कौन हैं रमा देवी, जो आजम खान के बयान के बाद चर्चा में आ गईं?

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अंकित सिंह । Jul 29 2019 7:04PM

रमा देवी का जन्म बिहार के ऐतेहासिक स्थान वैशाली के लालगंज में 08 अगस्त 1948 को हुआ था। इनकी शिक्षा मुजफ्फरपुर से हुई और वहीं से इन्होंने कानून की डिग्री पूरी की थी।

बिहार के शिवहर से सांसद रमा देवी आजकल सुर्खियों में हैं। दरअसल मामला यह है कि गुरुवार को रामपुर से सांसद आजम खान ने रमा देवी पर विवादास्पद टिप्पणी कर दी। आजम खान उस वक्त सरकार द्वारा पेश तीन तलाक बिल पर बोल रहे थे और रमा देवी पीठासीन सभापति थीं। आजम खान की टिप्पणी पर जमकर बवाल हुआ और सभी पार्टियों ने उनके बयान की निंदा की और उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की। सोमवार को सदन के शुरू होते ही आजम खान ने इस मामले में सदन में माफी मांग ली। सपा सांसद ने कहा कि आसन के प्रति न मेरी कोई गलत भावना थी और न कभी रही है। उन्होंने कहा कि वह दो बार संसदीय कार्य मंत्री रहे हैं, चार बार मंत्री रहे हैं, नौ बार विधायक रहे हैं और राज्यसभा में भी रह चुके हैं। ‘‘मेरे भाषण, मेरे आचरण को पूरा सदन जनता है। इसके बावजूद भी आसन को लगता है कि मुझसे भावना में कोई गलती हुई तो इसके लिये क्षमा चाहता हूं।’’

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आजम खान के इस बयान को महिला अस्मिता से भी जोड़ा गया। सभी महिला सांसदों ने आजम का विरोध किया। हालांकि उनके माफी मांगने के बाद भी रमा देवी ने कहा कि आजम खान की महिलाओं के खिलाफ अपमानजनक भाषा बोलने की आदत रही है, बाहर भी वह ऐसे ही बोलते रहे हैं। उन्होंने पहले भी कहा कि आजम खान की टिप्पणी से पूरे महिला समाज को धक्का लगा है और उनका अपमान हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी यह टिप्पणी न सिर्फ महिलाओं के लिए बल्कि पुरुषों की गरिमा को भी ठेस पहुंचाने वाली है। इसके अलावा भी रमा देवी अलग-अलग टीवी चैनलों पर भी आजम पर हमला करती रही हैं। लेकिन रमा देवी के अचानक सुर्खियों में आ जाने से उनके बारे में लोगों को जानने की दिलचस्पी बढ़ गई है। वैसे भी बिहार और उत्तर प्रदेश के ऐसे कम ही सांसद होंगे जिनके बारे में बहुत लोगों को पता नहीं होगा। भले ही रमा देवी चौथी बार सांसद बनी हैं पर चर्चा में कम ही रही हैं। तो चलिए आपको रमा देवी के बारे में बताते हैं। 

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रमा देवी का जन्म बिहार के ऐतेहासिक स्थान वैशाली के लालगंज में 08 अगस्त 1948 को हुआ था। इनकी शिक्षा मुजफ्फरपुर से हुई और वहीं से इन्होंने कानून की डिग्री पूरी की थी। रमा देवी की शादी बृजबिहारी प्रसाद से हुई थी। बृज बिहारी ने एमआईटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी। हालांकि उन्होंने अपना कॉरियर राजनीति में बनाया। पिछड़ों और दलितों की राजनीति करने वाले बृजबिहारी की छवि रॉबिनहुड की थी। बृजबिहारी लालू के बेहद ही करीबी थे और कहा जाता है कि हाजीपुर से लेकर चंपारण तक राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) को मजबूती देने में इन्होंने अहम भूमिका निभाई थी। 90 के दशक में बिहार की राजनीति में कई अहम बदलाव हुए और लालू सत्ता में आ गए। मुसलमान और यादवों की राजनीति करने वाले लालू ने वैश्य समाज को जोड़ने के लिए बृजबिहारी को अपने कैबिनेट में शामिल किया और उनके बैकग्राउण्ड को देखते हुए उन्हें विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय का जिम्मा सौंप दिया। विज्ञान और प्रौद्योगिकी में बिहार कितना आगे बढ़ा यह तो पता नहीं पर बृजबिहारी का कद बढ़ता रहा। 

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खैर, हर समय एक जैसा नहीं होता। भ्रष्टाचार के दाग बृजबिहारी प्रसाद पर लगे। उनके खिलाफ सीबीआई जांच को लेकर राजनीति मांग तेज हुई, लालू को भी प्रेशर में आकर सीबीआई जांच की अनुशंसा करनी पड़ी। और यहीं से लालू और बृजबिहारी के बीच की मनमुटाव बसके सामने आ गई। लालू बृजबिहारी के बढ़ते कद से तो परेशान तो थे ही, उनकी टीम को इस बात का भी मलाल था कि इतना बड़ा स्कैम बृजबिहारी ने अकेले-अकेले कैसे कर लिया। मीडिया में बृजबिहारी प्रसाद ने कुछ ऐसा बयान दे डाला जिसमें इस बात का जिक्र था कि सिर्फ वह ही इस स्कैम में शामिल नहीं, बल्कि कई बड़े नाम भी हैं। सीबीआई जांच शुरू हुई तो बृजबिहारी प्रसाद को अपने मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा गया। वो न्यायीक हिरासत में भेज दिए गए। बृजबिहारी की तबियत खराब हुई, उन्हें पटना के इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस परिसर में ईलाज के लिए भर्ती कराया गया और यहीं 13 जून 1998 को उनकी हत्या कर दी गयी। ताबड़तोड़ फायरिंग की आवाज से पूरा हॉस्पिटल कैंपस गूंज गया। इस हत्या के मामले में पुलिस की एफआईआर सहित बाद की भी जांच में जो नाम दर्ज थे उनमे बाहूबली सूरजभान सिंह, श्रीप्रकाश शुक्ला, मुन्ना शुक्ला, मंटू तिवारी, राजन तिवारी, भूपेंद्र नाथ दूबे, सुनील सिंह सहित अनुज प्रताप सिंह, सुधीर त्रिपाठी, सतीश पांडे, ललन सिंह, नागा, मुकेश सिंह, कैप्टन सुनील उर्फ सुनील टाइगर का था।

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कहा जाता है कि पति की मौत से अक्रोशित रमा देवी ने अपने घर पर जमा मीडिया वालों पर ही पुलिस की बंदूक़ तान दी थी और पहली बार शुर्खियों में आई थी। खैर, रमा देवी का इसके बाद राजनीति में उदय होता है और वह पहली बार भाजपा के दिग्गज नेता राधामोहन सिंह को उनके गढ़ मोतीहारी से हराकर 1998 में पहली बार सांसद बनीं। 1999 के लोकसबा चुनाव में हारने के बाद वह विधायक बनीं और राबड़ी मंत्रीमंडल में शामिल हुईं। हालांकि उनके बयान लालू और उनकी पार्टी को असहज करते रहे। रमा देवी अपने पति के हत्या के लिए लालू को भी जिम्मेदार मानती थीं। यह महज आरोप भर था क्योंकि यह कभी साबित नहीं हो सका। 2009 में राजद से टिकट नहीं मिला और भाजपा ने उन्हें अपने पाले में कर लिया। शिवहर से उन्हें टिकट दिया गया और वह चुनाव जीतने में कामयाब रहीं। 2014 और 2019 में भी उन्हें शिवहर से टिकट दिया गया और वह जीतने में कामयाब रहीं। रमा देवी के राजनीतिक कद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने 2009 और 2014 में बाहुबली आनंद मोहन की पत्नी लवली आंनद को राजनीतिक अखाड़े में मात दी थी। 2019 के चुनाव में भी ऐसा कहा जा रहा था कि रमा देवी का टिकट भाजपा काट सकती है पर ऐसा हुआ नहीं। 

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