क्यों बनाई जाती हैं मंत्रिमंडलीय समितियाँ ? क्या होते हैं इनके अधिकार ?

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संतोष पाठक । Jun 10 2019 12:28PM

कैबिनेट सचिव से लेकर भारत सरकार के छोटे-बड़े अधिकारियों की नियुक्ति और सेवा विस्तार का फैसला मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति अर्थात एसीसी ही करती है। सरकार के तमाम मंत्रालयों में अधिकारियों की नियुक्ति भी इसी समिति की सहमति के बाद ही होती है।

देश के आम लोगों के लिए सरकार का मतलब प्रधानमंत्री और उनके कुछ बड़े मंत्री ही होते रहे हैं। केन्द्र सरकार में कैबिनेट यानी मंत्रिमंडल की समितियां कितनी महत्वपूर्ण होती हैं, इसे लेकर देश में कभी ऐसी चर्चा नहीं हुई जैसी पिछले कुछ दिनों से हो रही है। ऐसे में आपके दिमाग में यह जरूर आ रहा होगा कि आखिर ये मंत्रिमंडल की समिति होती क्या है और इसका गठन किया क्यों जाता है ? क्या वाकई यह समितियां इतनी महत्वपूर्ण और प्रभावशाली होती हैं कि इसमें शामिल होने या न होने से मंत्री के कद का अंदाजा लग जाता है ?

  

मंत्रिमंडल समितियों का पुनर्गठन

दूसरी बार सत्ता संभालने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को 6 मंत्रिमंडल समितियों का पुनर्गठन करने के साथ-साथ पहली बार आर्थिक विकास की गति को तेजी प्रदान करने के लिए निवेश एवं विकास पर और बेरोजगारी की समस्या से निपटने के लिए रोजगार एवं कौशल विकास पर मंत्रिमंडल की 2 समितियों के गठन की घोषणा की। इस तरह से अब वर्तमान सरकार में मंत्रिमंडल की समितियों की संख्या बढ़ कर 8 पर पहुंच गई है। इनमें मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति, आवास पर मंत्रिमंडल समिति, आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति, संसदीय मामलों की मंत्रिमंडल समिति, राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति, सुरक्षा पर मंत्रिमंडल समिति, निवेश एवं विकास पर मंत्रिमंडल समिति और रोजगार तथा कौशल विकास पर मंत्रिमंडल समिति शामिल है।

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प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार

जिस तरह से मंत्रिमंडल का गठन और मंत्रालयों का बंटवारा प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार होता है उसी तरह से मंत्रिमंडल की समितियों का गठन भी प्रधानमंत्री ही करते हैं। कैबिनेट मंत्रियों की समिति एक अतिरिक्त संवैधानिक संस्थाओं के रूप में कार्य करती है क्योंकि इनका उल्लेख संविधान में नहीं किया गया है। प्रधानमंत्री कैबिनेट के चयनित सदस्यों के साथ विभिन्न मंत्रिमंडल समितियों का गठन करते हैं और उनके कार्य के दायरे का निर्धारण भी करते हैं। प्रधानमंत्री ही समिति के सदस्यों की संख्या और उसमें शामिल होने वाले मंत्रियों के नाम तय करते हैं। समिति के अध्यक्ष भी प्रधानमंत्री ही तय करते हैं। हालांकि जिस समिति में प्रधानमंत्री स्वयं शामिल होते हैं तो वह उस समिति के अध्यक्ष के रूप में ही कार्य करते हैं। इस तरह की मंत्रिमंडल की समिति में आमतौर पर 3 से 8 सदस्य होते हैं और केवल कैबिनेट मंत्रियों को ही इनका सदस्य बनाया जाता है लेकिन कभी-कभी विशेष मुद्दों या परिस्थितियों को देखते हुए गैर कैबिनेट मंत्री को भी समिति का सदस्य या विशेष आमंत्रित सदस्य बना दिया जाता है। आइए अब आपको मंत्रिमंडल की तमाम समितियों के दायित्व के बारे में बताते हैं-

1. राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति– महत्वपूर्ण नीतिगत फैसलों के मामले में इस समिति की भूमिका सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होती है। राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति यानी सीसीपीए केन्द्र और राज्य से संबंधित मुद्दों के अलावा विदेश मामलों से संबंधित उन नीतिगत मसलों पर फैसला करती है जो सीधे तौर पर आंतरिक या बाहरी सुरक्षा से जुड़े नहीं होते हैं। इसके साथ ही सीसीपीए का दायित्व उन बड़े आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों पर भी विचार विमर्श कर नीतिगत फैसला करना होता है, जिनका दूरगामी प्रभावी देश पर पड़ सकता है। वास्तव में कैबिनेट मंत्रियों की यह समिति ही तय करती है कि सरकार का फोकस किन एजेंडों पर ज्यादा होगा। सरकार किस नीति को अपनाते हुए आगे बढ़ेगी इसलिए इस समिति की अध्यक्षता प्रधानमंत्री स्वयं कर रहे हैं।

2. सुरक्षा पर मंत्रिमंडल समिति– देश की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा की स्थिति पर विचार विमर्श करने और महत्वपूर्ण फैसले लेने में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति- सीसीएस की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश मामलों से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर सीसीएस की बैठक लगातार होती रहती है। कानून-व्यवस्था, आंतरिक सुरक्षा, बाहरी सुरक्षा से जुड़े विदेश मामले, आंतरिक और बाहरी सुरक्षा से जुड़े आर्थिक और राजनीतिक मामले के अलावा परमाणु ऊर्जा से संबंधित सभी मामले सीसीएस के दायरे में ही आते हैं। रक्षा, गृह, वित्त और विदेश मंत्रियों वाली इस समिति की अध्यक्षता प्रधानमंत्री मोदी ही कर रहे हैं।

3. मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति– कैबिनेट सचिव से लेकर भारत सरकार के छोटे-बड़े अधिकारियों की नियुक्ति और सेवा विस्तार का फैसला मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति अर्थात एसीसी ही करती है। सरकार के तमाम मंत्रालयों में अधिकारियों की नियुक्ति भी इसी समिति की सहमति के बाद ही होती है। रेलवे बोर्ड चेयरमेन, एयर इंडिया सीएमडी के अलावा भारत सरकार से जुड़े तमाम पीएसयू के मुखिया की नियुक्ति भी एसीसी की मुहर लगने के बाद ही होती है। कैबिनेट सचिवालय, सार्वजनिक उपक्रमों, बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों में उच्च स्तर पर नियुक्ति का फैसला एसीसी ही करती है। भारत सरकार के संयुक्त सचिव या उसके समकक्ष अधिकारियों की अपील और अनुरोध पर विचार करने के साथ-साथ नियुक्ति या नियुक्तियों को लेकर विभाग, संबंधित मंत्रालय और यूपीएससी के बीच अहसमति के सभी मामलों में एसीसी ही अंतिम फैसला करती है। इस समिति की अध्यक्षता प्रधानमंत्री स्वयं करते हैं, दूसरे सदस्य के तौर पर गृह मंत्री शामिल होते हैं। इसके अलावा जिस मंत्रालय में नियुक्ति करनी होती है, उसके प्रभारी मंत्रियों को भी बैठक में बुलाया जाता है।

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4. संसदीय मामलों की मंत्रिमंडल समिति– यह समिति ही संसद सत्र की तारीखों को लेकर फैसला करती है। संसद के सदनों की बैठक बुलाने या स्थगित करने के प्रस्ताव पर विचार करने के साथ ही यह समिति संसद में सरकारी कार्यों जैसे विधेयक, सरकारी कामकाज, बजट, बजट से जुड़ी अनुदान मांगो और विभिन्न प्रस्तावों पर सरकार की तरफ से फैसला भी करती है और लगातार इस पर निगरानी भी करती रहती है। प्राइवेट मेंबर बिल पर सरकार के रवैये का निर्धारण भी यही समिति करती है। राज्यों की विधानमंडलों द्वारा पारित ऐसे विधेयक जिनका संसद से संबंध होता है पर भी यही समिति विचार-विमर्श करती है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को इस समिति का अध्यक्ष बनाया गया है।

5. आवास पर मंत्रिमंडल समिति– सीसीए संसद के सदस्यों को आवंटित किए जाने वाले आवासों के बारे में निर्देशों, नियमों और शर्तों का निर्धारण करता है, जिसके आधार पर सांसदों को उनकी वरिष्ठता और विभिन्न कैटेगरी के आधार पर आवास का आवंटन होता है। इसके साथ ही सीसीए उन व्यक्तियों या संगठनों से सरकारी आवास का उपयोग करने के लिए किराये का भी निर्धारण करती है जो उन आवास में रहने के पात्र नहीं होते हैं। केन्द्र सरकार के कार्यालयों को लेकर स्थान या विभिन्न केन्द्रीय परियोजनाओं को लेकर स्थान आवंटित करने का फैसला भी सीसीए ही करती है। इस समिति की अध्यक्षता गृह मंत्री अमित शाह कर रहे हैं।

6. आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति –प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले सीसीईए का दायित्व देश के आर्थिक हालात पर विचार विमर्श कर अर्थव्यवस्था से जुड़े नीतिगत मामलों में फैसला लेना रहा है। यह समिति आर्थिक क्षेत्र में सरकारी गतिविधियों को लेकर निर्देश जारी करने के साथ-साथ विभिन्न आर्थिक गतिविधियों के बीच समन्वय भी स्थापित करती रही है। संयुक्त क्षेत्र के उपक्रमों की स्थापना का मामला हो या उनके विनिवेश का, अंतिम फैसला सीसीईए की बैठक में ही होता है। यह समिति विदेश व्यापार से जुड़े मामलों के साथ ही घरेलू स्तर पर भी महंगाई के संदर्भ में कीमतों की निगरानी, आवश्यक और कृषि वस्तुओं की उपलब्धता और आयात-निर्यात जैसे अहम मुद्दों पर फैसला करती रही है। खेती-किसानी और ग्रामीण विकास से जुड़े अहम मसलों पर भी यह विचार-विमर्श करती है। हालांकि अब प्रधानमंत्री मोदी के निर्देशानुसार इस समिति का दायरा कम हो गया है और अब निवेश एवं विकास जैसे मामलों पर सरकार द्वारा पहली बार गठित किए गए निवेश एंव विकास मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति विचार करेगी।

7. निवेश एंव विकास पर मंत्रिमंडल समिति– इस समिति का गठन पहली बार केन्द्र सरकार ने किया है। इससे पहले निवेश और देश के विकास से जुड़े मसलों पर फैसला सीसीईए यानी आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति किया करती थी। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों अर्थात पीएसयू के विस्तार, मर्जर, निवेश, विनिवेश या बंद करने जैसे फैसले अब निवेश एवं विकास पर गठित मंत्रिमंडल की नई समिति ही लिया करेगी। यही समिति अब देश के विकास से जुड़े अहम मसलों पर भी फैसला करेगी। इसकी अध्यक्षता पीएम मोदी करेंगे।

8. रोजगार तथा कौशल विकास पर मंत्रिमंडल समिति– मंत्रियों की इस समिति का गठन भी पहली बार सरकार ने किया है। इस समिति की अध्यक्षता भी पीएम नरेंद्र मोदी स्वयं कर रहे हैं। देश में बेरोजगारी की लगातार भयावह हो रही समस्या को देखते हुए इस समिति को युवाओं के कौशल विकास पर खास फोकस करते हुए रोजगार के अवसरों को बढ़ाने को लेकर नीतिगत फैसले करने होंगे।

-संतोष पाठक

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