया तंत्र ने सांसदों से कहा है कि उसे भारत-पाकिस्तान और भारत-चीन के बीच तनाव बढ़ने तथा उनके बीच संघर्ष होने की आशंका है। खुफिया तंत्र के अनुसार, पाकिस्तान के ‘‘कथित या वास्तविक’’ उकसावों की स्थिति में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पहले की तुलना में भारत द्वारा कहीं अधिक सैन्य बल के जरिए जवाबी कार्रवाई किए जाने की आशंका है। यह मूल्यांकन अमेरिकी खुफिया तंत्र के वार्षिक खतरे के आकलन का हिस्सा है, जिसे राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के कार्यालय द्वारा अमेरिकी कांग्रेस के समक्ष प्रस्तुत किया गया। रिपोर्ट के अनुसार, भारत-चीन द्विपक्षीय सीमा विवाद को बातचीत के जरिए सुलझाने में लगे हुए हैं, लेकिन 2020 में दोनों देशों की सेनाओं के बीच हुए संघर्ष के मद्देनजर संबंध तनावपूर्ण ही रहेंगे। इस घटना के बाद से दोनों के बीच संबंधों की स्थिति गंभीर है। 

उन्होंने बताया कि रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘विवादित सीमा पर भारत और चीन दोनों द्वारा ‘सेना का विस्तार’ दो परमाणु शक्तियों के बीच सशस्त्र टकराव के जोखिम को बढ़ाता है, जिससे अमेरिकी लोगों तथा हितों को सीधा खतरा हो सकता है। इसमें अमेरिकी हस्तक्षेप की मांग की जाती है। पिछले गतिरोधों से स्पष्ट है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर लगातार निम्न-स्तर के संघर्ष तेजी से बढ़ सकते हैं।’’ मई 2020 में दोनों देशों के बीच पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध के बाद से चीन और भारत के बीच संबंध बेहद तनावपूर्ण हैं। भारत का कहना है कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति नहीं होगी तब तक चीन के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं हो सकते।

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