साक्षात्कारः नकवी ने कहा- बंगाल के स्थानीयों का हक घुसपैठियों में नहीं बंटने देंगे

mukhtar abbas naqvi

नकवी ने कहा, ''हम मुद्दों से राजनीति नहीं करते। राज्य की जरूरतों के हिसाब से चुनावों में मुद्दा बनाते हैं। बंगाल में भी हम यही सब कर रहे हैं। बंगाल में सीमा पार से अवैध घुसपैठ कैसे हुई, पूर्ववर्ती सरकारों की बदौलत। हमने प्रण किया है इस बीमारी को रोकेंगे।''

भाजपा बंगाल की लड़ाई को अंतिम लड़ाई मान रही है। चुनाव वैसे जो पांच राज्यों में हो रहे हैं। लेकिन चर्चा सबसे ज्यादा पश्चिम बंगाल की है। दरअसल, वहां भाजपा ने टीएमसी को परास्त करने के लिए जबरदस्त घेराबंदी की हुई है। अपनी पूरी मशीनरी वहां लगाई हुई है। दूसरी ओर बंगाल में रोज कोई न कोई न बखेड़ा खड़ा हो रहा है। ममता बनर्जी पर हमला भी हुआ। इसी बीच उत्तराखंड में मुख्यमंत्री की भी बदली हुई। इन्हीं सभी तमाम सियासी घटनाओं पर डॉ. रमेश ठाकुर ने केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी से सियासी पर्दे के पीछे की चीजों को टटोलना चाहा। पेश हैं गुफ्तगू के मुख्य सारांश-

इसे भी पढ़ें: साक्षात्कारः एलिजाबेथ वॉजक्यूज ने महिला उद्यमियों की राह की बाधाएं बताईं

प्रश्न- तकरीबन सभी राज्यों को भाजपा साध चुकी है। अब अंतिम फाइट पश्चिम बंगाल में ही है?

उत्तर- भारतीय जनता पार्टी विश्वास और विकास के साथ राज्य के विधानसभा चुनावों में जाती है। क्योंकि जनता का वास्ता इन्हीं दोनों से होता है। विकास के साथ विश्वास भी जरूरी है। देशवासियों का अटूट विश्वास पार्टी पर है। इसलिए हम दूसरे दलों की तरह लोगों की भावनाओं और उनके विश्वास से नहीं खेलते हैं। यही कारण है कि हम एक-एक करके सभी राज्यों में जीतते गए। भाजपा मुद्दों को उलझाती नहीं, बल्कि सुलझाने में विश्वास रखती है। हम मुद्दों से राजनीति नहीं करते। राज्य की जरूरतों के हिसाब से चुनावों में मुद्दा बनाते हैं। बंगाल में भी हम यही सब कर रहे हैं। बंगाल में सीमा पार से अवैध घुसपैठ कैसे हुई, पूर्ववर्ती सरकारों की बदौलत। हमने प्रण किया है इस बीमारी को रोकेंगे।

  

प्रश्न- पर लगता ऐसा है कि जैसे भाजपा की लड़ाई ममता बनर्जी से व्यक्तिगत हो गई हो?

उत्तर- राजनीति में व्यक्तिगत कुछ नहीं होता। समाज सेवा भाव को लोग राजनीति कहने लगते हैं। प्रदेश की जनता जिस हाल में है, उसका हम-आप दिल्ली में बैठकर अंदाजा नहीं लगा सकते। स्थानीय लोगों का हक दूसरों को बांटा जा रहा है। पूरा बंगाल अवैध नागरिकों से बसा दिया गया है। इस कृत्य में सिर्फ टीएमसी ही दोषी नहीं, बल्कि वाम पार्टियां और कांग्रेस भी बराबर की भागीदार हैं। तीनों ने मिलकर क्रांतिकारियों की धरती को बदनुमा कर दिया। उनकी आत्माएं इन तीनों पार्टियों को कोसती होंगी।

प्रश्न- ममता बनर्जी पर हुए हमले का आरोप भाजपा पर लग रहा है?

उत्तर- ये सब ड्रामा है। जब वह फाइट से अलग हो गईं, तो इमोशनल कार्ड खेलने लगीं। ये उनका एक्सपाईरी फार्मूला है, जो शायद काम नहीं आएगा। उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया है, जबकि, सच्चाई क्या है ये वहां की जनता बखूबी जानती है। हमले को लेकर हमने जांच की मांग की है और चुनाव आयोग से घटना से संबंधित सीसीटीवी फुटेज को सार्वजनिक करने की गुजारिश की है। दो मई को जब रिजल्ट आएगा, तब सभी का जवाब मिल जाएगा। उस दिन जनता अपना फरमान सुनाएगी। दीदी को गद्दी से बेदखल होना होगा। बंगाल की जनता मजबूरन उन्हें बर्दाश्त कर रही है।

प्रश्न- पांच राज्यों के चुनावों के बीच उत्तराखंड के सियासी घटनाक्रम का अनुकूल असर तो नहीं पड़ेगा?

उत्तर- दरअसल, यह हमारा अंदरूनी मामला है जिसे बिना हंगामे के निपटा लिया गया। उत्तराखंड पर्वतीय राज्य है वहां की सियासत अन्य राज्यों के मुकाबले अलहदा होती है। पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव से इसका कोई लेना देना नहीं? तीरथ सिंह रावत पार्टी के ईमानदार सदस्य हैं। उनको जिम्मेदारी सौंपी गई है। मुझे उम्मीद है सरकार और संगठन में जो थोड़ा बहुत असंतोष है उसे जल्द दूर कर लेंगे।

इसे भी पढ़ें: साक्षात्कारः अनुराग ठाकुर ने कहा- हिंदुस्तान की आत्मनिर्भर मुहिम को नई गति देगा बजट

प्रश्न- क्या पार्टी बंगाल में जीत रही है?

उत्तर- सौ फीसदी, क्योंकि लड़ाई अब एक तरफा हो गई है। टीएमसी लड़ाई से बाहर हो गई है। ममता बनर्जी के बड़े नेताओं ने पार्टी से किनारा करके भाजपा का दामन थाम लिया है। इसलिए ममता बनर्जी अब कतार में अकेली ही खड़ी हैं। भाजपा की रैलियों और चुनावी सभाओं में जुटती हजारों-लाखों लोगों की भीड़ बताती है कि बंगाल की जनता क्या चाहती है? वहां बदलाव की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। लोकसभा में 18 सीटें मिलने के बाद तय हो गया था कि अगली सरकार भाजपा की ही बनेगी।

प्रश्न- कौन हो सकता है मुख्यमंत्री का चेहरा। मिथुन चक्रवर्ती भी पार्टी में शामिल हो गए हैं?

उत्तर- राज्यों की परिस्थितियों के हिसाब से हम चुनाव लड़ते हैं। मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा, इसे मुद्दा नहीं बनाते। पहले चुनाव शांति पूर्ण संपन्न हों। परिणाम आने के बाद सामूहिक रूप से मुख्यमंत्री बनाने का फैसला पार्टी के शीर्ष नेता सबकी सहमति से करते हैं। आपको दो मई के बाद इस सवाल का जवाब मिलेगा। फिलहाल हमारा पूरा फोकस चुनाव जीतने पर है। हम अपनी बात बंगाल के प्रत्येक घर तक पहुंचा पाएं, इस पर ज्यादा जोर है। पांचों राज्यों में हम प्रधानमंत्री के कामों को लेकर जा रहे हैं। मिथुन चक्रवर्ती के आने से पार्टी निश्चित रूप से मजबूत होगी।

प्रश्न- उनका कोबरा वाला बयान पार्टी को असहज भी कर रहा है?

उत्तर- बिल्कुल नहीं? देखिए, मिथुन दा नेता से पहले कलाकार हैं। एक कलाकार के भीतर कई रूप शामिल होते हैं। उनका कोबरा वाला बयान दरअसल टीएमसी के उन नेताओं के लिए था, जिन्होंने जनता को परेशान किया हुआ है। जनता की सुनते नहीं हैं। उन्हें ही डसने की बात कह रहे हैं। दादा अब पार्टी का हिस्सा हैं। एक ईमानदार कार्यकर्ता के तौर पर खुद को समर्पित किया है।

  

प्रश्न- जारी विधानसभा चुनावों में भी प्रधानमंत्री ही मुख्य चेहरा हैं?

उत्तर- निश्चित रूप से, इसमें कोई दो राय नहीं! प्रधानमंत्री की ईमानदारी और उनके एतिहासिक फैसलों ने उन्हें विश्व का सबसे बड़ा नेता बना दिया है। सभी राज्य भी यही चाहते हैं कि प्रधानमंत्री के कार्यकाल में उनके प्रदेश में भी भाजपा की ही हुकूमत हो ताकि विकास की गंगा बह सके। सभी पांच राज्यों में प्रधानमंत्री स्टार प्रचारक की भूमिका निभा रहे हैं। उनकी लहर आज भी पहले जैसी बरकरार है।

-बातचीत में जैसा केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने डॉ. रमेश ठाकुर से कहा।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़