Loksabha Elections 2024: यूपी में पहले चरण की 8 सीटों पर 80 प्रत्याशी

Loksabha Elections 2024
Prabhasakshi
अजय कुमार । Apr 1 2024 6:05PM

उत्तर प्रदेश की जिन 8 सीटों पर प्रथम चरण में वोटिंग होगी। इसमें रामपुर, सहारनपुर, पीलीभीत, नगीना, बिजनौर, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर और कैराना लोकसभा सीट शामिल है। इन 8 लोकसभा सभा चुनाव में पीलीभीत की सीट सबसे हॉट सीट बन गई है।

उत्तर प्रदेश की आठ लोकसभा सीटों के लिए हो रहे पहले चरण के चुनाव की तस्वीर साफ हो गईं है। नामांकन के आखिरी दिन चार उमीदवारों ने नाम वापस ले लिया. अब 80 प्रत्याशी मैदान में बचे हैं। चार प्रत्याशियों ने नाम वापस लिया जिसमें सहारनपुर से दो, कैराना व मुरादाबाद से एक-एक प्रत्याशी शामिल हैं। कैराना में सबसे अधिक 14 व सबसे कम छह-छह प्रत्याशी नगीना व रामपुर लोकसभा सीट में बचे हैं। मालूम हो कि पहले चरण के चुनाव में 30 मार्च को नाम वापसी का अंतिम दिन था। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को होगा। 

यूपी की जिन 8 सीटों पर प्रथम चरण में वोटिंग होगी। इसमें रामपुर, सहारनपुर, पीलीभीत, नगीना, बिजनौर, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर और कैराना लोकसभा सीट शामिल है। इन 8 लोकसभा सभा चुनाव में पीलीभीत की सीट सबसे हॉट सीट बन गई है, क्योंकि वरुण गांधी का पत्ता बीजेपी ने साफ कर दिया है और कुछ साल पहले कांग्रेस से आए जितिन प्रसाद को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। लेकिन बात अगर राजनीति की करें तो यह क्षेत्र मेनका और वरुण गांधी के लोकसभा क्षेत्र के रूप में भी जाना जाता है, लेकिन इस बार 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने वरुण गांधी का टिकट काटकर यहां से जितिन प्रसाद को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। समाजवादी पार्टी ने भी यहां से कुर्मी बिरादरी पर दांव लगाया है, सपा ने भगवत शरण गंगवार को अपना प्रत्याशी बनाया है।

इसे भी पढ़ें: Election 2024: गन्ना बेल्ट को बनाया जाएगा ऊर्जा बेल्ट, ऐलान कर PM Modi ने जीता दिसानों का दिल

दूसरी सीट बिजनौर की है। बिजनौर से एनडीए के उम्मीदवार के तौर पर आरएलडी के प्रत्याशी चंदन चौहान हैं, जबकि समाजवादी पार्टी ने दीपक सैनी को अपना उम्मीदवार बनाया है। बसपा ने यहां जाट प्रत्याशी चौधरी वीरेंद्र सिंह को दिया है। बीजेपी ने गुर्जर बसपा ने जाट और समाजवादी पार्टी ने ओबीसी प्रत्याशी उतारे हैं। आरएलडी को इस गठबंधन में दी गई दो सीटों में एक सीट बिजनौर की है। बिजनौर लोकसभा के इतिहास की बात करें तो राम मंदिर आंदोलन के बाद से यानी 1991 से अब तक भारतीय जनता पार्टी चार बार इस सीट पर अपना कब्जा जमा चुकी है। जबकि इस बीच में समाजवादी पार्टी दो बार रालोद एक बार इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुका है और वर्तमान में इस सीट पर बसपा का कब्जा है. जिसके सांसद मलूक नागर हैं। 

तीसरी सीट नगीना इसलिए खास है क्योंकि चंद्रशेखर आज़ाद रावण यहां से अपनी सियासी जमीन की तलाश कर रहे हैं। वो पहली बार चुनाव मैदान में हैं। बीजेपी ने ओम कुमार तो सपा ने मनोज कुमार को अपना प्रत्याशी बनाया है, वहीं बसपा ने सुरेंद्र सिंह मेनवाल को अपना प्रत्याशी बनाया है. नगीना लोकसभा सीट सुरक्षित सीट है। हालांकि यह सीट सुरक्षित सीट है, लेकिन इस सीट पर मुसलमानों की संख्या सबसे ज्यादा है। करीब साढ़े 7 लाख वोटर इसमें मुसलमान है. दलित वोटर की संख्या लगभग साढे चार लाख के आसपास है. 2009 में यह सीट अस्तित्व में आई और इस पर पहली बार लोकसभा चुनाव हुआ। इस चुनाव में समाजवादी पार्टी के यशवीर सिंह पहली बार विजय हुए थे। उसके बाद 2014 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के सांसद यशवंत सिंह ने सपा प्रत्याशी को हराकर इस सीट पर अपना कब्जा जमाया था। जबकि 2019 के चुनाव में सपा और बसपा के गठबंधन के चलते बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी गिरीश चंद्र इस सीट पर विजय रहे जो वर्तमान में इस सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

कैराना: ये इलाका हिन्दू और मुसलमान गुजर बहुल माना जाता है, सपा ने इकरा हसन को अपना उम्मीदवार बनाया है, तो बीजेपी ने प्रदीप चौधरी को। दोनों गुजर हैं, लेकिन अब यहां की सियासत में बिरादरी से बड़ा धर्म का झोल है। चौथी सीट कैराना लोकसभा में पांच विधानसभा मौजूद है। जिसमें कैराना, शामली, थाना भवन नुकुड और गंगोह विधानसभा सीट है। कैराना लोकसभा में जातीय समीकरण की बात करें तो यहाँ पर सबसे ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं। जिनकी संख्या करीब 5:45 लाख के आसपास है। 2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो उस दौरान यहां पर भाजपा कैंडिडेट ने करीब 75000 से अधिक वोटों से जीत हासिल की थी।

पांचवी सीट सहारनपुर से समाजवादी पार्टी ने इमरान मसूद को तो बीजेपी ने राघव लखन पाल को मैदान में उतारा है। सहारनपुर लोकसभा सीट कई मायनों में सभी राजनीतिक दलों के लिए अहम मानी जाती है। सहारनपुर सीट पर सबसे पहला लोकसभा चुनाव 1952 में हुआ था और तभी से यह सीट कांग्रेस का गढ़ बन गयी। 1952 से लेकर 1977 तक इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा था। 1977 में इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव से लेकर 1996 तक इस सीट पर जनता दल या जनता पार्टी का कब्जा रहा। दो बार की हार के बाद 1984 के चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर यंहा पर बाज़ी मारी थी। 1996 के बाद सहारनपुर सीट दो बार भारतीय जनता पार्टी, दो बार बहुजन समाज पार्टी, एक बार समाजवादी पार्टी और फिर 2014 में मोदी लहर के चलते 16 साल बाद यह सीट भारतीय जनता पार्टी के खाते में गई थी। इससे पहले भाजपा 1998 में इस सीट से चुनाव जीती थी। लेकिन 2019 के चुनाव में इस सीट पर एक बार फिर बसपा ने कब्जा कर लिया। 2019 में सहारनपुर लोकसभा सीट से महागठबंधन से प्रत्याशी बने बसपा के हाजी फजलुर्रहमान ने 514139 वोट पाकर जीत दर्ज की। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी राघव लखनपाल को 22,417 वोटों से हरा कर इस सीट पर अपना परचम लहराया और इस सीट से लोकसभा सांसद बने। इस लोकसभा सीट पर दलित और मुस्लिम वोट निर्णायक रहते हैं, जो इसे राजनीतिक दलों के लिए अहम बनाता है। 

छठी सीट मुरादाबाद पर आज़म खान की जिद्द ने अखिलेश को मुरादाबाद में अपना प्रत्याशी बदलने पर मजबूर कर दिया है, एसटी हसन की जगह सपा ने अब रुचिवीरा को अपना उम्मीदवार बनाया है, जबकि बीजेपी ने फिर कुंवर सर्वेश सिंह पर अपना दाँव लगाया है। मुरादाबाद उत्तर प्रदेश की एक महत्वपूर्ण लोकसभा है। पीतल हस्तशिल्प उद्योग के कारण पीतल-नगरी के नाम से मशहूर मुरादाबाद लोकसभा की बात करें तो उसमे कुल 5 विधानसभा आती हैं। मौजूदा सांसद डॉ एसटी हसन समाजवादी पार्टी से मुरादाबाद लोकसभा के सांसद हैं, हालांकि मुरादाबाद का इतिहास रहा है कि यहां हर लोकसभा चुनावों में अलग पार्टी का सांसद बनता है जैसे 2019 में सपा सांसद, 2014 में भाजपा से सांसद कुंवर सर्वेश सिंह, 2009 में कांग्रेस से क्रिकेटर मोहम्मद अजरूद्दीन सांसद रह चुके है।

सातवीं सीट मुजफ्फरनगर से बीजेपी ने अपने जाट चेहरे संजीव बालियान को तीसरी बार मैदान में उतारा है तो सपा ने कांग्रेस से आये जाट नेता चौधरी हरेंद्र सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है। बात उत्तर प्रदेश की मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट की करें तो यह सीट 2013 दंगे के बाद से उत्तर प्रदेश की मुख्य सीटों में गिनी जाती है। क्योंकि 2013 दंगे के बाद 2014 में जो लोकसभा के चुनाव हुए थे उसमें भारतीय जनता पार्टी ने सभी पार्टियों का एक तरफ सुपड़ा साफ कर दिया था। 2014 के इस चुनाव में मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर भाजपा ने डॉक्टर संजीव बालियान को अपना प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा था। बीजेपी की इस आंधी में संजीव बालियान को इस चुनाव में 653391 वोट मिले थे। जबकि दूसरे नम्बर पर रहे बसपा के प्रत्याशी कादिर राणा मात्र 252241 वोट ही मिल पाए थे। जिसके चलते भाजपा प्रत्याशी डॉक्टर संजीव बालियान ने इस चुनाव में बसपा प्रत्याशी कादिर राणा को 401150 रिकॉर्ड मतों से मात दी थी। इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी ने एक बार फिर से डॉक्टर संजीव बालियान पर अपना दांव लगाया था। इस बार संजीव बालियान के सामने राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे स्वर्गीय अजीत सिंह थे। इस चुनाव में भी संजीव बालियान ने जीत हासिल करते हुए अजीत सिंह को 6526 वोट से हराकर यह चुनाव जीता था। इस चुनाव में डॉक्टर संजीव बालियान को 573780 वोट मिले थे जबकि अजीत सिंह को 567254 वोट मिल पाए थे। मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर अगर जातिगत आंकड़ों की बात करें तो इसी सीट पर 2019 चुनाव के अनुमानित आकड़ो के मुताबिक लगभग 17 लाख के आसपास मतदाता है। जिसमें लगभग 5 लाख मुस्लिम, 2 लाख दलित, डेढ़ लाख जाट, 130000 कश्यप, 120000 सैनी, 115000 वैश्य और लगभग 480000 ठाकुर, गुर्जर, त्यागी, ब्राह्मण, पाल, प्रजापत, सुनार और अन्य बिरादरियाँ है।

और आठवीं सीट रामपुर की बात की जाए तो कभी चाकू-छूरियाों  के लिए मशहूर रामपुर पर 1949 तक कुल 10 नवाबों में शासन किया है। देश की आजादी के बाद 1952 में हुए आम चुनाव में देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद यहीं से चुनकर संसद तक पहुंचे थे। यहां पर नवाब खानदान के अलावा भाजपा कि मुस्लिम चेहरे मुख्तार अब्बास नकवी अभिनेत्री जयाप्रदा और सपा के फायर ब्रांड नेता आज़म खान जीत हासिल कर चुके हैं। चुनावी आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो 1952 से 2019 तक के चुनाव में यहां पर काफी उलट फेर देखने को मिले हैं। यहां से 10 बार कांग्रेस, चार बार भाजपा, तीन बार सपा और एक बार भारतीय लोकदल से निर्वाचित हुए सांसद लोकतंत्र के मंदिर यानी संसद में रामपुर का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। मुस्लिम बाहुल्य इस सीट पर राजनीतिक एतबार से धर्म और जाति कोई खास मायने नहीं रखती है। यही कारण है कि यहां के मतदाता दूसरे धर्म या जाति वाले प्रत्याशी को चुनने में किसी तरह का कोई गुरेज नहीं करते हैं। रामपुर लोकसभा की राजनीतिक पृष्ठभूमि के एतवार से इंडिया गठबंधन के सबसे बड़े दल के रूप में कांग्रेस की फेहरिस्त में यहां की सीट भी है। जबकि सपा भी यहां पर मजबूत दावा पेश करती देखी जा सकती है। वहीं दूसरी ओर भाजपा के दिग्गजों ने भी विरोधियों को कई मौके पर चुनावी रण में धूल चढ़ाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी है।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़