मणिपुर विधानसभा चुनावों में इस बार किन मुद्दों पर वोट डालने जा रही है जनता ?

Manipur assembly elections
गौतम मोरारका । Jan 17 2022 11:10AM

मणिपुर में हाल में उग्रवादी हमलों के बाद सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा बन गया है। वैसे राज्य विधानसभा चुनाव में बेरोजगारी और विकास मुख्य मुद्दे हैं लेकिन कानून व्यवस्था के अलावा, सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम को रद्द करने की लंबे समय से जारी मांग भी प्रमुख मुद्दा है।

मणिपुर विधानसभा चुनावों में इस बार भाजपा और कांग्रेस के बीच काँटे का मुकाबला माना जा रहा है। देखना होगा कि क्या यहां भाजपा की पहली सरकार को एक और बार जनसेवा का मौका मिलता है या सत्ता में कांग्रेस वापसी करती है। मणिपुर के राजनीतिक परिदृश्य की बात करें उससे पहले आपको बता दें कि पिछली जनगणना के अनुसार मणिपुर की साक्षरता दर लगभग 80 प्रतिशत थी, जो राष्ट्रीय औसत से काफी अधिक है और पुरुष साक्षरता 86.49 प्रतिशत है। मणिपुर के आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 के अनुसार 15-24 आयु वर्ग में युवा बेरोजगारी 44.4 प्रतिशत है।

इसे भी पढ़ें: गोरखपुर के अलावा क्या अयोध्या से भी लड़ेंगे योगी, अखिलेश जोश में क्यों खो बैठे होश

मणिपुर में हाल में उग्रवादी हमलों के बाद यहां सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा बन गया है। वैसे राज्य विधानसभा चुनाव में बेरोजगारी और विकास मुख्य मुद्दे हैं लेकिन कानून व्यवस्था के अलावा, सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम को रद्द करने की लंबे समय से जारी मांग भी प्रमुख मुद्दा है। इसके अलावा राज्य में आर्थिक संकट को लेकर भी कांग्रेस भाजपा पर काफी आक्रामक है। मणिपुर में शायद ही कोई उद्योग है, इसलिए कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा शासन में रोजगार के मोर्चे पर कोई काम नहीं हुआ। भाजपा और कांग्रेस के अलावा नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) और नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) जैसे छोटे स्थानीय दल अपनी-अपनी मांगों को लेकर आगे बढ़ रहे हैं।

हम आपको याद दिला दें कि भाजपा दो स्थानीय दलों- एनपीपी और एनपीएफ के साथ हाथ मिलाकर सिर्फ 21 सीटों के बावजूद 2017 में सरकार बनाने में कामयाब रही थी। पिछले चुनावों में कांग्रेस को 28 सीटें मिली थीं। भाजपा का कहना है कि वह इस बार के चुनावों में दो-तिहाई सीटें जीतना चाहती है जबकि कांग्रेस भी ऐसी ही चाहत जता रही है। हम आपको बता दें कि राज्य की 60 सदस्यीय विधानसभा के लिए दो चरणों में 27 फरवरी और तीन मार्च को चुनाव होगा।

भाजपा की मणिपुर इकाई के उपाध्यक्ष सी. चिदानंद का कहना है कि उनकी पार्टी का उद्देश्य ‘‘60 सदस्यीय सदन में 40 से अधिक सीटें प्राप्त करना है।’’ हालांकि भाजपा गठबंधन में दरारें भी नजर आ रही हैं जिसे स्वीकार करते हुए चिदानंद ने कहा कि ‘‘राज्य के पर्वतीय क्षेत्र में, मुख्य मुकाबला भाजपा और नगा पीपुल्स फ्रंट के बीच होगा। हम आपको बता दें कि पर्वतीय क्षेत्र में नगा जनजातियों का प्रभुत्व है और नगा पीपुल्स फ्रंट भाजपा की वर्तमान गठबंधन सहयोगी है उसके बावजूद यह दोनों दल आमने-सामने नजर आ रहे हैं।

इस बारे में विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा के भीतर मतभेद और एनपीपी और एनपीएफ सहयोगियों के बीच हिंदुत्व कार्ड को लेकर नाखुशी ने गठबंधन सहयोगियों के बीच दूरियां पैदा कर दी हैं और इससे भाजपा के चुनाव की संभावना प्रभावित हो सकती है। हालांकि, मणिपुर के लेखक एवं संपादक और पूर्वोत्तर के विशेषज्ञ प्रदीप फांजौबम ने कहा, ‘‘हालांकि चुनाव पूर्व गठबंधन नहीं हैं लेकिन सरकार बनाने के लिए आवश्यक होने पर चुनाव के बाद गठबंधन हो सकते हैं।’’ 

इसे भी पढ़ें: परिवार में सुलह होने से गद्गद् हैं मुलायम सिंह यादव, सपा में फिर से जोश भरने में लगे हैं

दूसरी ओर, कांग्रेस भी हाल के महीनों में अपने कई विधायकों के सत्तारुढ़ भाजपा में शामिल होने के लिए पार्टी छोड़ने जैसी समस्याओं से घिरी हुई है। कांग्रेस की राज्य इकाई के पूर्व अध्यक्ष गोविंददास कोंथौजम सहित कांग्रेस के पांच विधायक पिछले साल अगस्त में भाजपा में शामिल हुए थे। हालांकि, मणिपुर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष एन. लोकेन सिंह को भरोसा है कि कांग्रेस वापसी करेगी। उन्होंने ‘‘भ्रष्टाचार और वित्तीय घोटाले’’ के लिए मणिपुर में भाजपा के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार की आलोचना करते हुए कहा, ‘‘आवश्यक वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं, इसलिए राज्य के लोग केंद्र में और साथ ही साथ मणिपुर में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकारों से तंग आ चुके हैं।’’ उन्होंने दावा किया कि लोगों का मूड बदल रहा है क्योंकि ‘‘बेरोजगार युवाओं की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है... गरीब लोगों के रहने की स्थिति खराब हो रही है।'' उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के नेता अमीरों को बैंक, हवाई अड्डे, रेलवे स्टेशन आदि बेच रहे हैं।’’ मणिपुर कांग्रेस का यह भी आरोप है कि राज्य सरकार ने आचार संहिता का ऐलान हो जाने के बाद भी कई नीतिगत आदेश जारी किए, जो आचार संहिता का उल्लंघन है।

बहरहाल, आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति से इतर यदि जनता की बात करें तो वह यही चाहती है कि मणिपुर में शांति बनी रहे, महंगाई कम हो और रोजगार के अवसर बढ़ें। उग्रवाद की हालिया घटनाओं को देखते हुए जनता के मन में कई सवाल हैं जिनका जवाब वह अपने नेताओं से तब जरूर मांगेगी जब वह उनसे वोट मांगने आएंगे।

- गौतम मोरारका

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़