मुलायम के जरिये राजनीति करते रहे हैं अमर सिंह

ठाकुर अमर सिंह, यह नाम सुनने वाले व्यक्ति के दिमाग में एक ऐसे व्यक्ति की तस्वीर उभर आती है, जो कुछ भी बोल सकता है। हालांकि अमर सिंह के तमाम राजनेताओं से संबंध माने जाते हैं, लेकिन अमर सिंह से संबंध राजनैतिक नहीं, बल्कि व्यापारिक ज्यादा कहे जा सकते हैं। राजनेताओं से अमर सिंह के इस हाथ दे और उस हाथ ले वाले रिश्ते रहे हैं, इसी तरह के संबंध उद्योगपतियों और बॉलीवुड के कलाकारों से रहे हैं। अमर सिंह ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के प्रभावशाली नेता मुलायम सिंह यादव को अपने प्रभाव में फिर से क्या लिया है, राज्य के सत्तारुढ़ दल में पुराने नेता बेचैन हो उठे हैं।
मुलायम सिंह यादव ग्रामीण परिवेश के व्यक्ति थे और प्रभावशाली नेता व मुख्यमंत्री रहने के बावजूद हाई-प्रोफाइल कल्चर से पूरी तरह अनभिज्ञ थे। लुटियंस की गलियों के बारे में उन्हें नहीं पता था, सो अमर सिंह का जादू मुलायम सिंह यादव पर बड़ी तेजी से असर कर गया। चूँकि मुलायम सिंह यादव का न कोई सपना था और न ही कोई आकांक्षा, सो वे वहां पहुंचने भर से ही खुश थे, साथ ही मुलायम सिंह यादव को अपनी राजनैतिक हैसियत का भी अहसास नहीं था, उनकी इसी सरलता का अमर सिंह ने फायदा उठाया। मुलायम सिंह यादव का चेहरा दिखा कर अमर सिंह ने हर क्षेत्र में संबंध स्थापित किये और उनको हर तरह से भुनाया, जिसे मुलायम सिंह यादव समझते रहे कि यह सब अमर सिंह का है। राजनीति से हट कर अमर सिंह की हैसियत परिवार में भी दूसरे नंबर की हो गई थी। अमर सिंह परिवार में यह तक तय करने लगे कि किस शहर और किस कॉलेज में किस युवा को पढ़ना है। दूसरी पीढ़ी मुलायम को पूरा सम्मान देती थी और उनकी सारी फरमाईशें अमर सिंह से ही पूरी होती थीं। सैफई महोत्सव में बॉलीवुड का तड़का दूसरी पीढ़ी की मांग पर ही अमर सिंह ने लगाया था। इस बीच प्रो. रामगोपाल यादव दिल्ली की राजनीति समझने लगे थे। छन कर ही सही, पर अमर सिंह के बारे में खबरें उन तक पहुंचने लगी थीं लेकिन सवाल यह था कि मुलायम सिंह यादव के सामने अमर सिंह के खिलाफ कौन बोले ?
समय का पहिया घूमता रहा और वर्ष- 2008 आया। वामदलों ने परमाणु मुददे पर यूपीए सरकार से समर्थन वापस लिया। अमर सिंह ने कांग्रेस और अमेरिका तक तेजी से जाल बिछाया, जिसकी मुलायम सिंह यादव को भनक नहीं लगने दी, उनसे यूपीए सरकार को यूं ही समर्थन दिला दिया। एक घटना ऐसी हुई जो कभी सार्वजनिक नहीं हुई लेकिन उसके चलते अमर सिंह को समाजवादी पार्टी से बाहर कर दिया गया। बाहर होने के बाद अमर सिंह ने कई तरह के हथकंडे अपनाये। कई सारी व्यक्तिगत बातें सार्वजनिक करने की धमकियां दी गईं। मुलायम ने अमर सिंह की धमकियों पर ध्यान तक नहीं दिया। इसके बाद अमर सिंह ने लोकमंच बनाया, जिसमें तमाम प्रयासों के बावजूद लोक सम्मलित नहीं हुआ। राजनीति से संन्यास लेने की भी बात कही लेकिन ऐसा कर नहीं पाये।
इधर मुलायम के परिवार में बदलाव हुआ, उनके बेटे अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। शिवपाल सिंह यादव की सीमायें अखिलेश यादव ने तय कर दीं, वहीं मुलायम की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता के पुत्र प्रतीक भी बड़े हो गये, उनकी शादी भी हो गई और उनकी पत्नी अपर्णा यादव ने राजनीति में आने की इच्छा जता दी। अमर सिंह दूर भले ही थे, लेकिन उनकी दृष्टि घटनाक्रम पर ही जमी हुई थी। अमर सिंह ने तेजी से शिवपाल और साधना से संपर्क साधा और ना सिर्फ सपा में आ गये, बल्कि राज्य सभा में भी जाने में कामयाब हो गये। अमर सिंह के लिए यह मायने नहीं रखता कि शिवपाल का क्या हुआ, उनके लिए दुःख की बात यह होगी कि अखिलेश का नुकसान नहीं हुआ।
- बी.पी. गौतम
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