जन्मदिन स्पेशलः खेल जगत से लेकर बॉलीवुड तक दारा सिंह का सफर

dara singh
Prabhasakshi
सूर्य मिश्रा । Nov 19 2022 2:52PM

शुरूआती दिनों में दारा सिंह अपने भाई के साथ शौकिया तौर पर पहलवानी किया करते थे। थोड़े ही समय में दोनों भाई गांव के दंगल में अपनी धाक ज़माने के बाद शहर में आयोजित होने वाली कुश्तियों में हिस्सा लेने लगे।

दारा सिंह का नाम सुनकर हर भारतीय का मन गर्व से भर जाता है। शायद ही कोई ऐसा होगा जो दारा सिंह के नाम से परिचित नहीं होगा। दारा सिंह एक अलग ही तरह के शख़्सियत के मालिक थे जिसने किसी भी क्षेत्र में हार का सामना नहीं किया। खेल जगत में पहचान बनाने के साथ ही बॉलीवुड में अपने दमदार अभिनय से सबके दिलों में अपनी पहचान बनायीं।

दीदार सिंह रंधावा का जिसे हम सब दारा सिंह के नाम से जानते है का जन्म 19 नवम्बर 1928 को अमृतसर के धारचुक नाम के गांव में हुआ था इनके पिता का नाम सूरज सिंह रंधावा और माता का नाम बलवंत सिंह कौर था। दारा सिंह की शादी बहुत ही कम उम्र में हो गयी और मात्र सत्रह साल की उम्र तक वो एक बेटे के पिता भी बन चुके थे। हालांकि बाद में उन्होंने सुरजीत कौर से दूसरा विवाह किया।

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एक पहलवान जो कभी नहीं हारा

शुरूआती दिनों में दारा सिंह अपने भाई के साथ शौकिया तौर पर पहलवानी किया करते थे। थोड़े ही समय में दोनों भाई गांव के दंगल में अपनी धाक ज़माने के बाद शहर में आयोजित होने वाली कुश्तियों में हिस्सा लेने लगे। दोनों भाइयों ने अपनी पहलवानी के दांव से सभी को चित्त कर दिया। दारा सिंह ने उम्र के 60वें दशक में भी पहलवानी के दांव आज़माते रहे। दारा सिंह ने विश्व चैम्पियन जॉर्ज गार्डियंका को हरा कर कॉमनवेल्थ की विश्व चैम्पियनशिप में जीत हासिल की।

दारा सिंह ने अपने पहलवानी के कॅरिअर में कभी भी हार का सामना नहीं किया। दारा सिंह ने पांच सौ से ज्यादा मुकाबलों में हिस्सा लिया और सभी में जीत हासिल की। उस दौर में कोई भी ऐसा पहलवान नहीं था जिसे दारा सिंह ने रिंग में पटकनी ना दी हो। 1968 में दारा सिंह ने अमेरिकी विश्व चैम्पियन 'लो थेस को हरा कर विश्व चैंपियनशिप हासिल की। अपने विजय अभियान में दारा सिंह का अगला पड़ाव मलेशिया था जहां उन्होंने मलेशिया के चैम्पियन को हराया।

जब हुआ किंग कोंग से मुकाबला

दारा सिंह के पूरे कुश्ती कॅरिअर के दौरान सबसे रोमांचक मुकाबला किंग कोंग से था। उन दिनों किंग कोंग को कुश्ती का दानव कहा जाता था। सभी यह कयास लगा रहे थे कि शायद दारा सिंह इस मुकाबले में हार जाये क्योकि किंग कोंग उनसे वज़न में दुगना था उस वक़्त किंग कोंग का वज़न 200 किलोग्राम था। दारा सिंह का वज़न 130 किलो था। दारा सिंह ने कुश्ती के बेहतरीन दांव आज़माते हुए किंग कोंग को धूल चटा दी। 1983 में दारा सिंह ने कुश्ती का अंतिम मुकाबले में जीत हासिल करने के बाद कुश्ती से संन्यास ले लिया।

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पहलवान बना अभिनेता

दारा सिंह की पहली फिल्म दिलीप कुमार और मधुबाला के 'संगदिल' थी यह फिल्म 1952 में रिलीज़ हुयी। 1962 में आई फिल्म 'किंग कोंग' में उन्होंने ने किंग कोंग का किरदार निभाया था। 'झलक' नाम की फिल्म में उन्होंने दारा सिंह का ही रोल निभाया था। बॉलीवुड में दारा सिंह को अपार लोकप्रियता मिली। दारा सिंह की कुछ सुपरहिट फिल्मो के नाम है कर्मा, आनंद, सिकंदर-ए-आज़म, मेरा नाम जोकर, मर्द, धरम-करम, तुलसी विवाह। 'जब वी मेट' में उनके रोल को बहुत लोकप्रियता मिली। 'अता पता लापता' उनकी आखिरी फिल्म थी जो 2012 में आयी थी।

हनुमान बनकर हुए घर-घर में लोकप्रिय

दूरदर्शन धारावाहिक 'रामायण' की लोकप्रियता तो सभी को पता है। दारा सिंह ने धारावाहिक 'रामायण' में हनुमान की भूमिका निभा कर सभी के दिलों में अपनी जगह बना ली। हनुमान की भूमिका से वो देश ही नहीं विदेशो में भी लोकप्रिय हो गए।

दारा सिंह को 1952 में राज्यसभा सदस्यता मिली। दारा सिंह ने 1993 अपनी बायोग्राफी लिखी जो पंजाबी में है। 2012 में इस विश्व विजेता भारतीय पहलवान ने दुनिया को अलविदा कह दिया।

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