आज़ादी की लड़ाई में सुचेता कृपलानी ने महिला शक्ति को मजबूत करने का काम किया था

Sucheta Kripalani
Prabhasakshi

भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान सुचेता कृपलानी ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महिला विभाग और विदेश विभाग की मंत्री के रुप में कार्य किया। 1939 में उन्होंने नौकरी छोड़ कर राजनीति में प्रवेश किया।

उत्तर प्रदेश की प्रथम महिला मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी ने स्वाधीनता की लड़ाई में अपनी सक्रिय भागीदारी निभाई। महात्मा गाँधी से प्रभावित होकर उन्होंने स्वाधीनता आंदोलन में भाग लिया। बापू के आदर्शों पर चलते हुए देश की आजादी की नींव रखी। सुचेता कृपलानी का जन्म 25 जून 1908 को अम्बाला में एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके पिता एस.एन. मजूमदार ब्रिटिश सरकार में डॉक्टर होने के साथ देशभक्त व्यक्ति थे। सुचेता की शुरुआती शिक्षा लाहौर और दिल्ली में हुई थी। बाद में वे बनारस के हिन्दू यूनिवर्सिटी में की इतिहास की प्रोफेसर बनी।

आत्मकथा 'ऐन अनफिनिश्ड ऑटोबायोग्राफी'

सुचेता कृपलानी ने अपनी आत्मकथा में बताया की कैसे जलियांवाला बाग हत्याकांड की वजह से देश में हर तरफ भयंकर गुस्से और लाचारी का माहौल था। सुचेता ने जिक्र किया है कैसे जब उनको बहन के साथ प्रिंस के स्वागत के लिए खड़ा होने को कहा गया था। इस बात का अफसोस सुचेता मजूमदार को सालों बाद भी रहा। 

सुचेता का विवाह 

सुचेता मजूमदार का विवाह स्वतंत्रता सेनानी आचार्य जेबी कृपलानी से 1936 में हुआ था। और वह सुचेता मजूमदार से सुचेता कृपलानी बन गई। सुचेता की शादी बहुत मुश्किलों से हुई। क्योंकि जेबी कृपलानी यानी जीवतराम भगवानदास कृपलानी उनसे उम्र में 20 साल बड़े थे इस विवाह का विरोध खुद महात्मा गांधी ने भी किया था।

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महिला शक्ति को किया मजबूत 

सुचेता कृपलानी ने अंडरग्राउंड होकर कांग्रेस का महिला विभाग बनाया और अंग्रेज पुलिस से छुपते हुए जोर-शोर से आंदोलन में भाग लेती रहीं। साथ ही महिला शक्ति को भी मजबूत करने का काम किया। उन्होंने महिलाओं को प्राथमिक चिकित्सा, आत्म रक्षा, ड्रिल और लाठी चलाना, और अन्य हथियार चलने का प्रशिक्षण दिया। उन्होंने एक 'अंडरग्राउण्ड वालंटियर फोर्स' का भी गठन किया था। उन्होंने महिलाओं को शामिल होने के लिए जागरूक किया। 

सुचेता कृपलानी का राजनीतिक सफर 

भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान सुचेता ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महिला विभाग और विदेश विभाग की मंत्री के रुप में कार्य किया। 1939 में उन्होंने नौकरी छोड़ कर राजनीति में प्रवेश किया। उनकी राजनैतिक योग्यता को देखते हुए उन्हें भारत के संविधान का चार्टर तैयार करने वाली उप कमेटी का सदस्य भी बनाया गया। 1948 में विधानसभा के लिए चुना गया 1957 में सुचेता कृपलानी जी को लघु उद्योग मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाया गया। बाद में वह कैबिनेट मंत्री बनी और श्रम विकास और उद्योग मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली। 1963 में सुचेता कृपलानी उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी और 1967 तक इस पद पर बनी रहीं। साल 1971 में सुचेता कृपलानी जी ने राजनीति से संन्यास लिया। 1 दिसंबर, 1974 को उनका निधन हो गया।

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