खराब मौसम ने रास्ता रोका तो जेसीबी में बैठकर शादी की रस्में निभाने पहुंचा दूल्हा

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30 किलोमीटर सफर तय कर रतवा गांव पहुंचे। वहां पर विवाह की सारी रस्में निभाई और दुल्हन लेकर वापस लौटे। गिरिपार क्षेत्र के गत्ताधार गांव में भी बारिश और बर्फबारी से सड़क बंद होने के कारण एक दूल्हे को करीब 100 किलोमीटर का अतिरिक्त सफर कर अपनी अर्धांगिनी तक पहुंचने के लिए तय करना पड़ा।

शिमला। हिमाचल प्रदेश में भारी बर्फबारी व बारिश की वजह से एक ओर सामान्य जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। तो ओर विवाह शादियों के मौसम में लोगों की दुश्वारियां बढी हैं। लेकिन इस बार कुछ विवाह शादियां ऐसी भी हुईंएजिन्हें खराब मौसम भी बाधा दूल्हा दुल्हन को परिणय सूत्र में बंधने से नहीं कर पाया। और यह शादियां लोगों में चर्चा का विषय बन गईं।

 

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प्रदेश के जिला सिरमौर में खराब मौसम के बावजूद अर्धांगिनी लेने के लिए पहुंचे दूल्हे ने हिम्मत नहीं हारी। यहां दुल्हा 40 किमी जेसीबी पर शादी की रस्में निभाने के लिए पहुंचा। जिला सिरमौर गिरिपार के संगड़ाह में हुई यह दिलचस्प शादी की चरचा हो रही है। यहां पहली बार जेसीबी मशीन दूल्हा में बारात गई । दरअसलए इलाके में तीन फुट की करीब बर्फ से ढके संगड़ाह.गत्ताधार.शिलाई मार्ग पर एक बारात को जेसीबी मशीन में ले जाना पड़ा। डिग्री कॉलेज संगड़ाह के साथ लगते जावगा से बारात सौंफर गांव जाने वाली थी। संगड़ाह से 8 किलोमीटर आगे बंद सड़क पर पहले तो जेसीबी से बर्फ हटाने की कोशिश की गईए मगर जब बात न बनी तो जेसीबी मे ही आधा दर्जन बाराती चले गए। रात लौटते वक्त दो मशीनों की व्यवस्था करनी पड़ी तथा सुबह शादी की शेष रस्मे हुई। उपमंडल संगड़ाह के ऊपरी हिस्सों मे हिमपात का सिलसिला जारी था और दो से तीन फुट के करीब बर्फ के चलते डेढ़ दर्जन पंचायतों मे जनजीवन बुरी तरह प्रभावित है।

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बताया जा रहा है कि दूल्हे के पिता जगत सिंह ने आगे जाने के लिए जेसीबी मशीन का इंतजाम किया इसमें दूल्हा विजय प्रकाश,  भाई सुरेंद्र,  पिता जगत सिंहए भागचंद व फोटोग्राफर को बिठा कर 30 किलोमीटर सफर तय कर रतवा गांव पहुंचे। वहां पर विवाह की सारी रस्में निभाई और दुल्हन लेकर वापस लौटे। गिरिपार क्षेत्र के गत्ताधार गांव में भी बारिश और बर्फबारी से सड़क बंद होने के कारण एक दूल्हे को करीब 100 किलोमीटर का अतिरिक्त सफर कर अपनी अर्धांगिनी तक पहुंचने के लिए तय करना पड़ा। यदि मार्ग बंद नहीं होता तो यह दूरी केवल 40 किलोमीटर ही थी। गताधार गांव से रविवार को दूल्हा रामलालए भाई वीरेंद्र ए मामा गोपाल सिंह बरात लेकर दुल्हन लेने करीब सौ किलोमीटर अतिरिक्त सफर तय कर उपमंडल संगड़ाह के ग्राम डूंगी पहुंचे।

भले ही बारात को मुहूर्त के हिसाब से आठ बजे प्रातः निश्चित समय पर पहुंचना थाए लेकिन गत्ताधार संगड़ाह मार्ग पर भारी बर्फबारी के चलते उन्हे वाया शिलाईए पांवटा साहिब मार्ग चुनना पड़ा। इसमें भी कई जगह पैदल चलना व गाड़ियों को बदलना पड़ा। जो सफर दो घंटे में तय करना थाए वह मार्ग बंद होने के कारण लगभग 12 घंटे में पूरा हुआ। भारी बर्फबारी के चलते क्षेत्र की संगड़ाह.चौपालए हरिपुरधार.नौहराधारए संगड़ाह.गत्ताधार व नौहराधार.संगड़ाह आदि सड़कों पर भी यातायात व्यवस्था ठप रहा। लोक निर्माण विभाग मंडल संगड़ाह मे एक भी स्नोकटर नहीं है और जेसीबी से बर्फ हटाने मे ज्यादा समय लग जाता है। उपमंडल की डेढ़ दर्जन पंचायतों मे हिमपात के चलते यातायात के साथ.साथ विद्युत व पेयजल आपूर्ति भी बाधित है। लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियन्ता संगड़ाह रतन शर्मा ने कहा किए बर्फ हटाने के लिए 8 जेसीबी मशीनों की व्यवस्था की गई है।

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इसी तरह  जिला कांगड़ा के सदवां निवासी अजय चौहान बरात लेकर सुबह पांच बजे चुवाड़ी के कैथली गांव नेहा पुत्री उत्तम सिंह के घर के लिए निकले। चुवाड़ी से 4 किमी दूर बर्फ के बीच सात किमी पैदल सफर करना पड़ा। बरात दोपहर के समय दुल्हन के घर पहुंची। रीति.रीवाजों के साथ शादी के बाद ढाई फीट बर्फ में कहारों ने दूल्हा.दुल्हन को पालकी में उठाकर देरशाम चुवाड़ी बस स्टैंड पहुंचाया।

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चंबा के सलूणी में अनीत कुमार पचास बरातियों के साथ दुल्हन लाने के लिए किलोड़ पंचायत से दिघाई के शाला गांव पहुंचे। यहां शादी की सभी रश्में निभाईं। रविवार सुबह लौटने पर बर्फबारी शुरू हो गई। दूल्हा.दुल्हन और बराती डेढ़ से तीन फीट बर्फ में करीब 40 किलोमीटर पैदल चले। दूल्हा और दुल्हन एक.दूसरे का हाथ थामकर चलते रहे। चालीस किमी का पैदल सफर कर बारात को शाला गांव तक पहुंचने में रात हो गई। 

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