पश्चिम एशिया सुलग रहा है और दुनिया मौन धारण किये हुए है

Israel palestine conflic
अली खान । May 15 2021 12:44PM

इजराइल और फिलिस्तीन के बीच मौजूदा संघर्ष की वजह भले ही कुछ भी रही हो। लेकिन अतीत में जाने पर पाएंगे कि इजराइल और फिलिस्तीन विवाद की वजह येरूशलम को लेकर है। आज येरूशलम इजराइल की राजधानी के रूप में बसा शहर है।

पश्चिमी एशिया में फिलिस्तीन और इजराइल के बीच संघर्ष एक बार फिर सुर्खियों में है। ख़बरें आ रही हैं कि इजराइल के हमले में फिलिस्तीन के शहर गाजा में कई लोगों की जानें गईं हैं। इसमें मरने वालों में मासूम बच्चें और महिलाएं शामिल हैं। इसके अलावा बहुत से लोगों के घायल होने की खबरें भी सामने आ रही हैं। इजराइल और फिलिस्तीन के बीच भीषण संघर्ष जारी है। दोनों देशों के बीच भिड़ंत के पीछे का तात्कालिक कारण येरूशलम में अल अक्सा मस्जिद के पास इजराइल के यहूदी नेशनलिस्ट द्वारा एक मार्च निकालने का निर्णय बना। ये मार्च उस जीत के जश्न की पृष्ठभूमि को‌ उजागर करने के लिए था, जो इजराइल को 1967 में मिली ऐतिहासिक जीत को लेकर था। बता दें कि 1967 में इजराइल ने येरूशलम के कई हिस्सों को हथिया लिया था। जो अभी तक इजराइल की गिरफ्त में हैं। इस जीत को लेकर इजराइल के कुछ राष्ट्रवादी मार्च का आयोजन कर रहे थे। इसी मार्च के दौरान ही फिलिस्तीनियों और इजराइली राष्ट्रवादियों के बीच झड़प हो गई। इस झड़प ने हिंसा का रूप ले लिया। उसके बाद इजरायल सुरक्षा बलों ने आक्रोश में आकर फिलिस्तीनियों पर रबर बुलेट का इस्तेमाल किया। इसके बाद हालात भयावह हो‌ गये। इस बीच फिलिस्तीन के कई नागरिक मारे गए। इसके जवाब में हमास जो फिलिस्तीन का संगठन है, उसने इजराइल पर कई रॉकेट दागे। उसके बाद से ही दोनों देशों के दरम्यान हालात बद से बदतर सूरत में सामने आ रहे हैं।

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इजराइल और फिलिस्तीन के बीच मौजूदा संघर्ष की वजह भले ही कुछ भी रही हो। लेकिन अतीत में जाने पर पाएंगे कि इजराइल और फिलिस्तीन विवाद की वजह येरूशलम को लेकर है। आज येरूशलम इजराइल की राजधानी के रूप में बसा शहर है। विवाद की पृष्ठभूमि जानने के लिए प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध के बीच के समय में जाना होगा, तो पाएंगे कि यूरोपीय देशों में आपसी संघर्ष चल रहा था। ऐसे में यहूदियों ने यूरोप छोड़ने‌‌ का निर्णय लिया। अब यहूदी शरण को लेकर असमंजस में पड़ गए। तब यहूदियों को एक पहेली सूझी। इस बीच पश्चिमी एशिया की भूमि को यहूदी अपनी मातृभूमि मानने का दावा कर शरण के लिए फिलिस्तीन भूमि पर आकर बस गये। धीरे-धीरे बढ़ती आबादी ने एक बड़ा क्षेत्र घेर लिया और संयुक्त राष्ट्र के दखल से इजराइल एक राष्ट्र बनकर उभरा।

उसके बाद 1967 की लड़ाई में इजराइल ने येरूशलम के कुछ भाग पर कब्जा कर लिया। जिस पर आज भी इजराइल कब्जा किये बैठा है। लेकिन येरूशलम विवाद को लेकर पिछले 50 वर्षों से अधिक समय हो चुका है, उसके बावजूद अभी तक कोई हल नहीं निकाला जा सका है। निकट भविष्य में कोई हल निकलेगा, इस पर कुछ कहा नहीं जा सकता। ऐसे में यह सवाल लाजिमी है कि आखिर येरूशलम को लेकर विवाद क्यों? दरअसल येरूशलम मुस्लिम, ईसाई और यहूदी तीनों धर्म मानने वाले लोगों का आस्था स्थल है। यहीं पर अल अक्सा मस्जिद है। मुस्लिमों का मत है कि पैगम्बर मुहम्मद साहब मक्का से यहीं आए थे। उनका मानना है कि पैगम्बर मुहम्मद ने यहीं से स्वर्ग की यात्रा की थी। यहां पर बनी मस्जिद मक्का और मदीना के बाद बनी तीसरी मस्जिद है। ऐसे में मुस्लिमों की गहरी आस्था जुड़ी हुई है। वहीं येरूशलम से ईसाइयों की आस्था जुड़ी हुई है। येरूशलम में ईसाइयों का पवित्र द चर्च ऑफ द होली सेप्लकर भी है। ईसाइयों का मत है कि ईसा मसीह को‌ इसी जगह पर सूली चढ़ाया गया था और यही वह स्थान भी है, जहां से ईसा मसीह पुनर्जीवित हुए थे। इसके साथ-साथ यहूदियों के पवित्र स्थल होने का दावा भी किया जाता रहा है। यहूदियों का कहना है कि उनकी सबसे पवित्र जगह 'होली ऑफ होलीज' यहीं पर है। यहूदी मानते हैं इसी जगह से ही विश्व का निर्माण हुआ और यह स्थल हमारी मातृभूमि का प्रतीक भी है।

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जब से पश्चिमी देशों में येरूशलम को लेकर विवाद सामने आया है। तब से विश्व राजनीति दो खेमों में बंटी हुई है। एक पक्ष इजराइल को सही ठहराता है, वहीं दूसरा मुस्लिम देशों को सही ठहराता आया है। हकीकत यह है कि येरूशलम विवाद पर कुछ देश अपनी राजनीति चमकाने का जरिया बनाये हुए है। ऐसे में इस विवाद का शान्त होना असम्भव-सा लगता है। बाकी दुनिया के कई देश हैं जो बिलकुल चुप्पी साधे हुए हैं। मौजूदा संघर्ष में नया मोड़ तब सामने आया है, जब अमेरिका ने वक्तव्य जारी कर कहा कि इजराइल को अपनी रक्षा करने का अधिकार है। वहीं जर्मनी ने भी कहा है कि इजराइल को अपनी सुरक्षा का पूरा अधिकार है। जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल के प्रवक्ता स्टीफन सीबरेट ने कहा कि गाजा से इजराइल पर हो रहे हमले की हम कड़ी निन्दा करते हैं। इसे कहीं से भी उचित नहीं ठहराया जा सकता।

इसके बाद से तुर्की ने इजराइल को सबक सिखाने की बात कही है। तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयब एर्दोआन ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को फोन कर कहा कि फिलिस्तीनियों के प्रति इजराइल के रवैये के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समुदाय को उसे और कुछ अलग सबक सिखाना चाहिए। एर्दोआन के बयान के बाद इसे लेकर अटकलें तेज हो गई हैं कि क्या इजराइल और फिलिस्तीन विवाद बड़ा रूप लेगा? वहीं रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इजराइल और फिलिस्तीन से तुरंत हमले रोकने की अपील की है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों को शांति से बैठकर विवाद का हल निकाला जाना चाहिए। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने दोनों पक्षों से तनाव कम करने की अपील की है। विश्व समुदाय ने चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि कहीं स्थिति नियंत्रण से बाहर न हो जाए। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटारेस ने वक्तव्य जारी कर कहा है कि वे हिंसा को लेकर बेहद चिंतित हैं। लेकिन सिर्फ चिंता जताने के अलावा किसी ने ज्यादा कुछ नहीं किया।

-अली खान

(स्वतंत्र लेखक एवं स्तंभकार)

जैसलमेर, राजस्थान

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