Jim Corbett Birth Anniversary: जंगल के दोस्त और आदमखोरों के शिकारी थे जिम कार्बेट, 300 बाघों को सुलाई थी मौत की नींद

Jim Corbett
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आज ही के दिन यानी की एडवर्ड जेम्स कार्बेट उर्फ जिम कार्बेट का जन्म हुआ था। वह आयरिश मूल के भारतीय लेखक व दार्शनिक थे। जिम कार्बेट आदमखोर हिंसक बाघ व तेंदुओं को मारकर आम जनता की रक्षा करते थे।

उत्तराखंड के लिए जिम कार्बेट किसी फरिश्ते से कम नहीं थे। आज ही के दिन यानी की 25 जुलाई को जिम कार्बेट का जन्म हुआ था। इनका असली नाम एडवर्ड जेम्स कॉर्बेट था और यह एक प्रसिद्ध शिकारी थे। जिम कार्बेट एक ओर आदमखोर हिंसक बाघ व तेंदुओं को मारकर आम जनता की रक्षा करते थे, तो वहीं वह दूसरी ओर पर्यावरण व वन्यजीवों का भी संरक्षण करते थे। आइरिस के नागरिक होने के बाद भी उनको भारत से इतना लगाव था कि वह यहीं के होकर रह गए। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर जिम कार्बेट के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...

जन्म और परिवार

उत्तराखंड के नैनीताल में 25 जुलाई 1875 को जिन कार्बेट का जन्म हुआ था। इनके पिता पोस्टमास्टर थे। वहीं 4 साल की उम्र में उनके सिर से पिता का साया उठ गया। जिसके बाद जिम कार्बेट की मां मैरी ने घर की जिम्मेदारी उठाई। वह 12 भाई-बहन थे, ऐसे में इतने बड़े परिवार को संभालने के लिए जिम कॉर्बेट ने रेलवे में नौकरी ले ली। लेकिन उनका सफर अलग था। लेकिन 1914 में सेकेंड वर्ल्ड वॉर होने पर वह कुमाऊं लौट आए।

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नरभक्षियों के लिए थे काल

जिम कार्बेट ने पवलगढ़ का कंवारा बाघ, थाक का बाघ के अलावा पौड़ी गढ़वाल और चंपावत आदि स्थानों पर हजारों लोगों को अपना शिकार बना चुके आदमखोर बाघों को मौत की नींद सुलाई थी। उन्होंने लोगों को बाघों के आतंक से राहत दिलाई। वहीं जिम कार्बेट को वन्य जीवों व पक्षियों की आवाज निकालने में भी महारथ हासिल थी।

बेहतरीन लेखक

उनकी गिनती बेहतरीन लेखकों में भी होती थी। उन्होंने शिकारी जीवन पर द टेंपल टाइगर, माई इंडिया, मैन ईटर्स ऑफ़ कुमांऊ, पर्ड आफ रुद्रप्रयाग, जंगल रोर व ट्री ट्राप्स जैसी किताबें लिखीं। कार्बेट के ऊपर फिल्म और डाक्यूमेंट्री भी बन चुकी है।

एशिया का पहला टाइगर पार्क 

जिम कार्बेट आदमखोर जानवरों को मारने के बाद दुखी हो जाया करते थे। वह चाहते थे कि अगर जंगलों को न काटा जाए, तो जीवों को वनों के अंदर ही उनका भोजन मिल जाएगा। ऐसे में जंगली जीव मानव पर हमला नहीं करेंगे। जंगल को बचाने के लिए उन्होंने मुहिम भी चलाई थी। जिम कार्बेट की सलाह पर साल 1936 में अंग्रेज गर्वनमेंट ने उत्तराखंड में एशिया का पहला पार्क बनाया था।

मृत्यु

वहीं 19 अप्रैल 1955 को आयरिश मूल के भारतीय लेखक व दार्शनिक जेम्स ए. जिम कार्बेट का निधन हो गया।

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