सपा गठबंधन को मजबूत करने की पटकथा लिख गए उत्तर प्रदेश के उपचुनाव

Akhilesh Yadav
ANI
अशोक मधुप । Dec 10 2022 5:59PM

समाजवादी पार्टी मुलायम सिंह यादव की विरासत मैनपुरी को बचाने में एक बार फिर कामयाब हो गई है। मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में सपा ने रिकॉर्ड जीत हासिल की है। डिंपल ने भाजपा के रघुराज शाक्य को 2,88,461 वोटों से हरा दिया है।

उत्तर प्रदेश के उपचुनाव भाजपा के लिए नया संदेश और नई चुनौती देने वाले हैं। इन उपचुनाव ने बिखर रहे सपा−रालोद गठबंधन को अब पुनः मजबूत करने में बड़ा काम किया। मैनपुरी में सपा की डिंपल यादव और खतौली में सपा−रालोद के उम्मीदवार मदन भैया की विजय से सपा-रालोद गठबंधन आगे और मजबूत होगा। जबकि अब तक रालोद का कहना था कि स्थानीय निकाय चुनाव वह अपने बूते पर लड़ेगा, किसी से गठबधंन नहीं किया जाएगा। किंतु इस चुनाव के बाद लगता है कि ये गठबंधन आगे भी जारी रहेगा। यह भी तय हो गया मैनपुरी चुनाव में नजदीक आए शिवपाल यादव अब सपा में ही रहेंगे। उन्होंने पुत्रवधु डिंपल की विजय के बाद प्रसपा के सपा में विलय की घोषणा कर दी। अपनी गाड़ी पर सपा का झंडा लगा लिया। इस विलय से कमजोर हो रही सपा मजबूत होगी। मुलायम सिंह की मौजूदगी में बंट गया उनका कुनबा उनके बाद इस चुनाच से एकजुट हो गया। उम्मीद है कि आगे भी यह एकजुट रहेगा।

भाजपा के लिए बस सकून की एक ही बात है कि इन तीन उपचुनाव में उसके पास एक सीट खतौली थी, वह इसने भले ही गंवा दी हो, किंतु पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान की पुरानी परंपरागत सीट पर उसने कब्जा बना लिया। ये बड़ी बात है कि 71 साल बाद रामपुर में किसी हिंदू प्रत्याशी की जीत हुई है। इसके बावजूद 20024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उसे अपनी नीति में बड़ा बदलाव करना होगा। रामपुर  उपचुनाव में मतदान के समय ही लग गया था कि भाजपा जीत सकती है। लगभग 50 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता वाली सीट पर इस बार 33 प्रतिशत ही मतदान हुआ। जबकि पिछली बार 2019 में 41.56 प्रतिशत मतदान हुआ था। इस चुनाव में आजम खान समर्थित प्रत्याशी होने के बावजूद मुसलिम मतदाता निराश नजर आए। वे मतदान करने घर से बहुत कम निकले। भाजपा समर्थित हिंदू मतदाता में उत्साह नजर आया। उन्होंने दबाकर मतदान किया। टिकट की घोषणा होते के साथ ही आजम खान के दो खास व्यक्ति फसाहत खान उर्फ शानू भाई और चमरौवा के पूर्व विधायक यूसुफ अली बीजेपी में शामिल हो गए थे।

अखिलेश काफी समये से पश्चिम उत्तर प्रदेश में दखल नहीं देते। यहां उनके पिताश्री के मित्र आजम खान की चलती है। अखिलेश सत्ता में आते ही आजम खान की इस अकड़ को तोड़ने की कोशिश करते रहे। आजम खान जब तक जेल में रहे, अखिलेश यादव ने उनसे मुलाकात नहीं की। लगता है कि अखिलेश आजम खान से छुटकारा चाहते हैं। इस बार उन्हें अवसर मिल गया। पूर्व मंत्री आजम खान पर हेट स्पीच की वजह से लगी रोक के बाद रामपुर की यह सीट खाली हुई। अखिलेश ने आजम खान के खास व्यक्ति आसिम रजा को फिर से यहां से टिकट दिया। शायद उनकी सोच यह रही कि अगर ये प्रत्याशी हारता है तो इसका अपयश आजम को ही जाएगा। सीट आजम खान के अयोग्य घोषित होने के कारण रिक्त हुई है, इसलिए ये टिकट आजम खान के परिवार के सदस्य को दिया जाना चाहिए था। आजम खान के परिवार के सदस्य को टिकट न दिए जाने में अखिलेश यादव ने बता दिया था कि वह आजम खान का गुरूर तोड़ना चाहते हैं। इस सीट से 71 साल बाद हिंदू प्रत्याशी भाजपा के आकाश सक्सेना ने जीत हासिल की। आजम खान इस सीट से दस बार और एक बार उनकी पत्नी विधायक रह चुकीं हैं। ऐसी मजबूत और परंपरागत सीट को बचाने के लिए पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान ने पूरे जोर लगाए। वोटरों को इमोशनली प्रभावित करने के  लिए एक बार मंच से आंसू भी बहाए। इस सीट पर सपा के आसिम रजा को 47296 वोट मिले हैं। बीजेपी के आकाश सक्सेना को 81432 वोट मिले हैं। भाजपा प्रत्याशी आकाश सक्सेना ने 21वें राउंड में बड़ा उलटफेर करते हुए आसिम रजा को पीछ कर दिया। इससे पहले आसिम लगातार 5-6 हजार वोटों से आगे चल रहे थे। 34वें राउंड की गिनती में आकाश की जीत पक्की हो गई। 34136 वोटों से आजम खान के करीबी आसिम रजा को शिकस्त मिली है।

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बीजेपी ने जब रामपुर लोकसभा उपचुनाव फतह किया था तो पहली बार बीजेपी को लेकर अल्पसंख्यक तबका नरम दिखाई दिया था। बीजेपी ने खुद को मिली इस स्वीकार्यता को पसमांदा सम्मेलन के जरिए और आगे बढ़ाया। उन्हें तरक्की और बेहतरी का रास्ता दिखाया। उसका प्रयास है कि आगामी लोकसभा चुनाव तक वह मुस्लिम पसमांदा का अपने से जोड़ने में कामयाब हो जाए।

समाजवादी पार्टी मुलायम सिंह यादव की विरासत मैनपुरी को बचाने में एक बार फिर कामयाब हो गई है। मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में सपा ने रिकॉर्ड जीत हासिल की है। डिंपल ने भाजपा के रघुराज शाक्य को 2,88,461 वोटों से हरा दिया है। डिंपल को 64 प्रतिशत वोट के साथ 618120 मत मिले। भाजपा के रघुराज शाक्य को 34.18 प्रतिशत के साथ 329659 वोट हासिल हुए। इस ऐतिहासिक जीत के साथ डिंपल यादव मैनपुरी लोकसभा सीट से पहली महिला सांसद बन गई हैं।

हालांकि इस सीट का बचाए रखने के लिए अखिलेश यादव और उनके परिवार को दनि−रात एक करने पड़े। स्वयं अखिलेश यादव घर−घर वोट मांगते घूमे। खुद डिंपल भी डोर टू डोर गईं। बड़ों के पांव छूकर आशीर्वाद लेती दिखाई दीं। चाचा शिवपाल को आंख दिखाने और अपमानित करने वाले अखिलेश यादव उन्हें इस चुनाव में पलकों पर बैठाए घूमे। शिवपाल यादव ने भी परिवार की बहू को जिताने में दिन−रात एक कर दिया। भाजपा के रघुराज शाक्य अपने का मुलायम सिंह का वारिस और शिष्य बताते घूमे, किंतु मतदाताओं ने उन्हें निराश ही किया।

         

गौरतलब है कि 2019 में सपा-बसपा गठबंधन में मैनपुरी सीट मुलायम सिंह यादव सिर्फ 95 हजार वोटों से जीते थे। उस चुनाव में मुलायम सिंह को 5,24,926 और प्रेम सिंह शाक्य को 4,30,537 वोट मिले थे। मुलायम सिंह को 53 प्रतिशत और प्रेम सिंह शाक्य को 44.09 प्रतिशत वोट मिले थे। इस बार बसपा ने चुनाव में अपने प्रत्याशी नहीं उतारे थे। उम्मीद थी कि बसपा का दलित वोट भाजपा को जाएगा, किंतु यहां एकतरफा मतदान हुआ। डिंपल यादव दो लाख 88 हजार से ज्यादा रिकॉर्ड मत पाकर विजयीं हुईं।

मुजफ्फरनगर की खतौली विधानसभा में सपा-रालोद गठबंधन के मदन भैया की जीत हुई है। मदन भैया को 97139 वोट मिले हैं, जबकि भाजपा प्रत्याशी और पूर्व विधायक विक्रम सैनी की पत्नी राजकुमारी सैनी को 74995 वोट मिले हैं। यहां मदन भैया 22144 वोट के मार्जिन से जीत दर्ज की है। मदन भैया ने पिछला चुनाव लगभग 15 साल पहले जीता था। जबकि राजकुमारी सैनी के पति विक्रम सैनी 2022 में भाजपा के टिकट पर चुनाव जीत कर विधायक बने थे। उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द होने की वजह से ही उपचुनाव हुए। खतौली में खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभा की। पार्टी प्रत्याशी के लिए वोट मांगे। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और केशव प्रसाद मोर्य ने भी सभाएं कीं। प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और संगठन मंत्री धर्मपाल सिंह ने बूथ सम्मेलन में खूब पसीना बहाया। भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष मोहित बेनीवाल, केंद्रीय पशुधन राज्यमंत्री डॉ. संजीव बालियान और प्रदेश के कौशल विकास राज्यमंत्री कपिलदेव अग्रवाल चुनाव की कमान संभाले रहे। डॉ. संजीव बालियान ने तो इस चुनाव का अपनी साख का सवाल बना लिया था। उन्होंने खुद का चुनाव होने की बात कह कर वोट मांगे।

  

इस चुनाव में रालोद के जयंत चौधरी का कद बढ़ा। उनकी रणनीति काम आई। उन्होंने जाट, गुर्जर और मुस्लिम वोट को साधने के लिए काम किया। यहां से बसपा का प्रत्याशी नहीं था। उम्मीद की जा रही थी कि बसपा का दलित वोट पार्टी प्रत्याशी न होने पर भाजपा को जा सकता है। जयंत चौधरी ने इस दलित वोट को साधने के लिए आसपा के अध्यक्ष चंद्रशेखर को चुनावी समर में सक्रिय किया। जयंत ने खुद क्षेत्र के 50 के आसपास गांव का दौरा किया। जबकि फहीमपुर कला, खाकनी और बिहारीपुर में घर−घर जाकर पर्चीं बांटीं। मदन गुर्जर खुद गुर्जर हैं, सो उनकी बिरादरी का वोट उनसे जुट गया। श्रीकांत प्रकरण में त्यागी समाज की नाराजगी को देखते हुए रालोद के राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोक त्यागी और श्रीकांत त्यागी ने त्यागी बाहुल गांव में सभाएं कीं। त्यागी वोट को रालोद के पक्ष में मतदान के लिए प्रेरित किया।

  

ये चुनाव में भाजपा को सबक देने वाला है। सचेत करने वाला है। 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपनी नीतियों में तब्दीली करनी होगी। आज प्रदेश में ब्यूरोक्रेसी हावी है। कार्यकर्ता की कोई सुनता नहीं। अधिकारी जनता का खूब दोहन कर रहे हैं। रोज नए−नए घोटाले प्रकाश में आ रहे हैं। इसके अलावा नई पेंशन नीति को लेकर सरकारी कर्मचारी नाराज हैं।

    

-अशोक मधुप

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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