पांच राज्यों के चुनाव में सब पर भारी पड़ी है कांग्रेस, परिणाम के बाद देश में बढ़ेगा राहुल गांधी का कद

Rahul Gandhi
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राजस्थान में सबसे बड़ी आबादी जाट समाज की है जो पारंपरिक रूप से कांग्रेस के समर्थक रहे हैं। इस बार भी जाटों का कांग्रेस से जुड़ाव कांग्रेस के लिए एक नई संजीवनी साबित हो रहा है। हालांकि भाजपा ने सात सांसदों को चुनाव मैदान में उतारा था।

देश के पांच राज्यो के विधानसभा चुनावो में कांग्रेस ने अपनी ताकत का एहसास कराया है। कर्नाटक व हिमाचल प्रदेश विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस ने भारी बहुमत से अपनी सरकार बनाकर भाजपा को जबरदस्त पटकनी दी थी। तभी से लगने लगा था कि कांग्रेस धीरे-धीरे अपनी स्थिति सुधार रही है। वहीं केंद्र में सत्तारुढ़ भाजपा का पराभव प्रारंभ हो चुका है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जब भारत जोड़ो यात्रा प्रारंभ की थी तो किसी को सपने में भी गुमान नहीं था कि उनकी यात्रा को आमजन का इतना जन समर्थन मिलेगा। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा ने कमजोर होती कांग्रेस में एक नई जान फूंकने का काम किया है।

पांच राज्यों में चल रहे विधानसभा चुनाव को लोकसभा चुनाव के ट्रेलर के रूप में देखा जा रहा है। इन राज्यों के नतीजे का असर अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव में देखने को मिलेगा। सबसे बड़ी बात 26 विपक्षी दलों द्वारा बनाए गए इंडिया गठबंधन अगले लोकसभा चुनाव में भाजपा को कितनी बड़ी चुनौती दे पाएगा इसका पता भी इन विधानसभा चुनाव के परिणामों से लग जाएगा। राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, मिजोरम में विधानसभा की कुल 679 सीटों के लिए हो रहे चुनाव में कांग्रेस प्राय सभी सीटों पर चुनाव लड़ रही है।

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हिंदी भाषी बेल्ट माने जाने वाले राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में तो कांग्रेस की भाजपा से सीधा मुकाबला है। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने इन तीनों प्रदेशों में सरकार बनाई थी। मगर भाजपा ने षडयंत्र पूर्वक मध्य प्रदेश की सरकार को गिरकर शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में अपनी सरकार बना ली थी। अब इन तीनों ही प्रदेशों में एक बार फिर कांग्रेस व भाजपा में सीधा मुकाबला हो रहा है। यहां मतदान हो चुका है। मतदान के प्रारंभिक रुझानों से लगता है कि कांग्रेस मजबूत बनकर उभर रही है।

राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस ने पिछले दो वर्षों में बहुत सी जनहितकारी योजनायें शुरू की थीं। जिसका असर इन चुनाव में भी देखने को मिला है। चुनाव के दौरान राजस्थान में कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में प्रदेश की जनता से सात वायदे किए हैं तथा कहा है कि यदि फिर से कांग्रेस की सरकार बनती है तो वह इन वादों को लागू करेगी। यह सभी वायदे आम जन को खासा प्रभावित कर रहे हैं।

राजस्थाना में कांग्रेस ने कमजोर स्थिति वाले बहुत से विधायकों का टिकट काट कर नए लोगों को मौका दिया है। जिससे सरकार के प्रति व्याप्त नाराजगी समाप्त हुई है। राजस्थान विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस तरह से चुनावी चक्रव्यूह की रचना की थी जिसमें भाजपा के दिग्गज नेता भी उलझ कर रह गए। कई बड़े जाट नेताओं के भाजपा में जाने के बावजूद कांग्रेस पार्टी ने जाट समाज के लोगों को बढ़ चढ़कर टिकट दिया थां जिसके चलते जाट समाज के मतदाता कांग्रेस से ही जुड़े रहे हैं।

प्रदेश में सबसे बड़ी आबादी जाट समाज की है जो पारंपरिक रूप से कांग्रेस के समर्थक रहे हैं। इस बार भी जाटों का कांग्रेस से जुड़ाव कांग्रेस के लिए एक नई संजीवनी साबित हो रहा है। हालांकि भाजपा ने सात सांसदों को चुनाव मैदान में उतारा था। मगर सभी सांसद चुनावी चक्रव्यूह में फंसे हुए नजर आये। उनके चुनाव लड़ने से भाजपा को कोई फायदा होता नजर नहीं आ रहा है। उसके उलट कांग्रेस ने संगठन से जुड़े कई नए लोगों को अवसर देखकर पार्टी कार्यकर्ताओं में एक नए जोश का संचार किया है।

मध्य प्रदेश में कांग्रेस को भाजपा द्वारा करवाए गए दल-बदल का लाभ मिलता नजर आ रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव में वहां कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी थी। मगर सवा साल बाद ही भाजपा ने ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक विधायकों से दल-बदल करवाकर कमलनाथ सरकार को गिराकर भाजपा की सरकार बना ली थी। भाजपा ने वहां अपनी जोड़-तोड़ से सरकार तो बना ली थी। मगर कांग्रेस से भाजपा में आए सिंधिया समर्थक विधायकों व भाजपा के मूल कार्यकर्ताओं का टकराव कभी समाप्त नहीं हो पाया। यहां तक की टिकट वितरण में भी भाजपा दोनों गुटों को एक जगह करने में असफल रही। 

इसी के चलते बड़ी संख्या में भाजपा के बागी मैदान में उतरकर भाजपा प्रत्याशियों को नुकसान पहुंचाया है। मध्य प्रदेश में लगातार शिवराज सिंह के मुख्यमंत्री बनने व उनके शासन में खुले आम भ्रष्टाचार होने के कारण वहां की जनता में सरकार के प्रति भारी नाराजगी व्याप्त थी। जिसका असर चुनाव में होना तय माना जा रहा है। शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री रहते पहले व्यापमं घोटाले का दाग लगा था जो धुल भी नहीं पाया था कि पिछले दिनों पटवारी भर्ती परीक्षा को लेकर भी शिवराज सिंह सरकार को खासी बदनामी झेलनी पड़ी थी।

लगातार चार बार मुख्यमंत्री रहने के कारण मध्य प्रदेश के लोगों में शिवराज सिंह चौहान की नकारात्मक छवि बन चुकी है। जिसका खामियाजा वहां भाजपा को उठाना पड़ेगा। मध्य प्रदेश में भी भाजपा ने बड़ी संख्या में केंद्रीय मंत्रियों व सांसदों को मैदान में उतार कर शिवराज सरकार के प्रति व्याप्त हो रही नाराजगी को कम करने का प्रयास किया था। मगर ऐसा हो नहीं पाया। मध्य प्रदेश की जनता शिवराज सरकार के कारनामों के कारण हर हाल में भाजपा सरकार को बदलना चाहती है।

छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कांग्रेस के पहले ऐसे नेता हैं जो पांच साल शासन करने के उपरांत भी प्रदेश की जनता में पहले की तरह लोकप्रिय बने हुए हैं। जमीन से जुड़े होने के कारण बघेल को आम आदमी की समस्याओं का पता है। अपने कार्यकाल में उन्होंने आम आदमी के भले से जुड़ी अनेकों योजनाएं जारी कर लोगों में अपनी सरकार के प्रति नकारात्मक भावना पैदा ही नहीं होने दी। जिसका लाभ उनको विधानसभा चुनाव में भी मिलता दिख रहा है। अंतिम वर्ष में उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी टीएस सिंह देव को उपमुख्यमंत्री बनाकर उनकी नाराजगी ही दूर नहीं की बल्कि कांग्रेस संगठन को भी मजबूत करने का काम किया है।

पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के मुख्यमंत्री रमन सिंह के 15 साल के कार्यकाल से तंग आ चुकी जनता को भूपेश बघेल ने एक नया नेतृत्व देखकर प्रदेश के सभी वर्गों के विकास का वादा किया था। जिस पर उन्होंने खरा उतरने के लिए पूरा प्रयास किया है। छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस मजबूती के साथ चुनाव लड़ी है और फिर से सरकार बनाने को लेकर पूरी तरह आशान्वित नजर आ रही है।

तेलंगाना में कांग्रेस ने सबसे अधिक मजबूती दिखाई है। 2014 के बाद तेलंगाना में कांग्रेस बहुत कमजोर स्थिति में पहुंच गई थी। मगर इस बार बीआरएस पार्टी के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव को कड़ी टक्कर दे रही है। वहां तो स्थिति यहां तक पहुंच गई है कि भाजपा व मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव की पार्टी में गुप्त समझौता हुआ बताते हैं। जिसके चलते भाजपा कांग्रेस को हराने के लिए अंदरखाने बीआरएस को चुनाव जितवाने का प्रयास कर रही है। इसी के चलते विधानसभा चुनाव प्रचार में भाजपा की तरफ से पहले जैसी आक्रामकता नजर नहीं आयी।

मिजोरम में कांग्रेस पूरी ताकत से सत्ता में आने का प्रयास कर रही है और कांग्रेस नेताओं के चुनाव प्रचार से लगता है कि वहां कांग्रेस अपनी खोई जमीन को फिर से पा लेगी। विधानसभा चुनाव के नतीजे आने में अभी समय है। मगर जिस तरह से मतदान हुआ है उसको देखकर लगता है कि आने वाला समय कांग्रेस के लिए शुभ संकेत लेकर आएगा।

-रमेश सर्राफ धमोरा

(लेखक राजस्थान सरकार से मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार हैं। इनके लेख देश के कई समाचार पत्रों में प्रकाशित होते रहते हैं।)

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