Vinod Khanna Birth Anniversary: विनोद खन्ना ने करियर के शिखर पर छोड़ दिया बॉलीवुड, ओशो संग अध्यात्म में रम गए थे अभिनेता

Vinod Khanna
instagram/akshaye_khanna_

हिंदी सिनेमा के अभिनेता विनोद खन्ना का 06 अक्तूबर को जन्म हुआ था। विनोद खन्ना ने न सिर्फ अपनी दमदार एक्टिंग से दर्शकों का दिल जीता, बल्कि एक अलग पहचान भी बनाई। अपने टैलेंट, लुक और पावरफुल एक्टिंग से वह जल्द ही इंडस्ट्री के सुपरस्टार बन गए।

आज ही के दिन यानी की 06 अक्तूबर को हिंदी सिनेमा को विनोद खन्ना का जन्म हुआ था। वह उन चुनिंदा सितारों में से एक थे, जिनका सफर निगेटिव रोल से हीरो बनने तक बेहद खास रहा। विनोद खन्ना ने न सिर्फ अपनी दमदार एक्टिंग से दर्शकों का दिल जीता, बल्कि एक अलग पहचान भी बनाई। विनोद खन्ना ने अपने फिल्मी करियर की शुरूआत फिल्मों में खलनायक के रूप में की थी। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर अभिनेता विनोद खन्ना के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...

जन्म और परिवार

पेशावर में एक पंजाबी परिवार में 06 अक्तूबर 1946 को विनोद खन्ना का जन्म हुआ था। बंटवारे के समय उनका परिवार भारत आकर मुंबई में बस गया। विनोद खन्ना को बचपन से ही एक्टिंग में दिलचस्पी थी। पढ़ाई पूरी होने के बाद विनोद खन्ना ने एक्टिंग को बतौर अपना करियर चुना। हालांकि शुरूआत में उनके पिता इसके खिलाफ थे। लेकिन बेटे की मेहनत और लगन देखकर वह भी राजी हो गए। इस तरह से उन्होंने विनोद खन्ना को उनका सपना पूरा करने का मौका दिया।

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ऐसे बदल गई किस्मत

बता दें कि साल 1968 में विनोद खन्ना को पहली बड़ी सफलता मिली थी। इस दौरान अभिनेता को फिल्म 'मन का मीत' में खलनायक का रोल मिला था। उस दौरान हिंदी फिल्मों निगेटिव रोल या विलेन का रोल निभाना आसान नहीं था। लेकिन विनोद खन्ना ने इसको अपनी ताकत बना लिया। अपने डैशिंग लुक और एक्सप्रेशन के दम पर विनोद खन्ना ने खुद को निगेटिव रोल में भी साबित कर दिखाया।

इसके बाद विनोद खन्ना ने कई फिल्मों में विलेन की भूमिका निभाई और बतौर विलेन दर्शकों के दिलों में अपनी अलग जगह बनाई थी। लेकिन विनोद की नियति में हीरो बनना लिखा था। धीरे-धीरे अभिनेता को फिल्मों में हीरो का रोल मिलने लगा। फिर साल 1971 में आई फिल्म 'मेरे अपने' में विनोद खन्ना को पहली बार मेन रोल में देखा गया। इसके बाद उनकी लोकप्रियता काफी ज्यादा बढ़ी। यह फिल्म दर्शकों ने इतनी ज्यादा पसंद की कि विनोद खन्ना ने अपना नाम एक हीरो के रूप में पक्का कर लिया।

इसके बाद अभिनेता की कई हिट फिल्में आईं, जैसै- 'अमर अकबर एंथोनी', 'कुर्बानी', 'मेरा गांव मेरा देश' और 'दयावान' आदि हैं। इन फिल्मों में विनोद खन्ना ने यह साबित कर दिया कि वह सिर्फ विलेन ही नहीं बल्कि बेहतरीन हीरो भी हैं।

जब विनोद खन्ना ने लिया संन्यास

विनोद खन्ना ने कभी भी खुद को स्टारडम में नहीं फंसने दिया। वह अपनी मेहनत और सादगी से सबका हमेशा दिल जीतते रहे। उन्होंने राजेश खन्ना, सुनील दत्त और अमिताभ बच्चन जैसे दिग्गज कलाकारों के साथ काम किया। लेकिन उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनाई। फिल्म 'मुकद्दर का सिकंदर' और 'अमर अकबर एंथोनी' जैसी फिल्मों में विनोद खन्ना की जोड़ी अमिताभ बच्चन के साथ दर्शकों की फेवरेट रही।

साल 1980 के दशक में विनोद खन्ना इंडस्ट्री के सबसे ज्यादा फीस लेने वाले अभिनेताओं में शामिल थे। लेकिन इसी दौरान उन्होंने एक बड़ा फैसला लिया। साल 1982 में विनोद खन्ना अपने आध्यात्मिक गुरु ओशो की शरण में चले गए और फिल्मों से पूरी तरह से दूरी बना ली। फिर करीब 5 साल बाद साल 1987 में फिल्म 'इंसाफ' से विनोद खन्ना ने वापसी की और दर्शकों के दिलों पर फिर से राज किया।

राजनीति में भी चमका विनोद खन्ना का सितारा

अभिनय के लिए विनोद खन्ना को कई अवॉर्ड मिले। उनकी एक्टिंग की तारीफ हर तरफ हुई। साथ ही विनोद खन्ना को दादा साहेब फाल्के अवार्ड से भी सम्मानित किया गया। इसके अलावा विनोद खन्ना राजनीति में भी सक्रिय रहे और बीजेपी नेता के तौर पर कई बार लोकसभा चुनाव जीता।

मृत्यु

वहीं कैंसर से लंबी लड़ाई के बाद 27 अप्रैल 2017 को विनोद खन्ना ने दुनिया को अलविदा कह दिया।

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