येदियुरप्पा बनेंगे कर्नाटक के मुख्यमंत्री, जानिए कौन हैं येदियुरप्पा

yeddyurappa won the karnataka assembly elections

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी को ऐतिहासिक जीत मिल रही है। जीत मुिलने के बाद येदियुरप्पा का मुख्यमंत्री बनना तय है। बता दें कि लिंगायत बहुल इलाकों की 70 सीटों में से 44 पर बीजेपी और 20 पर कांग्रेस कब्जा कर पाई है।

बेंगलुरू। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी को ऐतिहासिक जीत मिल रही है। जीत मुिलने के बाद येदियुरप्पा का मुख्यमंत्री बनना तय है। बता दें कि लिंगायत बहुल इलाकों की 70 सीटों में से 44 पर बीजेपी और 20 पर कांग्रेस कब्जा कर पाई है। ऐसे में यह चुनाव येदियुरप्पा बनाम सिध्दारमैया का था। 

कौन हैं येदियुरप्पा:

डॉ॰ बूकानाकेरे सिद्धलिंगप्पा येदियुरप्पा एक भारतीय राजनेता और कर्नाटक के 25वें मुख्यमंत्री थे, जिन्होंने 30 मई 2008 को शपथ ग्रहण की थी। इनका जन्म मांड्या जिले के बुकानाकेरे में 27 फरवरी 1943 को लिंगायत परिवार में हुआ था। कर्नाटक की शिकारीपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के प्रतिनिधित्व करते हैं येदियुरप्पा। उन्होने साल 2014 का लोकसभा चुनाव शिमोगा लोकसभा क्षेत्र से से जीता था।

इस बार के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने येदियुरप्पा पर ही दांव खेला और उन्हें मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया। पार्टी दूसरी बार दक्षिण भारत के इस प्रमुख राज्य में सरकार बनाने जा रही है। 2008 मे हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को येदियुरप्पा के नेतृत्व में ही जीत मिली थी।

2013 के विधानसभा चुनाव के दौरान येदियुरप्पा ने अपनी अलग पार्टी बनाकर चुनाव लड़ा था। जिसकी वजह से बीजेपी को भारी नुकसान हुआ था और उसकी सरकार चली गई थी। 2013 के चुनाव में भाजपा को महज 40 सीटों से ही संतोष करना पड़ा था।

लिंगायत समुदाय:

लिंगायत समुदाय कर्नाटक की राजनीति में अहम चुनावी फैक्टर माना जाता हैं, जो कि राज्य की कुल आबादी का सर्वाधिक करीब 21 फीसदी है। यही वजह है कि कांग्रेस नेता और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने लिंगायत समुदाय को धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा देकर केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार को मुश्किल में डाल दिया है। बता दें कि कर्नाटक विधानसभा की करीब 100 सीटें ऐसी हैं जहां लिंगायत समुदाय का अच्छा खासा प्रभाव रहता है और ये निर्णायक भूमिका निभाते हैं। कहने को तो भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा भी इसी लिंगायत समुदाय से आते हैं, जिसे उसका कोर वोटर भी माना जाता है। 

लेकिन जिस तरह से लिंगायतों को धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा देकर कांग्रेस ने सियासी कार्ड खेला है, उससे साफ है कि उसने बीजेपी के वोट बैंक में सेंध लगाने की सफल कोशिश की है। यही वजह है कि कांग्रेस को इसका न केवल हाल के चुनावों में फायदा मिल सकता है बल्कि अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनावों में भी वह इस मुद्दे को भाजपा  के खिलाफ भुना सकती है। शायद इसलिए भी बीजेपी भीतर ही भीतर परेशान नजर आ रही है और जेडीएस से अंदर ही अंदर चुनावी चोंच लड़ा रही है।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़