छोटी बहू अपर्णा यादव ने मुलायम और अखिलेश, दोनों को दिखाया आईना

अपर्णा का राममंदिर निर्माण के लिए दान इसलिए भी चर्चा का विषय बना हुआ है क्योंकि पहले समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव और अब उनके पुत्र अखिलेश यादव ने तुष्टिकरण की सियासत के चलते कभी भी राम मंदिर निर्माण का पक्ष नहीं लिया था।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भले ही अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर निर्माण के लिए चंदा एकत्र करने वालों का चंदाजीवी कहते हों, लेकिन उनके छोटे भाई की बहू अपर्णा यादव इस बात से इत्तेफाक नहीं रखती हैं। अपर्णा को इस बात का भी मलाल है कि उनके ससुर और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव द्वारा अयोध्या में कारसेवकों पर गोलियां चलवाई गईं थी। इस बात का अहसास तब हुआ जब उन्होंने अतीत की घटनाओं से अपने आप को अलग करते हुए यहां तक कह दिया कि वह अतीत के लिए जिम्मेदार नहीं हैं। इसके साथ ही अपर्णा ने राम मंदिर निर्माण के लिए चंदा लेने पहुंचे राम भक्तों के सामने अपनी झोली खोल दी। अपर्णा यादव ने राममंदिर निर्माण के लिए 11 लाख रुपए का चंदा देकर न केवल मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु राम के प्रति अपनी आस्था का इजहार किया, बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को भी आइना दिखा दिया, जिन्होंने आज तक मुलायम राज में कारसेवकों पर चलाई गई गोलियों की लिए जनता से माफी मांगना जरूरी नहीं समझा।
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गौरतलब है कि अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने रामलला के मंदिर निर्माण के लिए धन संग्रह का अभियान चला रखा है। इसी अभियान में समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव ने भी बड़ा योगदान दिया है। लखनऊ में मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव ने अयोध्या के राम मंदिर निर्माण के लिए 11 लाख रुपया दान देने के साथ ही कहा कि यह दान मैंने स्वेच्छा से किया है। यह (दान) मेरी जिम्मेदारी थी। इसके साथ ही अपर्णा ने यह भी स्पष्ट किया कि यह दान अपने परिवार की तरफ से नहीं दे रही हैं। राम मंदिर निर्माण के लिए दान देने के बाद मीडिया से रूबरू होते हुए अपर्णा ने कहा कि अतीत कभी भी भविष्य के बराबर नहीं होता है, इसी कारण समझा जाना चाहिए कि मैंने अपनी जिम्मेदारी निभाई है। इसमें मैं अपने परिवार के लिए जिम्मेदारी नहीं निभा सकती। अतीत कभी भी भविष्य के बराबर नहीं होता है।
अपर्णा का अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर निर्माण के लिए दान देना इसलिए भी चर्चा का विषय बना हुआ है क्योंकि पहले समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव और अब उनके पुत्र अखिलेश यादव ने तुष्टिकरण की सियासत के चलते कभी भी राम मंदिर निर्माण का पक्ष नहीं लिया था। अपर्णा के इस कदम से समाजवादी पार्टी आलाकमान दुविधा में नजर आ रहा है। बहरहाल, यह पहला मौका नहीं है जब अपर्णा ने अपने परिवार से अलग राह पकड़ी है। समाजवादी पार्टी के टिकट पर लखनऊ के कैंट विधानसभा क्षेत्र से 2017 में चुनाव लड़ चुकीं अपर्णा उस समय भी चर्चा में रही थीं, जब उन्होंने 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी से बगावत करके जसवंतनगर विधानसभा क्षेत्र से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे अपने चचिया ससुर शिवपाल सिंह यादव तथा जौनपुर के मल्हनी से लड़े स्वर्गीय पारसनाथ यादव के लिए वोट मांगे थे। शिवपाल व पारसनाथ यादव तो चुनाव जीते थे, लेकिन अपर्णा यादव को भाजपा की रीता बहुगुणा जोशी ने चुनाव हरा दिया था।
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इतना ही नहीं अपर्णा पार्टी लाइन से अलग हटकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कामों की तारीफ करती रहतीं हैं। इस दौरान उनके निशाने पर अक्सर समाजवादी पार्टी के मुखिया पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी रहते हैं। अपर्णा यादव देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली की बड़ी प्रशंसक हैं। वह कई बार समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के खिलाफ भी टिप्पणी कर चुकी हैं। वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात भी कर चुकी हैं। अपर्णा यादव के पति प्रतीक यादव सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव को छोटे पुत्र हैं। प्रतीक हमेशा सियासत से दूर रहते हैं जबकि अपर्णा को सियासत काफी रास आती है।
-अजय कुमार
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