Modi ने Britain को जिस तरह झुकने पर मजबूर किया, उसका संदेश पूरी दुनिया में गया है

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ANI
गौतम मोरारका । Mar 24 2023 4:39PM

ब्रिटेन की संसद के निचले सदन हाउस ऑफ कॉमन्स में भारतीय उच्चायोग में खालिस्तान समर्थक चरमपंथियों द्वारा की गई तोड़फोड़ का मुद्दा उठा तो नजारा देखने लायक था क्योंकि कई सांसद इसको लेकर चिंतित दिखे।

एक हिंदी फिल्म का गाना है 'झुकती है दुनिया झुकाने वाला चाहिए'। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संदर्भ में देखें तो उन पर यह गाना बिल्कुल फिट बैठता है। पहले कई बार ऐसे वाकये हुए जब विदेशों में किसी संगठन की भारत विरोधी गतिविधियों पर हम सिर्फ शिकायत करते रह जाते थे लेकिन आज परिदृश्य बदल चुका है। विदेशों में भारत विरोधी किसी भी गतिविधि के मामले में पहले कड़े शब्दों में शिकायत की जाती है और अगर बात नहीं सुनी जाती तो ऐसी कार्रवाई कर दी जाती है कि सामने वाला देश तत्काल भारत की ओर से की गयी शिकायतों पर एक्शन लेने लगता है। हाल के दिनों में लंदन में देखने को मिला कि कैसे खालिस्तानी तत्व हावी होने लगे और भारतीय उच्चायोग पर तिरंगा उतारने का प्रयास किया गया। लेकिन भारतीय अधिकारियों ने तिरंगा नहीं उतरने दिया और आज वहां पहले से बड़ा तिरंगा शान से लहरा रहा है। हमने देखा कि शुरू में भारतीय उच्चायोग के बाहर हंगामा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने को लेकर ब्रिटिश सरकार अनमनी-सी दिखी लेकिन जब भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त के घर के बाहर सुरक्षा घटाई गयी तो तत्काल लंदन में भारतीय उच्चायोग की सुरक्षा भी बढ़ाई गयी और स्कॉटलैंड यार्ड पुलिस भी हंगामा करने वालों के खिलाफ एक्शन लेने के लिए हरकत में आई, ब्रिटिश संसद में यह मुद्दा उठ गया और मंत्रियों को भारतीयों की सुरक्षा का आश्वासन देना पड़ गया। हम आपको याद दिला दें कि मोदी सरकार ने ब्रिटेन को ऐसे ही तब भी झुकने को मजबूर किया था जब कोरोना महामारी के दौरान ब्रिटेन ने कोविशील्ड वैक्सीन लेने वाले भारतीय यात्रियों पर प्रतिबंध लगा दिया था और भारत के कोरोना टीका प्रमाणपत्र पर अविश्वास जताते हुए इसे मानने से इंकार कर दिया था। पलटवार में भारत ने भी समान कार्रवाई कर दी थी जिससे ब्रिटिश सरकार को अपना फैसला वापस लेना पड़ गया था।

ब्रिटेन की संसद के निचले सदन हाउस ऑफ कॉमन्स में भारतीय उच्चायोग में खालिस्तान समर्थक चरमपंथियों द्वारा की गई तोड़फोड़ का मुद्दा उठा तो नजारा देखने लायक था क्योंकि कई सांसद इसको लेकर चिंतित दिखे। ब्रिटिश सांसदों ने ‘खालिस्तानी चरमपंथियों’ के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने और भारतीय राजनयिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की। इस दौरान कैबिनेट मंत्री पेनी मॉरडॉन्ट ने कहा कि हम लंदन में भारतीय उच्चायोग के बाहर हुई तोड़फोड़ और हिंसक कृत्यों की कड़ी निंदा करते हैं। उन्होंने कहा कि उच्चायोग के आसपास सुरक्षा उपायों की समीक्षा करने के लिए मेट्रोपॉलिटन पुलिस के साथ काम किया जा रहा है और इसके कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर संभव बदलाव किया जाएगा, ताकि वे इस देश और भारत, दोनों की सेवा करते हुए सुरक्षित जीवन व्यतीत कर सकें। वहीं, ब्रिटेन के विदेश मंत्री जेम्स क्लीवरली ने कहा है कि उनकी सरकार खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनकारियों के अस्वीकार्य हिंसक कृत्यों के बाद भारतीय उच्चायोग में सुरक्षा की समीक्षा करेगी। विदेश मंत्री क्लीवरली ने एक बयान में कहा कि ब्रिटेन की सरकार ऐसे मामलों को बहुत गंभीरता से लेती है और मेट्रोपोलिटन पुलिस के साथ मिलकर हमले का सख्ती से जवाब देगी। क्लीवरली ने कहा कि लंदन में भारतीय उच्चायोग में कर्मचारियों के खिलाफ हिंसक कृत्य अस्वीकार्य हैं और मैंने उच्चायुक्त विक्रम दुरईस्वामी के सामने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। उन्होंने कहा कि पुलिस जांच जारी है और सरकार लंदन में भारतीय उच्चायोग तथा नयी दिल्ली में भारत सरकार के साथ संपर्क में है। हम आपको बता दें कि लंदन में भारतीय मिशन में पर्याप्त सुरक्षा उपाय नहीं होने पर भारत सरकार के कड़े विरोध के बाद ब्रिटेन के विदेश मंत्री क्लीवरली का यह बयान सामने आया है।

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इसके अलावा, हम आपको बता दें कि भारतीय उच्चायोग के पास सुरक्षा कड़ी कर दी गई है और अवरोधक लगा दिए गए हैं। अपने राजनयिक मिशन के बाहर सुरक्षा के इंतजाम में कमी को लेकर भारत सरकार की ओर से कड़ा विरोध जताये जाने के बाद यह कदम उठाया गया है। इसके अलावा ब्रिटेन के कई सुरक्षा अधिकारी वहां लगातार गश्त कर रहे हैं और मेट्रोपोलिटन पुलिस के वाहन ‘इंडिया प्लेस’ के बाहर खड़े हैं। इसके अलावा कई घुड़सवार अधिकारी क्षेत्र में गश्त कर रहे हैं और हेलीकॉप्टर से निगरानी की जा रही है।

हम आपको बता दें कि लंदन में रविवार को हुए प्रदर्शन के दौरान भारतीय उच्चायोग की खिड़कियों के कांच तोड़ दिये गये थे और भारत विरोधी नारेबाजी की गयी थी। लेकिन इस सबके बावजूद जब ब्रिटिश अधिकारियों ने पूरे मुद्दे को हल्के में लिया तो नयी दिल्ली में पुलिस ने ब्रिटिश उच्चायोग के बाहर लगे अवरोधक हटा दिये थे। हालांकि बाद में पुलिस ने कहा कि यह अवरोधक आने जाने वालों के लिए अवरोध पैदा कर रहे थे। पुलिस ने कहा था कि राजनयिक मिशन की सुरक्षा अक्षुण्ण है। इसके कुछ ही देर बाद ब्रिटेन के रुख में परिवर्तन देखने को मिला। यदि यह परिवर्तन नहीं आया होता तो बुधवार को भारतीय उच्चायोग के बाहर जो हंगामा हुआ वह खतरनाक साबित हो सकता था। उल्लेखनीय है कि लंदन में भारतीय उच्चायोग के पास लगभग 2,000 प्रदर्शनकारी खालिस्तान के झंडे लहराते हुए बुधवार को एक सुनियोजित प्रदर्शन के लिए इकट्ठा हुए और कड़ी सुरक्षा व्यवस्था एवं अवरोधक लगे होने के बीच कुछ वस्तुएं फेंकी और नारे लगाए। भारतीय उच्चायोग ने अपने भवन की छत पर एक अतिरिक्त तिरंगा फहरा कर प्रदर्शनकारियों को जवाब दिया, जिससे प्रदर्शनकारी और भड़क गए और पुलिस अधिकारियों तथा मीडिया कर्मियों पर कुछ वस्तुएं और पानी की बोतलें फेंकने लगे। इस पर ‘स्कॉटलैंड यार्ड’ ने भारतीय उच्चायोग के बाहर नाकेबंदी बढ़ा दी और कई अतिरिक्त अधिकारियों को तुरंत वहां तैनात किया। बताया जा रहा है कि ब्रिटेन के विभिन्न हिस्सों से पगड़ीधारी पुरुषों और कुछ महिलाओं और बच्चों सहित प्रदर्शनकारी बस में लाए गए थे और उन्होंने खालिस्तान के समर्थन में नारे लगाए। प्रदर्शनकारियों ने भारत विरोधी भाषण देने और कथित मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए पंजाब पुलिस पर निशाना साधने के लिए माइक का इस्तेमाल किया।

बहरहाल, यह तो एक पक्ष है और वह छोटा-सा पक्ष है जिसे गुमराह किया गया है। ब्रिटेन में बड़ी संख्या में भारतीय समुदाय रहता है जो ऐसे लोगों की हरकतों के चलते खुद को असुरक्षित भी महसूस कर रहा है। लेकिन असुरक्षा की यह भावना देशप्रेम के आगे कोई महत्व नहीं रखती इसलिए लगातार प्रवासी भारतीय समुदाय के कई समूह ‘इंडिया हाउस’ के बाहर जमा हो रहे हैं और भारतीय मिशन के प्रति अपनी एकजुटता प्रकट कर रहे हैं। वहां रहने वाले भारतीय मूल के लोग ‘भारत माता की जय' के नारे लगा रहे हैं तथा 'जय हो’ और ‘रंग दे बसंती’ जैसे गानों पर नृत्य कर रहे हैं। इस प्रदर्शन को ‘वी स्टैंड बाई हाई कमीशन ऑफ इंडिया’ का नाम दिया गया है।

हम आपको यह भी बता दें कि ब्रिटेन में भारतीय उच्चायुक्त विक्रम दोरईस्वामी ने इंडिया हाउस में प्रवासी भारतीयों की एक बैठक की मेजबानी की और इस हमले के बाद भारतीय समुदाय के नेताओं की चिंताओं का समाधान करने का प्रयास किया।

-गौतम मोरारका

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