लीजिये दिल्ली चुनावों में भी पाकिस्तान आ गया, बजट में आखिर किन बड़ी राहतों का होगा ऐलान ?

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[email protected] । Jan 25 2020 11:50AM

दिल्ली चुनावों के लिए राजनीतिक माहौल एकदम गर्मा चुका है क्योंकि सभी पार्टियों के उम्मीदवारों के सामने आने के बाद आम आदमी पार्टी की ओर से तो यह साफ है कि कौन मुख्यमंत्री बनेगा लेकिन भाजपा और कांग्रेस ने अभी तक इस मुद्दे पर सस्पेंस बरकरार रखा है।

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में आपका स्वागत है। सबसे पहले तो आप सभी को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ। इस साल गणतंत्र दिवस पर कुछ नयी चीजें होने जा रही हैं जैसे कि अमर जवान ज्योति की जगह नेशनल वार मेमोरियल पर तीनों सेनाओं के प्रमुख और प्रधानमंत्री श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। उनके साथ चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ भी मौजूद रहेंगे। इस बार की गणतंत्र दिवस परेड का नेतृत्व नारी शक्ति यानि कैप्टन तान्या शेरगिल कर रही हैं और परेड के दौरान मेक इन इंडिया अभियान के तहत बने शस्त्रों का प्रदर्शन भी किया जायेगा। इसके अलावा इस सप्ताह के बड़े राजनीतिक-सामाजिक मुद्दों की बात करें तो भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर जगत प्रकाश नड्डा का निर्वाचन हुआ और साढ़े पांच साल का अमित शाह का भाजपा अध्यक्ष पद पर कार्यकाल समाप्त हो गया। देखना होगा कि नड्डा के नेतृत्व में क्या भाजपा उतनी बड़ी राजनीतिक सफलताएँ अर्जित कर पाती है जितनी अमित शाह ने दिलवाईं।

इसके अलावा दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए राजनीतिक माहौल एकदम गर्मा चुका है क्योंकि सभी पार्टियों के उम्मीदवारों के सामने आने के बाद आम आदमी पार्टी की ओर से तो यह साफ है कि कौन मुख्यमंत्री बनेगा लेकिन भाजपा और कांग्रेस ने अभी तक इस मुद्दे पर सस्पेंस बरकरार रखा है। चुनाव प्रचार की बात करें तो दिल्ली के स्थानीय मुद्दे पीछे छूटते जा रहे हैं और अनुच्छेद 370, राम मंदिर, नागरिकता संशोधन कानून, पाकिस्तान, इमरान खान आदि मुद्दा बन रहे हैं।

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उधर, नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देश के कुछ हिस्सों में प्रदर्शन अब भी जारी है लेकिन उच्चतम न्यायालय ने इस मुद्दे पर बिना केंद्र सरकार का पक्ष सुने किसी प्रकार की रोक लगाने से इंकार कर दिया है। अब सरकार को चार सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करना है। दूसरी ओर जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर सुगबुगाहट बढ़ गयी है क्योंकि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के अलावा समाज के विभिन्न वर्गों से इसकी माँग उठाई जा रही है।

इसके अलावा अगले सप्ताह से शुरू हो रहे संसद के बजट सत्र को लेकर भी लोगों की नजरें सरकार पर टिक गयी हैं कि आखिर सुस्त अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए और करदाताओं को राहत देने के लिए वित्त मंत्री क्या उपाय करती हैं।

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