Rani Chennamma Birth Anniversary: अंग्रेजों को घुटनों पर ले आई थीं रानी चेन्नम्मा, 19वीं सदी में किया था पहला सशस्त्र विद्रोह

आज ही के दिन यानी की 23 अक्तूबर को रानी चेन्नम्मा का जन्म हुआ था। बता दें कि रानी चेन्नम्मा भारत की एक महान स्वतंत्रता सेनानी थीं। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ रानी चेन्नम्मा ने 19वीं सदी में पहला सशस्त्र विद्रोह किया था।
कर्नाटक के बेलगाम जिले में स्थित कित्तूर रियासत अपनी शांति और समृद्धि के लिए जानी जाती थी। इसी के केंद्र में एक अटूट संकल्प की महिला थीं, जिनका नाम रानी चेन्नम्मा था। कित्तूर की रानी चेन्नम्मा ने दक्षिण भारत में स्वतंत्रता के पहले शोले को प्रज्वलित किया था। आज ही के दिन यानी की 23 अक्तूबर को रानी चेन्नम्मा का जन्म हुआ था। बता दें कि रानी चेन्नम्मा भारत की एक महान स्वतंत्रता सेनानी थीं। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ रानी चेन्नम्मा ने 19वीं सदी में पहला सशस्त्र विद्रोह किया। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर कित्तूर की रानी चेन्नम्मा के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और परिवार
बेलगावी के काकती गांव में 23 अक्तूबक 1778 को रानी चेन्नम्मा का जन्म हुआ था। उन्होंने बचपन से तलवारबाजी, घुड़सवारी और तीरंदाजी का गहन प्रशिक्षण लेना शुरूकर दिया था। फिर कित्तूर के राजा राजा मल्लसारजा के साथ उनका विवाह हो गया।
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रानी चेन्नम्मा का पराक्रम
बता दें कि रानी चेन्नम्मा का असली पराक्रम तब उजागर हुआ, जब कित्तूर रियासत पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की गिद्ध-दृष्टि पड़ी। उस समय तक अधिकतर भारतीय शासक ब्रिटिश सैनिकों के आगे घुटने टेक चुके थे। लेकिन इसके उलट रानी चेन्नम्मा ने स्वतंत्रता और सम्मान की राह चुनी। रानी चेन्नम्मा पर दुखों का पहाड़ तब टूटा, जब उनके पति राजा मल्लसारजा और इकलौते पुत्र की मृत्यु हो गई। कित्तूर का सिंहासन खाली हो गया और रियासत पर संकट के बादल मंडराने लगे।
साल 1824 में अंग्रेजों ने 'राज्य हड़प नीति' के तहत कित्तूर राज्य को ब्रिटिश साम्राज्य में का ऐलान किया। यह रानी चेन्नम्मा को मंजूर नहीं था। उन्होंने अंग्रेजी सेना से जमकर लोहा लिया और सशस्त्र संघर्ष किया। अपने अपूर्व शौर्य प्रदर्शन के बाद भी रानी चेन्नम्मा अंग्रेजी सेना का मुकाबला नहीं कर सकीं और अंग्रेजों द्वारा उनको कैद कर लिया गया।
मृत्यु
अंग्रेजों की कैद में रहते हुए 21 फरवरी 1829 को रानी चेन्नम्मा का निधन हो गया। साल 1977 में रानी चेन्नम्मा द्वारा देश के लिए किए योगदान को याद करते हुए भारत सरकार ने डाक टिकट भी जारी किया था। आज भी कर्नाटक में रानी चेन्नम्मा का नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है।
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