बिहार भाजपा अध्यक्ष पद की रेस में यह नाम सबसे आगे

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अंकित सिंह । Jun 11 2019 4:46PM

भाजपा लोकसभा चुनाव में तो अपना शानदार प्रदर्शन करते हुए 100 प्रतिशत की स्ट्राइक रेट से अपने हिस्से की सभी 17 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही।

बिहार प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नित्यानंद राय के मोदी कैबिनेट में शामिल होने के साथ ही इस बात को लेकर चर्चा जोरों पर है कि बिहार में भाजपा का अगला प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा। पार्टी के भीतर भी इस बात को लेकर माथापच्ची जारी है। बिहार में अगले साल बिहार विधानसभा के चुनाव हैं इसलिए भाजपा किसी दमदार चेहरे की खोज में है जो पार्टी को मजबूत करने के साथ-साथ गठबंधन में आने वाली चुनौतियों से भी निपट सके। इसके अलावा भाजपा ऐसे चेहरे को ज्यादा महत्व देगी जो बिहार में सामाजिक समीकरणों को साध सकें। 

भाजपा लोकसभा चुनाव में तो अपना शानदार प्रदर्शन करते हुए 100 प्रतिशत की स्ट्राइक रेट से अपने हिस्से की सभी 17 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही। पर विधानसभा चुनाव की चुनौतियां अलग है। भाजपा अगले प्रदेश अध्यक्ष के लिए कई नामों पर मंथन कर रही है। जो नाम सबसे आगे हैं उनमें राजीव प्रताप रूड़ी, जनार्दन सिंह सिग्रीवाल, संजय जायसवाल के साथ साथ रामकृपाल यादव और राधामोहन सिंह भी हैं जिन्हें मोदी कैबिनेट में शामिल नहीं किया गया है। 

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राजीव प्रताप रूडी: पेशे से पायलट राजीव प्रताप रूडी बिहार भाजपा के दिग्गज नेता हैं और संगठन के कामों से जुड़े रहे हैं। रूडी सारण से चार दफा लोकसभा सांसद और एक बार राज्यसभा सांसद रह चुके हैं। वह महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे बड़े राज्यों के भाजपा के चुनावी प्रभारी भी रह चुके हैं। रूडी अटल बिहारी वाजपेयी और मोदी की सरकार में मंत्री भी रहे हैं। फिलहाल वह भाजपा प्रवक्ता के तौर पर काम कर रहे हैं। रूडी सवर्ण समाज से भी आते हैं। रूडी को मोदी-शाह गुट का नहीं माना जाता है और मोदी कैबिनेट में रहते हुए रूडी का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा था और उन्हें मंत्रीपद से हाथ धोना पड़ा था। संघ से भी इनका कोई संबंध नहीं रहा है। 

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जनार्दन सिंह सिग्रीवाल: तीन बार विधायक और नीतीश सरकार में मंत्री रहने के बाद 2014 में महराजगंज से पहली बार सांसद बने। उन्होंने 2019 में भी भारी मतों से जीत हासिल की है। ईमानदार छवि के नेता हैं और जमीन पर काम करने में विश्वास रखते हैं। वह सवर्ण समाज से भी आते हैं पर संगठन में काम करने का कोई खास अनुभव नहीं है। 

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संजय जायसवाल: पेशे से डॉक्टर संजय जायसवाल 2009 से पश्चिम चंपारण से सांसद हैं हालांकि भाजपा से लंबे समय से जुड़े रहे हैं। वह विवादों में भी नहीं रहते और एक सांसद के तौर पर इनका काम-काज भी अच्छा रहा है। वह बनिया समाज से आते हैं और बिहार में इस समाज का राजनीति में कम ही वर्चस्व रहा है। हालांकि इन्हें संघ का कार्टकर्ता भी कहा जाता है। 

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रामकृपाल यादव: मीसा भारती को हराकर भाजपा के टिकट पर लगातार दूसरी बार सांसद बने है। इससे पहले भी वह राजद की टिकट से लोकसभा सदस्य और राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं। वह कई बार विधायक भी रहे है। एक समय यह लालू यादव के काफी करीबी रहे हैं और संगठन को चलाने का लंबा अनुभव है। मोदी की पिछली सरकार में मंत्री भी रहे हैं। नित्यानंद राय के बाद अगर भाजपा किसी यादव के नाम को लेकर आगे बढ़े तो इनकी लॉटरी लग सकती है। हालांकि यह भाजपा से 2014 में जुड़े अत: नाम पर सहमति बन पाना मुश्किल ही है। 

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राधामोहन सिंह: मोदी पार्ट-1 में कृषि मंत्री रहे राधामोहन सिंह को इस बार मंत्री नहीं बनाया गया है। राधामोहन सिंह 7 बार के सांसद हैं और बिहार में प्रदेश संगठन की कमान पहले भी संभाल चुके हैं। इन्हें मोदी-शाह का करीबी भी माना जाता है और संघ में भी अच्छी पहुंच है। वह राजपूत समाज से आते है। फिलहाल इनका नाम लोकसभा अध्यक्ष पद की रेस में आगे चल रहा है। अगर वहां इन्हें दायित्व नहीं दिया जाता तो बिहार में इनका नंबर लग सकता है पर इनकी उम्र एक बड़ी बाधा हो सकती है। 

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इल लोगों के अलावा मंगल पांडे, सुरेश शर्मा, नंदकिशोर यादव और प्रेम कुमार के नाम पर भी चर्चा हो सकती है। फिलहाल यह चारों नीतीश सरकार में भाजपा कोटे से मंत्री हैं। 

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