संजीव कुमार ने कला को हमेशा कर्म समझा, लोकप्रियता कमाने का जरिया नही!

sanjeev kumar
Prabhasakshi
रेनू तिवारी । Jul 9 2022 10:52AM

संजीव कुमार का जन्म 9 जुलाई 1938 को हुआ था। वह भारत के मशहूर अभिनेताओं में से एक थे। उन्होंने दस्तक (1970) और कोशिश (1972) फिल्मों में अपने प्रदर्शन के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए दो राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार सहित कई बड़े सम्मान जीते थे।

अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा 1980 के दशक में सिनेमा के मशहूर अभिनेताओं में से एक थे, उन्होंने अपने करियर के चरम पर खूब धन-दौलत और नाम कमाया लेकिन एक वक्त ऐसा आया जब उन्हें पैसों की जरूर था और उनके पास पैसे नहीं बचे थे। तब वह अपना घर भी बेचने को तैयार हो गये थे जिसे उन्होंने बहुत ही मेहनत से बनाया था। शत्रुघ्न ने अपनी जीवनी एनीथिंग बट खामोश में उस समय को याद किया और कहा कि जब आर्थिक रूप से उनके लिए सब कुछ खराब हो रहा था तब अभिनेता संजीव कुमार उनके बचाव में आए, आर्थिक रूप से मदद की और एक दोस्त की तरह साथ खड़े रहे! ऐसी तमाम बाते हैं जो संजीव कपूर के व्यक्तित्व को दर्शाती है कि वह कितने उदार थे। 1960 के दशक में अपनी फिल्म की शुरुआत करने वाले संजीव कुमार का 1985 में 47 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह बहुत ही कम आयु में इस दुनिया से चले गये लेकिन इन 47 सालों में उन्होंने अपनी जिंदगी को यादगार बनाया और लोगों के लिए प्रेरणा बनें लेकिन अपनी जिंदगी के आखिरी सालों में वह बहुत अकेले हो गये थे। 

संजीव कुमार की जिंदगी

संजीव कुमार का जन्म 9 जुलाई 1938 को हुआ था। वह भारत के मशहूर अभिनेताओं में से एक थे। उन्होंने दस्तक (1970) और कोशिश (1972) फिल्मों में अपने प्रदर्शन के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए दो राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार सहित कई बड़े सम्मान जीते थे। उनकी यह दो फिल्में करियर की सबसे हिट फिल्मों में से एक हैं। उन्होंने रोमांटिक ड्रामा से लेकर थ्रिलर तक की शैलियों में अभिनय किया। Rediff.com द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में उन्हें भारतीय सिनेमा का अब तक का सातवां सबसे महान अभिनेता चुना गया। संजीव कुमार का असल नाम हरिहर जेठालाल जरीवाला था लेकिन सिनेमा ने उन्हें संजीव कुमार नाम दिया। उन्हें सिनेमा की दुनिया में संजीव कुमार के नाम से ही लोकप्रियता मिली थी। संजीव कुमार 9 जुलाई 1938 को सूरत में एक गुजराती ब्राह्मण परिवार में हुआ था और जब वे बहुत छोटे थे तभी मुंबई आ गए थे। एक फिल्म स्कूल में एक स्टंट ने उन्हें बॉलीवुड तक पहुँचाया, जहाँ वे अंततः एक कुशल अभिनेता बन गए। उन्हें आलोचकों और आम जनता द्वारा व्यापक रूप से भारतीय सिनेमा द्वारा निर्मित सर्वकालिक महान अभिनेताओं में से एक माना जाता है। कुमार के दो छोटे भाई और एक बहन थी।

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संजीव कुमार का फिल्मी सफर

सिनेमा में एक समय था जब हीरो पर्दे पर बड़े घर का बेटा और अमीर दिखने के लिए इच्छुक रहते थे क्योंकि उस समय इस तरह पर्दे पर दिखने वालों की काफी लोकप्रियता होती थी लेकिन फिर भी संजीव कुमार को गैर-ग्लैमरस रोल निभाने में कभी कोई आपत्ति नहीं थी। उन्होंने कई ऐसी फिल्में की है जिसमें उन्होंने अपने से बड़े उम्र के किरदार को निभाया। अर्जुन पंडित, शोले और त्रिशूल जैसी फिल्में, तमिल फिल्मों के रीमेक के साथ-साथ खिलोना, ये है जिंदगी, नया दिन नई रात, देवता, इतनी सी बात और राम तेरे कितने नाम जैसी फिल्में उनकी प्रतिभा का उदाहरण हैं। उन्होंने कतल, शिकार, उलझन और तृष्णा जैसी सस्पेंस-थ्रिलर फिल्में भी कीं। संजीव कुमार अपनी कला का प्रदर्शन करना यहीं नहीं रोका उन्होंने कॉमेडी में भी अपना हाथ आजमाया। संजीव कपूर ने मनचली, पति पत्नी और वो, अंगूर, बीवी-ओ-बीवी और हीरो जैसी फिल्मों में भी कॉमेडी करने की अपनी क्षमता साबित की। उन्हें उनकी बहुमुखी प्रतिभा और उनके पात्रों के वास्तविक चित्रण के लिए अच्छी तरह से याद किया जाता है। फिल्म अंगूर में उनकी दोहरी भूमिका को भारतीय सिनेमा के 100 साल पूरे होने के अवसर पर फोर्ब्स इंडिया द्वारा भारतीय सिनेमा के 25 सर्वश्रेष्ठ अभिनय प्रदर्शनों में सूचीबद्ध किया गया था।

- रेनू तिवारी

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