उत्तर प्रदेश की बड़ी खबरें: योगी सरकार ने 5 लाख से अधिक युवाओं को किया प्रशिक्षित

Yogi Adityanath

व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कपिल देव अग्रवाल ने बताया कि उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन द्वारा प्रदेश के 14 से 35 आयुवर्ग के अल्पशिक्षित तथा स्कूल ड्रापआउट युवाओं को निःशुल्क व्यावसायिक प्रशिक्षण देकर उन्हें आजीविका उपार्जन हेतु सक्षम बनाने की दृष्टि से अल्पकालीन कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किये जा रहे है।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने ’’उत्तर प्रदेश दुग्ध नीति-2018’’ के प्राविधानों में कतिपय संशोधन करते हुए नये प्राविधानों को शामिल किया गया है। दुग्ध विकास विभाग के प्रमुख सचिव सुधीर गर्ग द्वारा इस संबंध में आवश्यक आदेश कर दिया गया है।राज्य स्तरीय इम्पावर्ड समिति के वर्तमान विद्यमान प्राविधान में संशोधन करते हुए व्यवस्था की गई है कि ’’उ0प्र0 दुग्ध नीति-2018 के अन्तर्गत प्राविधानों के क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण हेतु मुख्य सचिव, उ0प्र0 शासन की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय इम्पावर्ड समिति गठित की जायेगी।’’ मुख्य सचिव, उ0प्र0 शासन की महत्वपूर्ण शासकीय कार्यों में व्यस्तता होने या उपलब्ध न होने की दशा में मुख्य सचिव उ0प्र0 शासन द्वारा प्रतिनिधायित अधिकारी के रूप में नामित कृषि उत्पादन आयुक्त, उ0प्र0 शासन द्वारा राज्य स्तरीय इम्पावर्ड समिति की अध्यक्षता की जायेगी। विभिन्न विभागों के प्रमुख सचिव इसके सदस्य होंगे। प्रमुख सचिव, सचिव दुग्ध विकास विभाग, उ0प्र0 शासन इसके संयोजक सचिव होंगे। उद्योग संघों के प्रतिनिधि इसके आमंत्रित सदस्य होंगे। 

इसे भी पढ़ें: Prabhasakshi's Newsroom । जूही चावला ने भरा आर्यन खान का बेल बॉन्ड फिर भी आज नहीं हो पाई रिहाई 

मण्डल स्तरीय अनुश्रवण समिति के संबंध में व्यवस्था की गई है कि मण्डल स्तर पर नीति के क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण हेतु मण्डलायुक्त की अध्यक्षता में मण्डल स्तरीय अनुश्रवण समिति गठित की जायेगी, जिसमें मण्डल के सभी जनपदों के जिलाधिकारी एवं मुख्य विकास अधिकारी के साथ-साथ मण्डल के सम्बन्धित विभागों के अधिकारी सदस्य होंगे। मण्डलीय दुग्धशाला विकास अधिकारी इस कमेटी के सदस्य-सचिव होगें। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2017 की भांति उ0प्र0 दुग्ध नीति-2018 के अनुश्रवण हेतु मण्डल स्तरीय अनुश्रवण समिति में 09 सदस्यों को व्यापक गुणवत्तापरक अनुश्रवण हेतु शामिल किया जायेगा।

इस नीति के अंतर्गत पूॅजी निवेश के प्रस्तावों का कार्यान्वयन उप दुग्धशाला विकास अधिकारी के माध्यम से किया जायेगा। नीति के क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण हेतु जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जनपद स्तरीय क्रियान्वयन अनुश्रवण समिति गठित की जायेगी, जिसमें जनपद के संबंधित विभागों के अधिकारीगण सदस्य होंगें। जनपदीय उद्यान तथा खाद्य प्रसंस्करण अधिकारी इसमें पदेन सदस्य होंगे। उप दुग्धशाला विकास अधिकारी इस समिति के सदस्य सचिव होेंगे। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2017 की भांति उ0प्र0 दुग्ध नीति-2018 के क्रियान्वयन/अनुश्रवण हेतु जनपद स्तरीय अनुश्रवण समिति में 09 सदस्यों को व्यापक एवं गुणवत्तापरक अनुश्रवण हेतु शामिल किया जायेगा।

आवेदन/परियोजना प्रस्तावों का परीक्षण, मूल्यांकन स्वीकृति तथा धनावंटन के संबंध में व्यवस्था की गई है कि जनपद स्तर पर प्राप्त आवेदनों परियोजना प्रस्तावों को संकलन कर आवेदन परियोजना प्रस्तावों को उप दुग्धशाला विकास अधिकारी द्वारा मण्डलीय दुग्धशाला विकास अधिकारी के माध्यम से मुख्यालय स्तर पर प्रेषित किया जायेगा। इन आवेदन/परियोजना प्रस्तावों के मुख्यालय स्तर पर परीक्षण एवं मूल्यांकन हेतु दुग्ध आयुक्त, दुग्धशाला विकास, उ0प्र0 द्वारा अपनी अध्यक्षता में प्री-अप्रेजल समिति गठित की जायेगी। प्री-अप्रेजल के पश्चात परियोजना प्रस्तावों के सम्यक मूल्यांकन/परीक्षण हेतु प्रमुख सचिव, दुग्ध विकास विभाग, उ0प्र0 शासन की अध्यक्षता में मूल्यांकन एवं परीक्षण समिति गठित की जायेगी। मूल्यांकन एवं परीक्षण समिति द्वारा संस्तुत आवेदन/परियोजना प्रस्तावों पर स्वीकृति तथा धनावंटन राज्य स्तरीय इम्पावर्ड समिति द्वारा की जायेगी। स्वीकृत परियोजनाओं का क्रियान्वयन जनपद स्तर पर परियोजना क्रियान्वयन समिति एवं मण्डल स्तर पर मण्डल स्तरीय अनुश्रवण समिति तथा राज्य स्तर पर राज्य स्तरीय इम्पावर्ड समिति द्वारा किया जायेगा। उ0प्र0 दुग्ध नीति-2018 के शेष प्राविधान एवं शर्तें यथावत रहेगी।

उत्तर प्रदेश फार्मास्युटिकल उद्योग नीति (द्वितीय संशोधन) 2021 प्रस्तावित

उत्तर प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश फार्मास्यिुटिकल उद्योग नीति (द्वितीय संशोधन) 2021 प्रस्तावित की है। इसके तहत सक्रिय फार्मास्युटिकल सामग्री (एपीआई), मुख्य प्रारंभिक सामग्री (केएसएम), ड्रग इंटरमीडिएट (डीआई) और चिकित्सा युक्तियों को सम्मिलित किया है। इसमें सीएसआईआर अनुसंधान संस्थानों और उत्तर प्रदेश के प्रमुख औषधि अनुसंधान संस्थानों के सहयोग से राज्य अनुसंधान परियोजनाओं को प्रायोजित किये जाने का प्रस्ताव है।

इस नीति में नवाचारों और स्टार्टअप को बढ़ावा-उत्तर प्रदेश स्टार्टअप नीति, 2020 के तहत स्थापित उत्तर प्रदेश स्टार्ट-अप फंड का उपयोग मुख्य प्रारंभिक सामग्री और ड्रग इंटरमीडिएट सहित बल्क ड्रग/एपीआई और चिकित्सा युक्तियों के निर्माण को बढ़ावा मिलेगा। प्रति फार्मा पार्क प्रति वर्ष 1 करोड़ रुपये की अधिकतम सब्सिडी के अधीन 7 वर्षों के लिए भूमि खरीदने के लिए लिए गए ऋण पर वार्षिक ब्याज के 50 प्रतिशत की ब्याज की प्रतिपूर्ति के रूप में ब्याज सब्सिडी मिलेगी। निजी फार्मास्युटिकल पार्कों में सामान्य बुनियादी ढांचे और उपयोगिताओं को विकसित करने के लिए पूंजीगत सब्सिडी निवेश मूल्य का 15 प्रतिशत होगी । यह सब्सिडी सामान्य बुनियादी ढांचे और उपयोगिताओं में जैसे- कोल्ड स्टोरेज, गोदाम, सामान्य परीक्षण सुविधाओं के विकास के लिए प्रदान की जाएगी, जो अधिकतम 25 करोड़ की सीमा के अधीन है । सड़क, पार्क, ड्रेनेज सिस्टम के निवेश पर कैपिटल सब्सिडी नहीं दी जाएगी। पात्र सब्सिडी 7 वर्ष की अवधि में किश्तों में प्रदान की जाएगी और प्रथम किस्त वास्तविक उत्पादन शुरू होने के बाद प्रदान की जाएगी ।

इस नीति के तहत फार्मास्युटिकल इकाइयों को प्रोत्साहित किया जायेगा। इसमें अधिकतम 1 करोड़ रूपये प्रति वर्ष सब्सिडी मिलेगी। इसके तहत संयंत्र और मशीनरी की खरीद हेतु लिए गए ऋण पर प्रतिपूर्ति के रूप में 5 वर्षों के लिए ब्याज राशि का 50 प्रतिशत ब्याज सब्सिडी प्रति यूनिट प्रति वर्ष प्रदान की जायेगी।

उद्योग अनुसंधान सब्सिडी में औद्योगिक अनुसंधान, गुणवत्ता सुधार और उत्पादों के विकास हेतु परीक्षण प्रयोगशालाओं और गुणवत्ता प्रमाणन प्रयोगशालाओं की स्थापना के लिए संयंत्र, मशीनरी और उपकरणों की खरीद पर खर्च के लिए लिये गये ऋण पर प्रतिपूर्ति के रूप में 5 वर्षों के लिए प्रति वर्ष ब्याज राशि का 50 प्रतिशत ब्याज सब्सिडी, अधिकतम रूपये 2 करोड़ सीमा तक प्रदान की जायेगी। इस नीति के तहत संयंत्र और मशीनरी के निवेश पर पूंजीगत सब्सिडी प्रदान की जाएगी। सब्सिडी की राशि निवेश मूल्य का 15 प्रतिशत होगी, जो अधिकतम 200 करोड़ रुपये होगी। पात्र सब्सिडी 7 वर्ष की अवधि में किश्तों में प्रदान की जाएगी और प्रथम किस्त वास्तविक उत्पादन शुरू होने के बाद प्रदान की जाएगी ।

उद्योग नीति के अन्तर्गत बल्क ड्रग पार्क और मेडिकल डिवाइस पार्क के लिए विशेष पैकेज की व्यवस्था की गयी है। इसके तहत बल्क ड्रग पार्कों/चिकित्सा युक्ति पार्कों में स्थापित इकाइयों को 10 वर्ष की अवधि के लिए ब्याज अनुदान प्रदान किया जाएगा साथ ही एयर कार्गाे हैंडलिंग चार्ज और फ्रेट इंसेंटिव कच्चे माल और तैयार माल को देश के अन्दर लाने एवं देश के बाहर ले जाने के लिए राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर तय की गई दर पर एयर कार्गाे हैंडलिंग चार्ज और फ्रेट चार्ज के लिए विशेष प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा। अनुसंधान एवं विकास संस्थान को सहायता प्रदान करने के लिए बायोटेक, चिकित्सा युक्तियों और फार्मा क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा दिया जायेगा। इसके तहत स्थापित नए अनुसंधान एवं विकास संस्थानों को भूमि एवं भवन लागत को छोड़कर, स्थापित करने हेतु लिए गए ऋण पर 60 प्रतिशत ब्याज की प्रतिपूर्ति के रूप में पूंजीगत ब्याज सब्सिडी, प्रति परियोजना अधिकतम 2 करोड़ रूपये की सहायता प्रदान की जाएगी। साथ ही क्लिनिकल परीक्षण के लिए पॉलिसी अवधि के दौरान एक वित्तीय वर्ष में उत्तर प्रदेश के भीतर स्थित अनुसंधान एवं विकास संस्थानों को प्रति नैदानिक परीक्षण पर किये गये कुल व्यय का 75 प्रतिशत अधिकतम 2 करोड़ रूपये की प्रतिपूर्ति की जायेगी।

इसी प्रकार नीति अवधि के दौरान एक वित्तीय वर्ष में उत्तर प्रदेश के भीतर स्थित यूजीसी/सरकार/एआईसीटीई द्वारा अनुमोदित मान्यता प्राप्त अनुसंधान एवं विकास संस्थान को किसी भी औद्योगिक इकाई/उद्योग संघ द्वारा अनुबंधित/प्रायोजित बायोटेक और फार्मास्युटिकल अनुसंधान परियोजनाओं के अनुसंधान कार्य के लिए पात्र परियोजनाओं को लागत का 50 प्रतिशत अर्थात सब्सिडी पर अधिकतम 2 करोड़ रूपये की सीमा तक सहायता प्रदान की जा सकेगी। साथ ही प्रदत्त पेटेण्ट पर, घरेलू पेटेण्ट के लिए पेटेण्ट फाइलिंग लागत का 100 प्रतिशत तक अधिकतम 1.5 लाख रूपये तथा अन्तर्राष्ट्रीय पेटेण्ट के लिए वास्तविक पेटेण्ट फाइलिंग लागत का 50 प्रतिशत तक अधिकतम 5.0 लाख रूपये तक पेटेण्ट फाइलिंग शुल्क प्रतिपूर्ति की जायेगी। वही आयुष और फाइटोमेडिसिन का निर्माण करने वाली इकाइयां पॉलिसी अवधि में प्रदत्त पेटेंट पर वास्तविक पेटेंट फाइलिंग लागत की पूर्ण प्रतिपूर्ति के लिए पात्र होंगी ।

निर्यात के लिए प्रमाणन/अनुमोदन-एपीआई/फार्मूलेशन के निर्यात के लिए यूएसएफडीए, डब्ल्यूएचओ प्री-क्वालिफिकेशन, ईडीक्यूएम, एमएचआरए या किसी अन्य अंतर्राष्ट्रीय प्रमाणपत्र/अनुमोदन/अनुमोदन/अनुमोदन के लिए किए गए आवेदन व्यय का 50 प्रतिशत प्रति यूनिट अधिकतम 10 उत्पाद तक 25 लाख रुपये प्रति उत्पाद की प्रतिपूर्ति मिलेगी। यह प्रोत्साहन कम से कम 100 करोड़ रुपये के वाणिज्यिक निर्यात के सत्यापन के बाद दिया जाएगा। उद्यमियों की सहायता हेतु एफएसडीए नोडल अधिकारी नामित किया जायेगा। एफएसडीए टीम द्वारा परियोजना का पूर्व-परामर्श के लिए निवेशक द्वारा प्रस्तुत परियोजना और भवन योजना का डोजियर का अध्ययन करने के लिए निवेशक को लेटर ऑफ कम्फर्ट जारी किया जाएगा। केंद्र सरकार की योजना के तहत स्वीकृत कोई भी बल्क ड्रग पार्क/मेडिकल डिवाइस पार्क उद्योग विकास विभाग द्वारा विकसित किया जाएगा।

5 लाख से अधिक युवाओं को प्रशिक्षित किया गया

प्रदेश के व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कपिल देव अग्रवाल ने बताया कि उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन द्वारा प्रदेश के 14 से 35 आयुवर्ग के अल्पशिक्षित तथा स्कूल ड्रापआउट युवाओं को निःशुल्क व्यावसायिक प्रशिक्षण देकर उन्हें आजीविका उपार्जन हेतु सक्षम बनाने की दृष्टि से अल्पकालीन कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किये जा रहे है, जिसके तहत बेरोजगार युवकों को रोजगार प्राप्त करने मे मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ता। उन्होंने बताया कि प्रदेश की वर्तमान सरकार के कार्यकाल में लगभग 05 लाख से अधिक युवाओं को विभिन्न ट्रेडों में प्रशिक्षित किया गया है। इस प्रकार उ.प्र.कौशल विकास मिशन द्वारा इस अवधि में लगभग 09 लाख युवाओं को विभिन्न रोजगारपरक टेªड्स में प्रशिक्षित किया गया। 

इसे भी पढ़ें: वरुण गांधी ने न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कानूनी गारंटी देने की मांग की 

कौशल विकास मंत्री जी ने बताया कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में सेवायोजित युवाओं की संख्या में लगभग 03 लाख की वृद्धि हुयी है। वर्ष 2017-18 से वर्ष 2020-21 की अवधि में लगभग 04 लाख से अधिक युवाओं को विभिन्न टेªड्स में रोजगार उपलब्ध कराया गया। वर्ष 2017-18 से वर्ष 2020-21 की अवधि में डीडीयू-जीकेवाई सहित अन्य योजनाओं के अन्तर्गत 735 निजी प्रशिक्षण प्रदाताओं को अनुबंधित किया गया।

मंत्री जी ने बताया कि उ0प्र0 कौशल विकास मिशन के प्रशिक्षण कार्यक्रमों की गुणवत्ता में सुधार की दृष्टि से समस्त प्रशिक्षण केन्द्रों पर आधार इनेबुल्ड बायोमैट्रिक उपस्थिति का अंकन अनिवार्य कर दिया गया है ताकि शासकीय धनराशि का अधिकतम सदुपयोग हो सके। उ0प्र0 कौशल विकास मिशन द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रमों के संचालन हेतु आधुनिक एवं उच्च प्रकृति का स्वयं द्वारा प्रबंधित पोर्टल विकसित कर क्रियाशील किया गया है। उ0प्र0 कौशल विकास मिशन द्वारा आर0पी0एल0 के माध्यम से 2.00 लाख से अधिक अप्रमाणित कुशल कामगारों को प्रशिक्षित व प्रमाणीकृत कराया गया है। जनपद वाराणसी व चन्दौली के गैर-प्रमाणित शिल्पकारों को आर0पी0एल0 के माध्यम से मान्यता प्रदान किये जाने की व्यवस्था को लागू किया गया है। उन्होंने बताया कि रेडियो जिंगल्स के माध्यम से ऑल इण्डिया रेडियो के 12 प्राइमरी चैनलों, एफ.एम. रेनबो तथा 5 निजी एफ.एम चैनलों में रेडियो मिर्ची, रेडियो सिटी, फीवर एफ.एम., बिग एफ.एम. व रेड एफ.एम. के माध्यम से उ0प्र0 कौशल प्रशिक्षण योजनाओं का प्रचार-प्रसार कराते हुये अधिकाधिक युवाओं को प्रशिक्षण से जोड़ा गया है। साथ ही एल.ई.डी मोबाइल वैन तथा नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से ग्रामीण व सुदूर क्षेत्रों में उ0प्र0 कौशल विकास मिशन के कार्यक्रमों व योजनाओं का प्रचार-प्रसार कराया गया है।

मंत्री जी ने बताया कि कौशल सतरंग कार्यक्रम के माध्यम से 07 संकल्पनाओं (सीएम युवा हबः मुख्यमंत्री युवा उद्यमिता विकास अभियान, सीएम एप्स मुख्यमंत्री अप्रेेन्टिसशिप प्रमोशन स्कीम, डी0एस0डी0पी0 जिला कौशल विकास योजना, आई0ई0सी0 गतिविधियां कौशल पखवाड़े का आयोजन, आई0आई0टी0 कानपुर व आई0आई0एम0 लखनऊ के साथ एमओयू, आर0पी0एल0 रिक्ग्नीशन ऑफ प्रायर लर्निंग तथा प्लेसमेंट एजेन्सीज के साथ अनुबंधन व रोजगार मेलों का आयोजन) को समन्वित कराते हुये उन्हे क्रियाशील किया गया है। विगत 04 वर्ष 05 माह से अधिक के समय में 26 वृहद भौतिक रोजगार मेलों तथा 44 ऑनलाइन रोजगार मेलों के माध्यम से 36,604 युवाओं को रोजगार प्रदान कराया गया है।

मंत्री जी ने बताया कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में पहली बार जून, 2018 में भारत सरकार व प्रदेश सरकार द्वारा संयुक्त रूप से रीजनल स्किल कॉम्पटीशन का आयोजन किया गया, जिसमें उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त 04 अन्य राज्यों के प्रशिक्षणार्थियों द्वारा भी प्रतिभाग किया गया है। कोविड संक्रमण के दौरान आनलाइन लर्निंग प्लेटफार्म कोर्सेरा के माध्यम से 50,000 युवाओं को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध करायी गयी। प्रशिक्षण के उपरांत सफल प्रशिक्षणार्थियों को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का प्रमाण पत्र प्राप्त होगा। प्रत्येक कौशल प्रशिक्षण योजना हेतु निर्धारित लक्ष्यों का 3 प्रतिशत भाग दिव्यांगजनों के प्रशिक्षण हेतु आरक्षित किया गया। वर्ष 2020-21 में यू.पी.एस.आर.एल.एम. से समन्वय कर 45 जनपदों में 27,000 से अधिक महिला स्वरोजगारियों को सिलाई-कढ़ाई के टेªड में प्रशिक्षित किया गया।

अब तक 55143 मीट्रिक टन की गयी धान की खरीद

उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों को उनकी उपज की कीमत मूल्य समर्थन योजना के अनुरूप या उससे अधिक दिलाने के उद्देश्य से किसानों से सीधे धान की खरीद करते हुए खरीफ क्रय वर्ष 2021-22 में अब तक विभिन्न क्रय केन्द्रों के माध्यम से, 55143.20 मीट्रिक टन धान किसानों से क्रय किया है।

खाद्य एवं रसद विभाग द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार आज 10668 मीट्रिक टन खरीद हुई है। इस योजना से अब तक 10814 किसान लाभान्वित हुए हैं और करीब 27.006 करोड़ रूपये का भुगतान उनके खातों में किया गया है।

प्रवेश परीक्षा का होगा आयोजन

राष्ट्रीय भारतीय सैनिक कॉलेज (आर०आई०एम०सी०), देहरादून की कक्षा-8 में प्रवेश हेतु सत्र जुलाई-2022 की प्रवेश योग्यता परीक्षा 18 दिसंबर 2021 को आयोजित होने वाली प्रवेश योग्यता परीक्षा में छात्रों को भांति छात्राओं को भी सम्मिलित किए जाने निर्णय लिया गया है। उप शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) षष्ठ मंडल, लखनऊ विभा मिश्रा ने यह जानकारी देते हुये बताया कि प्रवेश परीक्षा प्रदेशीय परीक्षा केन्द्र राजकीय जुबिली इण्टर कालेज, निकट सिटी रेलवे स्टेशन लखनऊ में आयोजित होगी।

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय भारतीय सैनिक कॉलेज (आर०आई०एम०सी०), देहरादून में प्रवेश पाने के लिए अब तक केवल छात्र ही आवेदन करने के पात्र थे। परंतु माननीय सर्वाेच्च न्यायालय में रिट याचिका पर पारित निर्णय के अनुसार 18 दिसंबर 2021 को आयोजित होने वाली प्रवेश योग्यता परीक्षा हेतु छात्रों की भांति छात्राओं के भी आवेदन पत्र स्वीकार किये जाने के लिए निर्देशित किया गया है। प्रवेश हेतु आवेदन पत्र इस कार्यालय में पंजीकृत /स्पीड पोस्ट एवं कोरियर द्वारा प्राप्त किए जाने की अंतिम तिथि 15 नवंबर 2021 निर्धारित की गई है। प्रवेश हेतु आयु-सीमा, शैक्षिक योग्यता में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है, केवल आवेदन पत्र प्राप्त होने की अंतिम तिथि 30 अक्टूबर 2021 को बढ़ाकर 15 नवंबर 2021 किया गया है। 

इसे भी पढ़ें: क्या शिवपाल के लिए प्रचार करेंगे मुलायम ? अगर अखिलेश के साथ नहीं बनी बात तो नेताजी करेंगे मदद 

15 सहायक लेखा परीक्षा अधिकारी जिला लेखा परीक्षा अधिकारी के पद पर पदोन्नति

उत्तर प्रदेश सरकार ने सहकारी समितियां एवं पंचायते विभाग के अन्तर्गत 15 सहायक लेखा परीक्षा अधिकारी को जिला लेखा परीक्षा अधिकारी के पद पर पदोन्नति प्रदान करते हुए अग्रिम आदेशों तक उनके वर्तमान तैनाती के स्थान पर कार्यभार ग्रहण करने की अनुमति प्रदान की है। इस सम्बन्ध में वित्त विभाग द्वारा आदेश जारी कर दिया गया है।

वित्त विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार जिन सहायक लेखा परीक्षा अधिकारियों को पदोन्नति प्रदान की गयी है, उनमे राज बहादुर सिंह, कालीदीन, राजकिशोर पाण्डेय, कैलाश नाथ चन्द्रवंशी, अरविन्द कुमार यादव, महेन्द्र कुमार द्विवेदी, राज नारायण यादव, चन्द्र प्रकाश राय, अरविन्द कुमार सिंह, प्रमोद कुमार वास्तव, रमेश चन्द्र शर्मा, राम प्यारे, नरेश कुमार अग्रवाल, दिनेश कुमार सिंह तथा फारूख अहमद खां सम्मिलित है।

पत्थरदेवा में भवन निर्माण के लिए धनराशि मंजूर

उत्तर प्रदेश सरकार ने जनपद देवरिया के विकासखण्ड पत्थरदेवा में जर्जर आवासीय/अनावासीय भवन एवं सभाकक्ष के निर्माण कार्य के लिए चालू वित्तीय 2021-22 में रूपये 100.00 लाख रूपये (रूपये सौ लाख मात्र) की धनराशि प्रथम किश्त के रूप में अवमुक्त कर दी है। इस कार्य हेतु ग्रामीण अभियंत्रण विभाग, प्रखण्ड देवरिया को कार्यदायी संस्था नामित किया गया है।

इस सम्बन्ध में ग्राम्य विकास विभाग द्वारा आवश्यक आदेश जारी किया गया है। आदेश में कहा गया है कि निर्धारित विशिष्टियों एवं मानकों के अनुसार गुणवत्ता पूर्ण कार्य संपादित कराया जायेगा। निर्माण कार्य की गुणवत्ता उत्कृष्ट कोटि की हो, इसकी पूर्ण करने की जिम्मेदारी कार्यदायी संस्था की होगी।

शीरा नीति 2021-22 को स्वीकृति प्रदान की गई

उत्तर प्रदेश सरकार ने शीरा नीति 2021-22 को स्वीकृृति प्रदान कर दी है। प्रत्येक वर्ष 01 नवम्बर से आगामी वर्ष 31 अक्टूबर तक की अवधि शीरा वर्ष होती हैं। इस अवधि में देशी मदिरा के मद में निहित राजस्व प्राप्त करने के लिये शीरे के आरक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए शीरा नीति का निर्धारण किया जाता है।

यह जानकारी देते हुए अपर मुख्य सचिव संजय आर. भूसरेड्डी ने बताया कि देशी शराब का उपभोग समाज के अल्प आय वर्ग द्वारा किया जाता है। इस वर्ग को गुणवत्ता तथा मानकयुक्त वैध देशी शराब सस्ते दामों पर उपलब्ध कराया जाना आवश्यक है क्योंकि सस्ते दामों पर वैध मदिरा उपलब्ध न होने की स्थिति में इनके द्वारा अवैध मदिरा का सेवन करने के कारण जनहानि की आशंका बनी रहती है। दूसरी ओर आबकारी राजस्व का लगभग 50 प्रतिशत अंश देशी मदिरा से ही प्राप्त होता है, अतः व्यापक जनहित एवं राजस्व हित में अपेक्षाकृत सस्ते दामों पर वैध व मानक मदिरा उपलब्ध कराने हेतु आवश्यक है कि समस्त देशी मदिरा आपूर्तक आसवनियों को उनकी आवश्यकतानुसार समुचित मात्रा में शीरा की उपलब्धता सुनिश्चित होती रहे।

इस सम्बंध में विस्तृत जानकारी देते हुए अपर मुख्य सचिव ने बताया कि शीरा वर्ष 2021-22 में शीरे के अनुमानित उत्पादन 570 लाख कुण्टल के सापेक्ष देशी मदिरा हेतु आरक्षित शीरे की आवश्यकता 117.32 लाख कुं0 आंकलित होती है। अतः देशी मदिरा आपूर्तक आसवनियों को समुचित मात्रा में शीरा की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु शीरा सत्र 2021-22 के लिए देशी मदिरा के लिए 18 प्रतिशत शीरा आरक्षित किया जाएगा। साथ ही आरक्षित एवं अनारक्षित शीरे के मध्य वार्षिक निकासी का अनुपात 1:4.55 निर्धारित किया गया है। चीनी मिलों के चलने के उपरान्त यथास्थिति/यथा आवश्यकता तत्समय शीरे की उपलब्धता एवं मदिरा की आवश्यकता के आधार पर आरक्षण के प्रतिशत में परिवर्तन पर भी विचार किया जा सकेगा। यदि कोई भी चीनी मिल या समूल केवल बी-हैवी शीरे का अथवा बी-हैवी और सी-हैवी दोनों प्रकार के शीरे का उत्पादन करती है तो बी-हैवी शीरे की उत्पादित मात्रा को सी-हैवी शीरे के समतुल्य आगणित करके सी-हैवी शीरे की कुल मात्रा के आधार पर 18 प्रतिशत शीरा देशी मदिरा हेतु आपूर्ति चीनी मिल अथवा समूह द्वारा की जायेगी। इस हेतु बी-हैवी शीरे से प्रति कुं0 31 ए.एल. अल्कोहल तथा सी-हैवी शीरे से प्रति कुं0 22.5 ए.एल. अल्कोहल रिकवरी के आधार पर आगणन किया जायेगा।

भूसरेड्डी ने बताया कि शीरा वर्ष 2020-21 के अवशेष आरक्षित शीरे के समतुल्य मात्रा को चीनी मिलों द्वारा देशी मदिरा की आसवनियों को ही विक्रय करते हुए अपनी इस अवशेष देयता को अनिवार्य रूप से माह जनवरी, 2022 तक शून्य करना होगा। प्रदेश में शीरे पर आधारित लघु इकाईयों को शीरे का आवंटन उ0प्र0 शीरा नियंत्रण अधिनियम-1964 (यथा संशोधित) में निहित व्यवस्था के अनुसार शीरा नियंत्रक के स्तर से किया जाएगा। शीरा आधारित नई इकाईयों की स्थापना के सम्बंध में एक लाख कुं0 शीरा प्रतिवर्ष की मांग वाली इकाईयों के मामले में निर्णय लेने का अधिकार आबकारी आयुक्त उ0प्र0 को प्रदत किया गया है। अन्य राज्यों से शीरा आयात करने के पूर्व आयातक को आबकारी आयुक्त एवं शीरा नियंत्रक से अनापत्ति प्रमाण-पत्र प्राप्त करना अनिवार्य होगा।

जेम पोर्टल पर उत्पादों की रेंज बढ़ेगी

उत्तर प्रदेश सरकार शासकीय विभागों में वस्तुओं एवं सेवाओं के क्रय हेतु जेम पोर्टल पर उत्पादों की रेंज का विस्तार करेगी। इसके लिए अभियान चलाकर हस्तशिल्पियों, बुनकरों, महिला उद्यमियों एवं जनजातीय उद्यमियों के उत्पादों को जेम पोर्टल पर ऑनबोर्ड किया जायेगा। इस सबंध में अपर मुख्य सचिव, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम डा0 नवनीत सहगल से जेम के मुख्य कार्यपालक अधिकारी प्रशांत कुमार सिंह ने मुलाकात की और नवम्बर माह में शुरू किये जाने वाले अभियान के संबंध मंे विस्तार से चर्चा की।

अपर मुख्य सचिव ने बताया कि भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय द्वारा केन्द्र सरकार, राज्य सरकार के मत्रांलयों, विभागों एवं सार्वजनिक क्षेत्र की इकाईयों में शासकीय उपयोग किये जाने वाले उत्पादों एवं सेवाओं की खरीद हेतु जेम पोर्टल का प्रारम्भ किया गया है। अब जेम पोर्टल को स्थानीय हस्तश्ल्पियों, बुनकरों, उद्यमियों, महिला उद्यमियों एवं जनजातीय उद्यमियों के लिए भी सुगम बनाया जायेगा। उन्होंने बताया कि प्रथम चरण में उत्तर प्रदेश के 10 मुख्य जनपदों जिसमें मिर्जापुर, भदोही, वाराणसी, गोरखपुर, लखनऊ कानपुर, कन्नौज, आगरा, अलीगढ़, मुरादाबाद, मेरठ एवं ग्रेटर नोएडा में ‘‘जेम इवेंट’’ का आयोजन किया जायेगा। इस कार्यक्रम में मुख्य जनपद एवं निकटवर्ती जनपदों के स्थानीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमियों, औद्योगिक संगठनों एवं जनपद के गणमान्य व्यक्तियों द्वारा सहभागिता सुनिश्चित कराई जायेगी। इस कार्यक्रम को जेम दिल्ली एवं सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम तथा निर्यात प्रोत्साहन विभाग’’ उ0प्र0 के समन्वित प्रयास से सम्पन्न किया जायेगा।

अपर मुख्य सचिव ने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्थानीय हस्तश्ल्पियों, बुनकरों, उद्यमियों, महिला उद्यमियों, जनजातीय उद्यमी, जो पूर्व में अपने उत्पादों को सरकारी विभागों में विक्रय नही कर पाते थे, उन्हें जेम पोर्टल की कार्य-प्रणाली से अवगत कराते हुए जेम पोर्टल पर पंजीकृत कराया जायेगा, जिसस कि वे ‘‘आत्मनिर्भर भारत’’ के तहत स्वावलम्बी बन सके। उन्होंने बताया कि इसके साथ ही जीआई उत्पादों को चिन्हित कर उन्हें जेम पोर्टल पर ऑनबोर्ड किया जायेगा। उन्होंने बताया कि देश में जेम पोर्टल पर 28,386 कारीगर एवं 1,49,429 बुनकर पंजीकृत हैं, जिसमें 4840 कारीगर एवं 6,865 बुनकर उत्तर प्रदेश के हैं। उत्तर प्रदेश के शासकीय विभागों द्वारा इस वित्तीय वर्ष में अब तक 2584.47 करोड़ रुपये मूल्य के उत्पादों एवं सेवाओं का क्रय जेम से किया जा चुका है।

ममता राजकीय मानसिक मंदित विद्यालय (बालिका)

प्रदेश सरकार ने गोरखपुर जिले के निर्माणाधीन ‘‘ममता’’ राजकीय मानसिक मंदित विद्यालय (बालिका) के निर्माण कार्य हेतु 250 लाख रूपये मंजूर किये हैं। यह धनराशि वर्तमान वित्तीय वर्ष में चतुर्थ किश्त के रूप में मंजूर की गयी है। मंजूर की गई धनराशि व्यय की स्वीकृति सहित निदेशक, दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग को उपलब्ध करा दी गई है।

दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग ने इस सम्बंध में आदेश जारी कर दिये हैं। आदेशानुसार इस धनराशि का आहरण एवं व्यय आवश्यकता एवं नियमानुसार किये जाने का पूर्ण दायित्व निदेशक, दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग एवं कार्यदायी संस्था का होगा। मंजूर की गई धनराशि के आहरण एवं व्यय में वित्तीय हस्तपुस्तिका के सुसंगत प्राविधानों, समय-समय पर निर्गत शासनादेशों/आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित किया जायेगा।

सिंचाई विभाग की नहरों की मरम्मत हेतु धनराशि अवमुक्त

सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग द्वारा सिंचाई विभाग की नहरों पर पक्की संरचनाओं की मरम्मत, पुनर्निर्माण एवं नवनिर्माण की तीन परियोजनाओं के लिए एकमुश्त प्राविधानित धनराशि 25000 लाख रूपये में से 580 लाख रूपये की धनराशि अवमुक्त की गयी है। 

इसे भी पढ़ें: पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाने वालों के खिलाफ दर्ज मामले में राजद्रोह की धारा जोड़ी गई 

इस संबंध में विशेष सचिव सिंचाई मुश्ताक अहमद की ओर से 29 अक्टूबर, 2021 को शासनादेश जारी करते हुए निर्देशित किया गया है। शासनादेश में कहा गया है कि सक्षम स्तर से तकनीकी स्वीकृति प्राप्त करने के पश्चात ही कार्य शुरू कराया जाये। विभाग द्वारा नियमानुसार समस्त आवश्यक वैधानिक आपत्तियां एवं पर्यावरणीय क्लीयरेंस सक्षम स्तर से प्राप्त करके ही निर्माण कार्य कराया जाये।

इसके अलावा परियोजना का निर्माण कार्य समय से पूरा कराने के साथ ही धनराशि व्यय करते समय शासन द्वारा समय-समय पर जारी सुसंगत शासनादेशों का अनुपालन अनिवार्य रूप से किया जाये। धनराशि का व्यय स्वीकृत परियोजनाओं पर ही किया जाये ऐसा न किये जाने पर किसी प्रकार की अनियमितता के लिए विभाग की जिम्मेदारी होगी। स्वीकृत धनराशि का उपयोग स्वीकृत परियोजनाओं पर ही किया जाये। ऐसा न किये जाने पर किसी प्रकार की गड़बड़ी होने पर समस्त उत्तरदायित्व विभाग का होगा।

मैनपुरी एवं फिरोजाबाद की नहरें

सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग द्वारा जनपद फतेहपुर, मैनपुरी एवं फिरोजाबाद की नहरों पर स्थित पुल/पुलियों के कार्यों की तीन परियोजनाओं हेतु प्राविधानित धनराशि 25000 लाख रूपये में से 265 लाख रूपये की धनराशि अवमुक्त की गयी है।

इस संबंध में विशेष सचिव सिंचाई मुश्ताक अहमद की ओर से 29 अक्टूबर, 2021 को शासनादेश जारी करते हुए निर्देशित किया गया है। शासनादेश में कहा गया है कि सक्षम स्तर संे तकनीकी स्वीकृति प्राप्त करने के पश्चात ही कार्य शुरू कराया जाये। विभाग द्वारा नियमानुसार समस्त आवश्यक वैधानिक आपत्तियां एवं पर्यावरणीय क्लीयरेंस सक्षम स्तर से प्राप्त करके ही निर्माण कार्य कराया जाये। परियोजना में कास्ट एवं टाइम ओवररन न हो तथा परियोजना में कराये जा रहे कार्यों पर गुणवत्ता नियंत्रण सम्बंधी मुख्य अभियंता द्वारा सुनिश्चित किया जाय।

इसके अलावा परियोजना का निर्माण कार्य समय से पूरा कराने के साथ ही धनराशि व्यय करते समय शासन द्वारा समय-समय पर जारी सुसंगत शासनादेशों का अनुपालन अनिवार्य रूप से किया जाये। धनराशि का व्यय स्वीकृत परियोजनाओं पर ही किया जाये ऐसा न किये जाने पर किसी प्रकार की अनियमितता के लिए विभाग की जिम्मेदारी होगी। स्वीकृत धनराशि का उपयोग स्वीकृत परियोजनाओं पर ही किया जाये। ऐसा न किये जाने पर किसी प्रकार की गड़बड़ी होने पर समस्त उत्तरदायित्व विभाग का होगा।

नागरिकों में जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूकता कई गुना बढ़ी

इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित दो दिवसीय उत्तर प्रदेश जलवायु परिवर्तन कॉन्क्लेव-2021 के द्वितीय दिवस का शुभारम्भ आज योग गुरु और (वस्तुतः) आध्यात्मिक नेता गुरुदेव रविशंकर एवं केंद्रीय इस्पात तथा ग्रामीण विकास राज्य मंत्री, भारत सरकार फग्गन सिंह कुलस्ते द्वारा किया।

गुरुदेव रविशंकर ने कॉन्क्लेव की सराहना की और योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में इस दिशा में राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे अच्छे कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि हिंदू संस्कृति में किसी भी नए प्रतिष्ठान से पहले बीज बोना और न केवल बीज बोना, उस प्रतिष्ठान की सफलता और समृद्धि के लिए शुभ माना जाता है, बल्कि जलवायु परिवर्तन को कम करने में भी योगदान देता है। उन्होंने कहा कि वृक्षारोपण और सकारात्मक मानसिकता रखने से भी जलवायु परिवर्तन को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि पानी की सफाई न केवल जलवायु और स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि देवी लक्ष्मी (धन की देवी) को भी आकर्षित करती है। आध्यात्मिक नेता ने प्लास्टिक को जलाकर खतरनाक उत्सर्जन पर भी विचार-विमर्श किया क्योंकि यह वातावरण में डाइऑक्सिन, फ्यूरान, पारा और पॉलीक्लोरीनेटेड बाइफिनाइल जैसी जहरीली गैसों का उत्सर्जन करता है तथा वनस्पति, और मानव एवं पशु स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा करता है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन शमन की दिशा में राज्य सरकार और देश के नागरिकों के प्रयासों की सराहना करते हुए दर्शकों से इस कारण के प्रति सामूहिक और अधिक आक्रामक दृष्टिकोण रखने की अपील की।

फग्गन सिंह कुलस्ते ने कहा कि चाहे वृक्षारोपण हो या नदियों की सफाई उ0प्र0 राज्य हाल के वर्षों में जादुई रूप से बदल गया है जो बदले में जलवायु परिवर्तन शमन की दिशा में बहुत सार्थक साबित हुआ है। उन्होंने कहा कि आजकल नागरिकों में जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूकता कई गुना बढ़ी है और सामूहिक प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने इस दो दिवसीय ज्ञानवर्धक सम्मेलन के दौरान विशेषज्ञों द्वारा की गई सिफारिशों का एक विस्तृत सेट प्रस्तुत करने का अनुरोध किया।

मनोज सिंह, आईएएस, अपर मुख्य सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, उत्तर प्रदेश ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में, पूरी दुनिया ने जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी प्रभावों को देखा है जिसने वैश्विक पारिस्थितिक तंत्र, स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति और मानव स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना करने के लिए स्थानीय स्तर पर इसके प्रभावों को कम करने और गुरुदेव रविशंकर जी द्वारा दिए गए निर्देशों को आत्मसात करने के प्रयास शुरू करना बहुत महत्वपूर्ण है।

विशेषज्ञों, पर्यावरणविदों, वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों, सरकारी प्रतिनिधियों और विद्वानों के विचार-विमर्श को कवर करते हुए कुल 11 शैक्षिक तकनीकी सत्र दो दिनों में सम्पन्न हुए। जलवायु कार्रवाई में पर्यावरणीय कानूनी ढांचे की भूमिका; उत्तर प्रदेश में जलवायु विज्ञान-डिकोडिंग 1-5 डिग्री सेंटीग्रेड और जलवायु संवेदनशीलता; अनुकूलन, शमन और हरित ऊर्जा के लिए जलवायु परिवर्तन-नीतियां और शासन; विकास योजनाओं/योजना में सी.सी.ए. और डी.पी.आर. का एकीकरण (ग्राम पंचायत विकास योजना/स्थानीय योजना पर ध्यान दें); जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं के लिए प्रकृति आधारित समाधान; सस्टेनेबल लाइफस्टाइल और कार्बन फुटप्रिंट, जलवायु न्यूनीकरण के लिए परिपत्र अर्थव्यवस्था, संसाधन दक्षता और स्वच्छ उत्पादन; जलवायु परिवर्तन और वायु प्रदूषण को संबोधित करने के लिए अनुसंधान, ज्ञान और सूचना की आवश्यकता; वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के बीच सामंजस्य स्थापित करने की चुनौतियां, अवसर और भविष्य की संभावनाएं; वित्त पोषण जलवायु कार्रवाई, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के लिए अवसर और चुनौतियां; जलवायु वकालत और जागरूकता आदि में मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण है।

कार्यक्रम में अपर मुख्य सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मनोज सिंह, प्रधान मुख्य वन संरक्षक और विभागाध्यक्ष सुनील पाण्डेय, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, वन्यजीव पवन शर्मा, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक, योजना एवं कृषि वानिकी मुकेश कुमार, प्रमुख सचिव, ग्रामीण इंजीनियरिंग सेवा और खेल कल्पना अवस्थी, सचिव, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन आशीष तिवारी, इंडो अमेरिकन चौंबर ऑफ चेयरमैन ऑफ कॉमर्स, लखनऊ चौप्टर के अध्यक्ष मुकेश सिंह, अध्यक्ष आर्थर डी लिटिल इंडिया प्रा0 लिमिटेड ब्रजेश सिंह, निदेशक-परिपत्र अर्थ व्यवस्था और जलवायु परिवर्तन, जी0आई0जेड0 इंडिया आशीष चतुर्वेदी मौजूद थे।

जजशिप बांदा में सिविल कोर्ट परिसर में 7 कोर्ट रूम के निर्माण हेतु धनराशि स्वीकृत

उत्तर प्रदेश सरकार ने जजशिप बांदा में सिविल कोर्ट परिसर में 07 कोर्ट रूम के निर्माण हेतु 782.15 लाख रूपये (सात करोड़ बयासी लाख पन्द्रह हजार रूपये) की अवशेष धनराशि की स्वीकृति प्रदान कर दी है।

इस सम्बंध में न्याय विभाग द्वारा शासनादेश जारी कर दिया गया है। जारी शासनादेश में यह भी निर्देश दिये गये हैं कि स्वीकृत धनराशि जिस कार्य में स्वीकृत किया गया है, उसका व्यय प्रत्येक दशा में उसी कार्य में किया जाय। 

इसे भी पढ़ें: गाजीपुर में किसानों के प्रदर्शन स्थल से अवरोधक हटाने का काम शुरू 

न्यायिक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान गोमती नगर

उत्तर प्रदेश सरकार ने न्यायिक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान गोमती नगर लखनऊ परिसर में प्रस्तावित 400 बेडेड हास्टल (200 कक्ष) के निर्माण हेतु 682.22 लाख रूपये (छः करोड़ अट्ठासी लाख बाइस हजार रूपये) की स्वीकृति प्रदान कर दी है।

इस सम्बंध में न्याय विभाग द्वारा शासनादेश जारी कर दिया गया है। जारी शासनादेश में यह भी निर्देश दिये गये हैं कि स्वीकृत धनराशि जिस कार्य में स्वीकृत किया गया है, उसका व्यय प्रत्येक दशा में उसी कार्य में किया जाय। स्वीकृत धनराशि का उपयोग 31 मार्च, 2022 तक अवश्य कर लिया जाय।

विभिन्न जनपदों के राजमार्गों के चौड़ीकरण धनराशि अवमुक्त

उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के निर्देशों के क्रम में विभिन्न जनपदों के राजमार्गों के चौड़ीकरण/सुदृढ़ीकरण के लिए 12 चालू कार्यों हेतु रू0 01 अरब 13 करोड़ 59 लाख 44 हजार की धनराशि का आवंटन उ0प्र0 शासन द्वारा किया गया है। इस सम्बन्ध में आवश्यक शासनादेश उ0प्र0 शासन लोक निर्माण विभाग द्वारा जारी कर दिया गया है।

इन 12 चालू कार्यों में जनपद आजमगढ़, चित्रकूट, औरैया, अलीगढ़ बांदा, सीतापुर, गोण्डा, बलरामपुर, बाराबंकी तथा जौनपुर के कार्य शामिल हैं। जारी शासनादेश में निर्देशित किया गया है कि आवंटित धनराशि का उपयोग अंकित परियोजनाओं पर ही मानक/विशिष्टियों के अनुरूप एवं वित्त विभाग द्वारा निर्गत आदेशों/ज्ञापों तथा बजट मैनूअल और वित्तीय हस्तपुस्तिका के नियमों/स्थाई आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित करते हुये व्यय की जायेगी।

उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने निर्देश दिये हैं कि इन कार्यों में वित्तीय नियमों का अक्षरसः अनुपालन सुनिश्चित किया जाय तथा जारी शासनादेशों में उल्लिखित दिशा-निर्देशों का अनुपालन हर हाल में सुनिश्चित किया जाय।

परियोजना को पूर्ण कराये जाने संबंधी आदेश निर्गत

जनपद वाराणसी में एकीकृत मण्डल स्तरीय कार्यालय निर्माण संबंधी परियोजना को जिस रूप में जिस स्तर तक कार्यवाही की गयी है, उस स्तर तक इसे “गाइडलाइन्स फॉर सेलेक्शन ऑफ कन्सल्टेन्ट्स एण्ड डेवलपर्स फॉर पी0पी0पी0 प्रोजेक्ट्स इन उत्तर प्रदेश-2016“ यथा-संशोधित के प्रावधानों से छूट प्रदान करते हुए आगे की कार्यवाही गाईडलाइन्स के प्राविधान के अनुसार पूर्ण कराया जाना प्रस्तावित है।

इस संबंध में जानकारी देते हुए प्रमुख सचिव दीपक कुमार ने बताया कि मा0 मुख्यमंत्री जी के समक्ष दिनांक 25 मई, 2020 को की गयी प्रस्तुतीकरण में पायलट प्रोजेक्ट के रूप गोरखपुर एवं वाराणसी मण्डल के एकीकृत मण्डलीय कार्यालयों के निर्माण हेतु मा0 मंत्रि परिषद का अनुमोदन प्राप्त हुआ तथा तद्नुसार शासनादेश दिनांक 08.12.2020. निर्गत किया गया। वाराणसी में एकीकृत मण्डलीय कार्यालय के निर्माण हेतु वास्तुविद तथा परियोजना के तकनीकी सलाहकार का चयन किया जा चुका है। वास्तुविद द्वारा डी0पी0आर0 का प्रस्तुतीकरण तथा ट्रंजेक्शन एडवाइजर द्वारा परियोजना के टेण्डर हेतु आर0एफ0पी0 डाक्यूमेंट का प्रस्तुतीकरण किया जा चुका है।

वाराणसी में एकीकृत मण्डलीय कार्यालय की परियोजना के डी0पी0आर0 के कान्सेप्ट इस्टीमेट, स्कोप/डिजाइन व लागत आदि पर राज्य स्तरीय समिति की बैठक दिनांक 10.08.2021 में विचार-विमर्श कर निर्णय लिया गया कि वाराणसी में एकीकृत मण्डलीय कार्यालय के निर्माण के संबंध में अन्य बिन्दु के साथ इस बिन्दु पर कि “प्रश्नगत परियोजना में पी0पी0पी0 गाइडलाइन्स, 2016 की प्रायोज्यता“ के सम्बन्ध में उक्त गाईड लाईन्स से परियोजना को छूट प्रदान किये जाने हेतु सक्षम स्तर का अनुमोदन प्राप्त किया जाए।

तदक्रम में शासन द्वारा जनपद वाराणसी मे प्रस्तावित एकीकृत मण्डल स्तरीय कार्यालय निर्माण संबंधी परियोजना में जिस रूप में जिस स्तर तक कार्यवाही की गयी है, उस स्तर तक इसे “गाइडलाइन्स फॉर सेलेक्शन ऑफ कन्सल्टेन्ट्स एण्ड डेवलपर्स फॉर पी0पी0पी0 प्रोजेक्ट्स इन उत्तर प्रदेश-2016“ यथा-संशोधित के प्रावधानों से छूट प्रदान करते हुए आगे की कार्यवाही गाइडलाइन्स के प्राविधान के अनुसार पूर्ण कराये जाने संबंध आदेश निर्गत किया गया है।

आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार कर रहे विकास दीपोत्सव मेले

भारत को त्योहारों का देश कहा जाता है। होली, दीपावली, रक्षाबंधन, नवरात्र, ईद, गुरुपूर्णिमा एवं क्रिसमस जैसे अनेक त्योहारों का आयोजन पूरे वर्ष भर चलता रहता है। जिसमें आपसी प्रेम, भाई-चारा, सौहार्द के वातावरण में सभी इसमें आनन्द की प्राप्ति करते हैं। प्रत्येक त्योहार में एक मुख्य आकर्षण होता है त्योहारों से जुड़ी मान्यताओं, परम्पराओं के आधार पर की जाने वाली खरीददारी। प्रत्येक त्योहार पर बाजार ऐसी वस्तुओं से पट जाता है जिनका किसी न किसी प्रकार का जुड़ाव उन त्योहारों से होता है। होली में जहां पिचकारी व रंगो की धूम रहती है तो दीपावली में दिए, लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियांे, लाई, बताशा आदि से पूरा बाजार गुलजार हो जाता है। अपनी-अपनी सामर्थ्य एवं आवश्यकता के अन्तर्गत सभी लोग कुछ न कुछ खरीददारी करते हैं। इस प्रकार हर्ष एवं उल्लास का वातावरण बना रहता है। 

इसे भी पढ़ें: चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर बोले, भाजपा अगले कई दशकों तक कहीं नहीं जाने वाली 

प्रत्येक त्योहार हमें आपसी सद्भाव, प्रेम की शिक्षा देता है। साथ ही एक बहुत महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भी कि हम समाज के सभी वर्गों के हित में वृद्धि के लिए ऐसे प्रयास करें कि त्योहार के साथ एक बेहद सामान्य से सामान्य व्यक्ति भी जुड़ पाए। छोटे-छोटे सामान बनाने वाले कारीगरों, हस्तशिल्पियों, मूर्तिकारों की भी दीपावली प्रकाशमय हो सके एवं स्ट्रीट वेण्डर्स, पटरी, रेहड़ी, ठेले, खोमचे पर अपनी छोटी-छोटी दुकान लगाने वाले दुकानदारों की दीपावली भी प्रकाश से गुलजार हो सके, उनके जीवन में भी मिठास आ सके, उनके उत्पादों को एक बाजार, एक मंच मिल सके, इसके लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की संवेदनशील सोच को प्रदेश केे नगर विकास विभाग द्वारा साकार किया जा रहा है। प्रदेश सरकार विकास दीपोत्सव मना रही है। इसके अन्तर्गत 28 अक्टूबर, 2021 से 4 नवम्बर, 2021 तक प्रदेश के समस्त नगर निगमों एवं नगरपालिकाओं में ’’भव्य दीपावली मेला’’ का आयोजन किया जा रहा है। इन मेलों के अन्तर्गत पटरी, रेहड़ी, विक्रेताओं को उनकी सामग्रियों एवं उत्पादों को बिक्री के लिए एक मंच प्रदेश सरकार की ओर से प्रदान किया जा रहा है। दीपावली मेले के अन्तर्गत स्थानीय कारीगरों द्वारा बनाए गए उत्पादों, हस्तशिल्प, दीयों, मूर्तियों एवं सजावटी उत्पादों की बिक्री उन्ही के द्वारा की जा रही है। ऐसे ही मेले का लखनऊ में गोमतीनदी के तट पर स्थित झूलेलाल पार्क में 28 अक्टूबर, 2021 को मा0 मुख्यमंत्री जी द्वारा उद्घाटन किया गया है। इसमें मा0 मुख्यमंत्री जी ने स्ट्रीट वेण्डर्स, स्वनिधि मित्रों एवं स्वच्छकारों को सम्मानित भी किया है। 28 अक्टूबर 2021 को ही प्रदेश के सभी नगर निगमों, 200 नगर पालिका परिषदों में भी विकास दीपोत्सव-2021 के अंतर्गत नगर विकास विभाग द्वारा प्रदर्शनी लगायी गयी है।

ऐसे मेलों के आयोजन से स्थानीय कारीगरों, हस्तशिल्पियों, स्ट्रीट वेण्डर्स को अपने उत्पादों को एक ही स्थान पर बिक्री करने का एक मंच मिल रहा है। जनसामान्य की अधिक से अधिक भागीदारी से मेलों की सार्थकता सिद्ध हो रही है। कोरोना काल में सर्वाधिक नुकसान छोटे-छोटे दुकानदारों, रेहड़ी, खोमचे वालों तथा स्थानीय कारीगारों को हुआ। ऐसे में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्रमोदी जी ने ’’वोकल फॉर लोकल’’ और ’’आत्मनिर्भर भारत’’ का मंत्र दिया, जिन्हें प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित ऐसे मेलों से बल मिल रहा है। दीपावली मेलों में उत्पादों की बिक्री के अलावा प्रदेश सरकार की प्रगति एवं उपलब्धियों पर आधारित प्रदर्शनी का भी आयोजन किया जा रहा है। प्रतियोगी छात्र एवं सामान्य जन इनसे प्रदेश की विकास यात्रा से परिचित हो अपने ज्ञान में वृद्धि कर सकते हैं।

मेले में दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय आजीविका मिशन के अंतर्गत स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगाई जा रही है। मेले में प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना में पंजीकरण के लिए डेस्क भी है। जिसके माध्यम से दुकानदार अपना पंजीयन कराकर इस योजना का लाभ ले सकते हैं। दीपावली मेले के अंतर्गत प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी एवं स्थानीयता को प्रोत्साहन देने वाली ’’एक जनपद-एक उत्पाद’’ (ओ0डी0ओ0पी0) के स्टाल भी लगाए जा रहे हैं। इससे जनसामान्य को भी इस योजना की जानकारी हो रही है साथ ही इन उत्पादों की बिक्री भी बढ़ रही है। कोविड-19 के दृष्टिगत मेले में कोविड टीकाकरण डेस्क भी स्थापित किया जा रहा है जहाँ कोविड वैक्सीन लगवाने के योग्य एवं इच्छुक व्यक्ति वैक्सीन लगवा सकते हैं। मेला फूड कोर्ट व फन जोन के बिना अधूरा लगता है। अतः ऐसे आयोजन में इनके स्टॉल भी लगाए गए हैं। मेले में आने वाले लोग अपने साथ स्थायी याद के रूप में फोटो खींच सके, इसके लिए सभी स्थानों पर सेल्फी-प्वाइंट भी बनाए गए हैं।

इसी प्रकार प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 27 अक्टूबर 2021 को संगीत नाटक अकादमी के प्रांगण में माटी कला बोर्ड द्वारा 10 दिवसीय माटीकला मेले एवं सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें प्रदेश के अनेक जनपदों से कुम्हारी कला से जुडे़ शिल्पकार, अपने-अपने उत्पादों के साथ प्रतिभाग कर रहे हैं। इनमंे गोरखपुर के टेराकोटा के शिल्पकार हरिओम आजाद, हुसैनाबाद, आजमगढ़ के धरेउ प्रजापति, गोण्डा के हरिराम जैसे अनेक माटीकला के शिल्पी व कारीगर अपनी कला के साथ उपस्थित हैं। उत्तर प्रदेश की वर्तमान सरकार के कार्यकाल में गठित उ0प्र0 माटीकला बोर्ड, माटी के बने हुए उत्पादों को प्रोत्साहन देने के लिए इस क्षेत्र से जुड़े कारीगरों को प्रशिक्षण, बाजार, आधारभूत सामग्री, बिजली के चाक, डाई आदि उपलब्ध कराकर उन्हें अपने उत्पादों में एकरूपता तथा परिशुद्धता एवं सुन्दरता लाने के लिए प्रेरित व प्रोत्साहित कर रहा है।

परम्परागत रूप से एवं प्राचीन काल से माटी से बने उत्पादों की आवश्यकता रही। हड़प्पा सभ्यता की खुदाई से मिले मृदभाण्डों, औजारों, मृण्मूर्तियों से ही हम उस सभ्यता के विकास व उन्नति से परिचित होते हैं। उत्तर प्रदेश की वर्तमान सरकार द्वारा माटीकला को संरक्षण दिया जाना, इस कला को पुनर्जीवन प्रदान करने जैसा है। साथ ही मिट्टी के सम्मान, मिट्टी से जुड़े कारीगरों की समृद्धि को भी बढ़ाने में यह सहायक है। माटीकला मेले में देश की मिट्टी से बनी लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियाँ, मिट्टी के डिजाइनर दिये, गोरखपुर के टेराकोटा, आजमगढ़ की ब्लैकपॉटरी, खुर्जा के चीनी मिट्टी के बर्तन, कड़ाही, तवा, बोतल, जादुई दिये, वैज्ञानिक दिये, पक्षियों को पानी पिलाने वाले बर्तन, पक्षियों के लिए मिट्टी से बने घोसले, हाथी, घोड़े, मछली और कछुए की आकृति की गुल्लकें समेत अनेक प्रकार की मिट्टी से बनी वस्तुएं है। जब प्रदेश का कारीगर, शिल्पकार समृद्ध होगा तो प्रदेश में खुशहाली अवश्य आएगी। प्रदेश के खादी एवं ग्रामोद्योग मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह जी ने माटी कला प्रदर्शनी/मेले में माटीकला बोर्ड की वेबसाइट ूूूण्नचउंजपांसंइवंतकण्पद का भी लोकार्पण किया। जिससे एक ही स्थान पर तकनीकी के माध्यम से इस क्षेत्र से संबंधित योजनाओं की जानकारी की जा सकती है।

दीपावली का उत्सव प्रकाश, प्रेम, पवित्रता, हर्ष, उल्लास का उत्सव है। यह उत्सव सभी लोग मनाए एवं इसमें सभी भागीदारी कर सकें, इसके लिए आवश्यक है कि इस उत्सव में सबको सहभागी बनने का अवसर मिल सके। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए दिए गए मंत्र ’’आत्मनिर्भर भारत’’ तथा स्थानीय उत्पादों को वैश्विक पहचान दिलाने और उन उत्पादों को बनाने वाले कारीगरों, शिल्पियों को प्रोत्साहन देने तथा देश प्रेम की भावना के विकास के लिए दिए गए मंत्र ’’वोकल फॉर लोकल’’ को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ’’विकास दीपोत्सव’’ के माध्यम से नई उड़ान मिल रही है एवं हमारे परम्परागत हस्तशिल्प एवं कुटीर उद्योग को नई पहचान मिल रही है। दीपावली प्रकाश का पर्व है एवं सभी के जीवन में खुशहाली लाने का त्योहार है। ’’विकास दीपोत्सव’’ के अन्तर्गत मनाए जा रहे ’’भव्य दीपावली मेला’’ एवं माटीकला बोर्ड द्वारा लगाए गए माटीकला मेला एवं सेमिनार के आयोजन से प्रदेश के हस्तशिल्प, कारीगरों के हुनर, नए-नए उत्पाद और मिट्टी की गरिमा से एक तरफ प्रदेश वासी परिचित हो रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ यह उन कारीगरों की मेहनत को एक मंच दिलाकर, उनके उत्पादों को एक अच्छा बाजार दिलाकर, उनके उत्पादों को राष्ट्रीय, राज्यीय एवं वैश्विक पहचान दिलाकर उनकी आय वृद्धि का माध्यम भी बन रहे है। उत्तर प्रदेश सरकार के नेतृत्वकर्ता मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के निर्देशन में नगर विकास विभाग द्वारा प्रदेश के समस्त नगर निगमों एवं नगर पालिकाओं में आयोजित किये जाने वाले ’’माटीकला मेला देश के शिल्पियों, कलाकारों एवं माटी के रचनाकारों को नई पहचान दिलाकर उनके जीवन में आनन्द का प्रकाश फैलाने में सहायक हो रहे हैं।

गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे के निर्माण से क्षेत्र का होगा चतुर्दिक विकास

प्रदेश सरकार आवागमन को सुगम बनाने एवं क्षेत्रीय चतुर्दिक विकास के लिए प्रदेश में एक्सप्रेसवे, हाईवे, बड़ी सड़कों का निर्माण करा रही है। सड़कों के बनने से विभिन्न तरह के विकास कार्यों में तेजी आती है। सरकार द्वारा बनाये जा रहे गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे जनपद गोरखपुर के गोरखपुर बाईपास एन0एच0-27 ग्राम जैतपुर के पास से प्रारम्भ होकर पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर जनपद आजमगढ़ में समाप्त होगा। एक्सप्रेसवे की लम्बाई 91.352 किमी0 है। एक्सप्रेसवे से जनपद गोरखपुर, अम्बेडकरनगर, संतकबीरनगर, आजमगढ़ लाभान्वित होंगे।

यह एक्सप्रेसवे 04 लेन (06 लेन तक विस्तारणीय) तथा संरचनाएं 06 लेन चौड़ाई की बनायी जा रही है। एक्सप्रेसवे के एक ओर 3.75 मी0 चौड़ाई की सर्विस रोड स्टैगर्ड रूप में बनाई जा रही है, जिससे परियोजना के आस-पास के गांव के किसानों निवासियों को एक्सप्रेसवे पर आवागमन की सुविधा उपलब्ध हो सके।

एक्सप्रेसवे के निर्माण में 02 टोल प्लाजा, 03 रैम्प प्लाजा, 07 फ्लाई ओवर, 16 व्हेकुलर अण्डरपास, 50 लाइट व्हेकुलर अण्डरपास, 35 पेडेस्ट्रियन अण्डरपास, 07 दीर्घ सेतु, 27 लघु सेतु तथा 389 पुलियों का निर्माण भी किया जा रहा है।

इस परियोजना की कुल अनुमोदित लागत रू0 5876.68 करोड़ तथा सिविल निर्माण की अनुबन्धित लागत रू0 3024.10 करोड़ है। परियोजना के क्रियान्वयन हेतु 02 पैकेजों में विभक्त किया गया है। गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे परियोजना के दोनों पैकेजों के बिल्डरों का चयन ई-टेंडरिंग के जरिए किया गया है। इस परियोजना में न्यूनतम निविदा अनुमानित लागत से 3.12 प्रतिशत कम हो गई है, जिससे यूपीडा को लगभग रू0 96 करोड़ का लाभ हुआ है। पैकेज-1 का निर्माण कार्य दिनांक 10.02.2020 से तथा पैकेज-2 का निर्माण कार्य 19.06.2020 से प्रारम्भ कर दिया गया है। कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न रूकावट के बावजूद सभी पैकेजों द्वारा एक्सप्रेस-वे के निर्माण कार्य को महामारी पूर्व प्रगति दर प्राप्त करने का प्रयास किया जा रहा है।

निर्माणाधीन इस एक्सप्रेसवे का अगस्त, 2021 तक क्लीयरिंग एण्ड ग्रबिंग एवं 99 प्रतिशत मिट्टी का कार्य 50 प्रतिशत, सबग्रेड का कार्य 27 प्रतिशत, जी0एस0बी0 का कार्य 20 प्रतिशत, डब्लू0एम0एम0 का कार्य 16.60 प्रतिशत, डी0बी0एम0 का कार्य 13.50 प्रतिशत पूर्ण हो चुका है। परियोजना की कुल भौतिक प्रगति लगभग 30 प्रतिशत पूर्ण कर ली गयी है। परियोजना को पूर्ण करने की सम्भावित समयावधि अप्रैल, 2022 है।

इस एक्सप्रेस के परियोजना से क्षेत्रीय लोगों सहित देश प्रदेश को बहुत लाभ मिलेगा। एक्सप्रेसवे के निर्माण से गोरखपुर क्षेत्र पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के माध्यम से लखनऊ, आगरा एवं दिल्ली तक त्वरित एवं सुगम यातायात कॉरिडोर से जुड़ जाएगा। एक्सप्रेसवे के निर्माण से गोरखपुर क्षेत्र का सर्वांगीण विकास का मार्ग प्रशस्त होगा। एक्सप्रेसवे प्रवेश नियंत्रित होने से वाहनों के ईंधन खपत में महत्वपूर्ण बचत, समय की बचत एवं पर्यावरणीय प्रदूषण का नियंत्रण भी संभव हो सकेगा। परियोजना से आच्छादित क्षेत्रों के सामाजिक एवं आर्थिक विकास के साथ ही कृषि, वाणिज्य, पर्यटन तथा उद्योगों को बढ़ावा और आय में बढ़ोत्तरी होगी।

एक्सप्रेसवे से आच्छादित क्षेत्रों में स्थित विभिन्न उत्पादन ईकाईयों, विकास केन्द्रों तथा कृषि उत्पादन क्षेत्रों को राष्ट्रीय राजधानी से जोड़ने हेतु एक औद्योगिक कॉरिडोर के रूप में सहायक होगा। एक्सप्रेसवे के निकट इण्डस्ट्रियल टेªनिंग इंस्टीट्यूट, शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान, मेडिकल संस्थान आदि की स्थापना हेतु भी अवसर सुलभ होंगे। यह एक्सप्रेसवे खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों, भण्डारण ग्रह, मण्डी तथा दुग्ध आधारित उद्योगों की स्थापना हेतु एक उत्प्रेरक के रूप में काम करेगा। इस एक्सप्रेसवे के बन जाने पर क्षेत्र का चतुर्दिक विकास होगा।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़