अब चौथे चरण में बुआ-बबुआ की प्रतिष्ठा लगी दांव पर
2009 में जीती सीटों पर खास नजर गड़ाए बैठी कांग्रेस भी कई जगह मुकाबले को त्रिकोणीय बना चुकी है। इस चरण में राज्य के 2.38 करोड़ के लगभग मतदाता कई दिग्गजों के भाग्य का फैसला करेंगे। गठबंधन के तहत इन 13 सीटों में से सपा 7 पर और बसपा 6 पर चुनाव लड़ रही है।
लोकसभा चुनाव के चौथे चरण के मतदान के तहत 29 अप्रैल को देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की 13 लोकसभा सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे। बीजेपी के सामने 2014 में जीती 12 सीटों को बरकरार रखने की चुनौती है तो वहीं जातीय समीकरण के आधार पर सपा-बसपा अपनी खोई जमीन को फिर से वापस पाने के लिए लड़ रही है। 2009 में जीती सीटों पर खास नजर गड़ाए बैठी कांग्रेस भी कई जगह मुकाबले को त्रिकोणीय बना चुकी है। इस चरण में राज्य के 2.38 करोड़ के लगभग मतदाता कई दिग्गजों के भाग्य का फैसला करेंगे। गठबंधन के तहत इन 13 सीटों में से सपा 7 पर और बसपा 6 पर चुनाव लड़ रही है।
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1. कन्नौज (कुल वोटर– 18.55 लाख)– इत्र नगरी में एक बार फिर से यादव परिवार की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। 2014 में मोदी लहर के बावजूद इस गढ़ को बचा पाने में कामयाब हुई डिंपल यादव को अखिलेश ने फिर से इसी सीट से चुनावी मैदान में उतारा है। अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल का यहां सीधा मुकाबला उत्तर प्रदेश बीजेपी युवा मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष सुब्रत पाठक से है क्योंकि यहां डिंपल के समर्थन में कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार ही नहीं उतारा है। शिवपाल यादव ने भी डिंपल के समर्थन में अपने उम्मीदवार को वापस ले लिया है। कन्नौज में मुस्लिम मतदाता की संख्या 30 फीसदी से भी ज्यादा है वहीं यादव 16 फीसदी, ब्राह्मण 15 फीसदी और राजपूत मतदाता 10 फीसदी के लगभग है। ओबीसी मतदाताओं की संख्या भी यहां अच्छी-खासी है।
2. झांसी (कुल वोटर– 20.15 लाख)– से वर्तमान सांसद और केन्द्रीय मंत्री उमा भारती ने पत्र लिखकर इस बार चुनाव नहीं लड़ने की इच्छा जताई थी। उमा भारती की इच्छा को मानते हुए पार्टी ने उन्हे राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया और झांसी से नए चेहरे उद्योगपति अनुराग शर्मा को चुनावी मैदान में उतार दिया। अनुराग शर्मा पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन उनके पिताजी एक-एक बार कांग्रेस और बीजेपी दोनो ही दलों के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं। सपा-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर श्याम सुंदर पारीछा मैदान में हैं तो वहीं कांग्रेस के समर्थन से बाबू सिंह कुशवाहा की जन अधिकार पार्टी ने यहां से शिवचरण कुशवाहा को मैदान में उतारकर लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है। इस सीट पर ब्राह्मणों के बाद कुशवाहा मतदाताओं की संख्या काफी अच्छी है। इसके बाद अहिरवार, मुस्लिम और साहू का नंबर आता है।
3. शाहजहांपुर (कुल वोटर- 20.97 लाख)– बीजेपी ने यहां से अपनी सांसद और केन्द्रीय मंत्री कृष्णा राज का टिकट काटकर अरुण सागर को उम्मीदवार बनाया है। गठबंधन में यह सीट मायावती के खाते में गई है और बसपा ने यहां से अमरचन्द्र जौहर को चुनावी मैदान में उतारा है। कांग्रेस के ब्रह्म स्वरुप सागर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में लगे हुए हैं। दिलचस्प तथ्य तो यह है कि ये तीनों उम्मीदवार पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। यहां 77 फीसदी के लगभग हिन्दू और 20 फीसदी के लगभग मुस्लिम मतदाता है।
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4. हरदोई (कुल वोटर- 17.94 लाख)- से बीजेपी ने अपने वर्तमान सांसद अंशुल वर्मा का टिकट काटकर समाजवादी पार्टी से आए जयप्रकाश रावत को चुनावी मैदान में उतारा है तो सपा ने कई बार चुनाव जीत चुकी ऊषा वर्मा को अपना उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस की तरफ से विरेन्द्र कुमार चुनावी मैदान में है। इस सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 13 फीसदी और अनुसूचित जाति की 30 फीसदी के लगभग है। कुर्मी, ब्राह्मण और ओबीसी मतदाताओं की भी अच्छी संख्या जीत-हार में निर्णायक भूमिका निभाती है।
5. खीरी (कुल वोटर– 17.57 लाख)– बीजेपी ने यहां से अपने मौजूदा सांसद अजय मिश्र को फिर से चुनावी मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने 2009 में चुनाव जीते जफर अली नकवी पर भरोसा जताया है तो वहीं सपा की तरफ से पूर्वी वर्मा मैदान में है। अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़े वर्ग के वोटरों की तादाद यहां काफी ज्यादा है। वहीं 20 फीसदी के लगभग मुस्लिम मतदाता भी चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
6. फर्रुखाबाद (कुल वोटर- 16.88 लाख)- आलू के शहर के नाम से मशहूर इस क्षेत्र में कांग्रेस की तरफ से 2009 में चुनाव जीत चुके पूर्व केन्द्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद यहां से चुनाव लड़ रहे हैं। मायावती ने मनोज अग्रवाल को उम्मीदवार बनाया है। वहीं बीजेपी ने इस सीट पर एक बार फिर से अपने वर्तमान सांसद से मुकेश राजपूत पर भरोसा जताते हुए उन्हे ही चुनावी घमासान में उतारा है। इस सीट पर 14 फीसदी के लगभग मुस्लिम, 16.2 फीसदी के लगभग एससी मतदाताओं के अलावा राजपूत, ब्राह्मण और ओबीसी वोटर भी निर्णायक भूमिका में है।
7. उन्नाव (कुल वोटर– 21.77 लाख)- बीजेपी की तरफ से एक बार फिर से साक्षी महाराज ही यहां से चुनाव लड़ रहे हैं। टिकट कटने की अफवाहों के बीच साक्षी महाराज ने पत्र लिखकर पार्टी को धमकी तक दे दी थी। कांग्रेस की तरफ से पूर्व सांसद अन्नू टंडन मैदान में है। सपा ने इस सीट से पहले पूजा पाल को टिकट दिया था लेकिन बाद में जातीय समीकरणों को देखते हुए सपा ने उनका टिकट काटकर अरुण कुमार शुक्ला को चुनावी मैदान में उतार दिया। लगभग 17 फीसदी शहरी आबादी वाले इस संसदीय क्षेत्र में 31 फीसदी के लगभग एससी मतदाता है। पिछड़ा और ब्राह्मण वर्ग भी चुनाव जीताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
8. कानपुर (कुल वोटर- 15.97 लाख)- बीजेपी के संस्थापक नेताओं में से एक रहे मुरली मनोहर जोशी की वजह से यह सीट काफी चर्चा में रही। बीजेपी ने इस बार उनका टिकट काटकर प्रदेश की योगी सरकार के कद्दावर मंत्री सत्यदेव पचौरी को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने यहां से पहले चुनाव जीत चुके पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल पर भरोसा जताया है तो वहीं सपा की तरफ से राम कुमार चुनाव को त्रिकोणीय बनाते नजर आ रहे हैं।
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9. जालौन (कुल वोटर– 19.17 लाख)– बीजेपी ने इस सीट से वर्तमान सांसद भानु प्रताप सिंह वर्मा को फिर से टिकट थमाया है। बसपा की तरफ से अजय सिंह पंकज चुनाव लड़ रहे हैं जबकि कांग्रेस ने ब्रजलाल खाबरी को उम्मीदवार बनाया है । जालौन में लगभग 69 फीसदी आबादी हिन्दुओं और 30 फीसदी मुस्लिमों की है। 27.8 फीसदी आबादी अनुसूचित जाति वर्ग की है।
10. हमीरपुर (कुल वोटर– 17.38 लाख)– प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके के संसदीय क्षेत्रों में से एक यमुना और बेतवा नदी के संगम पर बसे इस इलाके से बीजेपी ने वर्तमान सांसद कुंवर पुष्पेंद्र सिंह चंदेल को एक बार फिर से चुनावी मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने यहां से प्रीतम सिंह लोधी को टिकट दिया है तो बसपा की तरफ से दिलीप कुमार सिंह मैदान में हैं। लगभग 83 फीसदी ग्रामीण आबादी वाले हमीरपुर में अनुसूचित जाति की आबादी 23 फीसदी के लगभग है। मुस्लिम मतदाता की संख्या 8 फीसदी है। ब्राह्मण, राजपूत और मल्लाह मतदाता भी इस सीट पर निर्णायक भूमिका में है।
11. इटावा (कुल वोटर– 17.39 लाख)– 2014 में बीजेपी के टिकट पर इस सीट से चुनाव जीते अशोक कुमार दोहरे इस बार कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर यहां से चुनाव लड़ रहे हैं। सपा ने अपने पुराने उम्मीदवार कमलेश कुमार को ही फिर से चुनावी मैदान में उतारा है। जबकि बीजेपी ने इस बार आगरा से वर्तमान सांसद प्रो.रामशंकर कठेरिया की सीट बदलकर उन्हे इटावा से उम्मीदवार बनाया है। शिवपाल यादव की प्रसपा ने शम्भू दयाल दोहरे को मैदान में उतार कर चुनावी लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है।
12. मिश्रिख (कुल वोटर– 17.79 लाख)– बीजेपी ने इस सीट से भी अपने वर्तमान सांसद अंजू बाला का टिकट काटकर दल बदलने वाले अशोक कुमार रावत को अपना उम्मीदवार बनाया है । बसपा की तरफ से नीलू सत्यार्थी चुनावी मैदान में है तो वहीं कांग्रेस ने मंजरी राही को उम्मीदवार बनाया है।
13. अकबरपुर (कुल वोटर– 17.30लाख)– लोकसभा क्षेत्र में कानपुर नगर की 4 विधानसभा और कानपुर देहात की एक विधानसभा आती है। पहले यह बिल्हौर सीट के रुप में जाना जाता था। 2009 में परिसीमन के बाद अकबरपुर लोकसभा क्षेत्र अस्तित्व में आया। बीजेपी ने अपने वर्तमान सांसद देवेन्द्र सिंह भोले को फिर यहां से चुनावी मैदान में उतारा है। बसपा ने निशा सचान को टिकट दिया है तो कांग्रेस की तरफ से 2009 में चुनाव जीते राजाराम पाल चुनावी मैदान में है। इस सीट को पिछड़ा और दलित बाहुल्य माना जाता है। तीसरे स्थान पर ठाकुर मतदाता है वहीं राजपूत और ब्राह्मण वोटरों की भी अच्छी तादाद इस क्षेत्र में है।
- संतोष पाठक
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