मंत्रिमंडल विस्तार के साथ ही कई विधायकों ने बुलंद किए बगावत के सुर, बढ़ सकती है येदयुरप्पा की मुश्किलें

karnataka
अंकित सिंह । Jan 14 2021 1:40PM

पार्टी के एक और विधायक ने कहा कि मैं पार्टी का वफादार सिपाही रहा हूं लेकिन मुझे शामिल नहीं किया गया। इतना ही नहीं, मंत्री पद की शपथ लेने वाले विधायकों और बागावत करने वाले विधायकों के बीच जुबानी जंग भी तेज हो गई है। देखना होगा कि आलाकमान कैसे इस संकट से कर्नाटक में निपटता है। चुनौती येदियुरप्पा के लिए भी बहुत बड़ी है।

लंबे समय से कर्नाटक में येदियुरप्पा सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार से खबरें लगातार चल रही थी। कई बार यह होते-होते रह गया तो कई बार इसे टाल दिया गया। आखिरकार आलाकमान के साथ कई दौर की बैठकों के बाद बीएस येदियुरप्पा ने बुधवार को अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करते हुए 7 नए मंत्रियों को शामिल किया। इसके अलावा मंत्रिमंडल से आबकारी मंत्री एच. नागेश को बाहर किया गया है, जिसके कारण कैबिनेट में एक सीट रिक्त हो गई है। राज्यपाल वजुभाई वाला ने राजभवन में आयोजित एक समारोह में मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलायी। नए मंत्रियों में विधायक उमेश कट्टी (हुक्केरी), एस. अंगारा (सुल्लिआ), मुरुगेश निरानी (बिल्गी) और अरविंद लिम्बावली (महादेवपुरा) और एमएलसी आर. शंकर, एम. टी. बी. नागराज और सी. पी. योगेश्वर शामिल हैं।

विस्तार के बाद अब एक और समस्या येदियुरप्पा के सामने आ गई है और यह समस्या है बगावत की। नए मंत्रियों को शामिल किए जाने और पुराने मंत्री को हटाए जाने के घटनाक्रम पर भाजपा के कुछ विधायकों ने नाराजगी जाहिर की है। उनका सीधे तौर पर कहना है कि ऊपरी सदन से आए एमएलसी को मंत्री बनाया जा रहा है जबकि निर्वाचित विधायकों को महत्व नहीं दिया जा रहा है। कई विधायकों ने तो बेंगलुरु और बेलगावी को महत्व दिए जाने और अन्य क्षेत्रों को नजरअंदाज किए जाने पर भी विरोध जताया। इन विधायकों का कहना है कि मंत्रिमंडल के विस्तार में ‘‘वरिष्ठता और उनके कार्यो’’ को भी देखा गया है।

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कई विधायकों ने तो खुले तौर पर बगावत की चेतावनी दे दी है। पार्टी के एक विधायक ने तो मुख्यमंत्री येदियुरप्पा पर गंभीर आरोप लगाते हुए राजनीति से संन्यास लेने की बात कह दी। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग ब्लैकमेल करता है, पैसा देता है उसे मंत्री बनाया जाता है। उन्होंने दावा किया कि सीडी के जरिए मुख्यमंत्री को ब्लैकमेल किया जाता है। पार्टी के एक और विधायक ने कहा कि मैं पार्टी का वफादार सिपाही रहा हूं लेकिन मुझे शामिल नहीं किया गया। इतना ही नहीं, मंत्री पद की शपथ लेने वाले विधायकों और बागावत करने वाले विधायकों के बीच जुबानी जंग भी तेज हो गई है। देखना होगा कि आलाकमान कैसे इस संकट से कर्नाटक में निपटता है। चुनौती येदियुरप्पा के लिए भी बहुत बड़ी है। 

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जुलाई 2019 में येदियुरप्पा के फिर से मुख्यमंत्री बनने के बाद यह कैबिनेट का तीसरा विस्तार है। कांग्रेस-जद(एस) गठबंधन की पूर्ववर्ती सरकार 17 विधायकों के इस्तीफे के बाद गिर गई थी। सभी विधायक बाद में भाजपा में शामिल हो गए थे। मंत्रियों में पार्टी के कुछ पुराने चेहरों के अलावा कांग्रेस-जद(एस) से आए विधायक एवं विधान पार्षद (एमएलसी) शामिल हैं। येदियुरप्पा ने वादा निभाते हुए पुरानी सरकार से बगावत करके भाजपा में आए नेताओं में से एमएलसी आर. शंकर और एम. टी. बी. नागराज को मंत्रिमंडल में शामिल किया है। ये दोनों पूर्ववर्ती कांग्रेस-जद(एस) गठबंधन सरकार में भी मंत्री थे। राज्य में 2019 में राजनीतिक संकट के दौरान कांग्रेस-जद(एस) के बागी विधायकों को संभालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले एक अन्य एमएलसी योगेश्वर को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। यह पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में भी मंत्री थे। 

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