चुनाव से पहले यूपी और पंजाब में तेज हुई राजनीतिक हलचल के मायने क्या हैं?

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अंकित सिंह । Jun 5 2021 2:47PM

सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश और पंजाब में बड़े राजनीतिक बदलाव होने जा रहे हैं? आखिर मजबूती के साथ 2017 में सत्ता में आई भाजपा के अंदर इतनी हलचल क्यों है? क्यों पार्टी लगातार उत्तर प्रदेश को लेकर बैठक कर रही है? उत्तर प्रदेश के लिए संघ हो या फिर भाजपा संगठन दोनों ही सक्रिय हो गए हैं। क्या वाकई उत्तर प्रदेश में सरकार विरोधी लहर तेज हो गई है?

वर्ष 2022 में पाँच राज्यों- उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, पंजाब, मणिपुर और गोवा में विधानसभा चुनाव होने हैं। इन पाँच में से चार राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं और पंजाब में कांग्रेस की सरकार है। चूँकि दिल्ली की गद्दी का रास्ता उत्तर प्रदेश होकर जाता है और इतिहास उठा कर देखें तो सर्वाधिक प्रधानमंत्री भी उत्तर प्रदेश से हुए हैं या प्रधानमंत्री बनाने में उत्तर प्रदेश का योगदान सामने आता है। ऐसे में केंद्र की सत्ता बचाये रखने के लिए भाजपा का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव जीतना बहुत महत्वपूर्ण है लेकिन चुनावी वर्ष में पार्टी को जिस तरह के अंतर्विरोधों का सामना करना पड़ रहा है वह पार्टी की चुनावी संभावनाओं पर पानी फेर सकता है। इसीलिए समय पर हरकत में आते हुए भाजपा आलाकमान ने प्रदेश में पार्टी में उपजे असंतोष को थामने की कवायद शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ जोकि अब तक निर्बाध रूप से सरकार चलाते आ रहे थे, देखना होगा कि क्या अब उन्हें पार्टी में अपने विरोधियों को पहले से ज्यादा अधिकार देने पड़ते हैं या नहीं।

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दूसरी ओर कांग्रेस के पास अभी जिन राज्यों में सत्ता है उनमें से पंजाब इसलिए महत्वपूर्ण है कि वहां पार्टी के लिए एक तो राजनीतिक परिस्थितियाँ बेहद अनुकूल हैं दूसरा यह समृद्ध राज्य भी है। हाल ही में नगर निगम के चुनावों में भी कांग्रेस का प्रदर्शन शानदार रहा है। एनडीए से शिरोमणि अकाली दल बादल के अलग हो जाने से भाजपा कमजोर हुई है लेकिन अकाली दल भी अलग-थलग नजर आ रहा है। यही नहीं आम आदमी पार्टी भी वहां टूट के कगार पर है। ऐसी अनुकूल स्थितियों के बावजूद जिस तरह चुनावी वर्ष में नवजोत सिंह सिद्धू के नेतृत्व में कांग्रेस के कुछ मंत्रियों और विधायकों ने बगावत का झंडा बुलंद किया है वह कहीं केरल की तरह पंजाब में भी कांग्रेस की लुटिया ना डुबे दे इसके लिए पार्टी ने बचाव के प्रयास शुरू कर दिये हैं। देखना होगा कि पार्टी इसमें कितना सफल हो पाती है।

इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश और पंजाब में बड़े राजनीतिक बदलाव होने जा रहे हैं? आखिर मजबूती के साथ 2017 में सत्ता में आई भाजपा के अंदर इतनी हलचल क्यों है? क्यों पार्टी लगातार उत्तर प्रदेश को लेकर बैठक कर रही है? उत्तर प्रदेश के लिए संघ हो या फिर भाजपा संगठन दोनों ही सक्रिय हो गए हैं। क्या वाकई उत्तर प्रदेश में सरकार विरोधी लहर तेज हो गई है? क्या उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ को लेकर भाजपा में ही गुटबाजी तेज हो गई है? इसके अलावा पंजाब को लेकर कांग्रेस के सक्रियता यह बता रही है कि वहां सब कुछ ठीक-ठाक नहीं है और ऐसे ही खबरें लगातार आती भी रही है। प्रताप सिंह बाजवा, नवजोत सिंह सिद्धू तथा कई अन्य ऐसे विधायक हैं जो कैप्टन अमरिंदर सिंह पर खुलकर निशाना साध रहे हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह को लेकर कांग्रेस के कई नेताओं के अंदर असंतोष है। इनमें ज्यादातर वह नेता है जो मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं। कांग्रेस द्वारा गठित की गई 3 सदस्य टीम क्या पंजाब में पार्टी के अंदर की गुटबाजी को कम करने में कामयाबी हासिल कर पाएगी? क्या पंजाब में अमरिंदर का कैरियर खत्म होता दिखाई दे रहा है? क्या सिद्धू के चमकने के दिन आ गए हैं? इन्हीं सब मुद्दों को लेकर हमने प्रभासाक्षी के खास कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में चर्चा की। हमारे साथ मौजूद रहे प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे।

उत्तर प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें महज कपोल कल्पना: भाजपा उपाध्यक्ष

उत्तर प्रदेश में भाजपा नेतृत्व तथा सरकार में परिवर्तन की अटकलों को खारिज करते हुए पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राधा मोहन सिंह ने इन्हें कपोल कल्पना और किसी के दिमाग की उपज करार दिया है। सिंह ने सरकार और प्रदेश भाजपा नेतृत्व में परिवर्तन की अटकलों के बारे में पूछे गए सवाल पर अपनी त्वरित प्रतिक्रिया में कहा यह मात्र कपोल कल्पना और किसी के दिमाग की उपज मात्र है। हालांकि नेतृत्व परिवर्तन के बारे में पूछे गए अन्य सवालों के जवाबों को वह टाल गए। गौरतलब है कि ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को स्वतंत्र देव सिंह के स्थान पर एक बार फिर प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बनाया जा सकता है और उनके स्थान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विश्वासपात्र सेवानिवृत्त अधिकारी तथा मौजूदा विधान परिषद सदस्य ए. के. शर्मा को उप मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। इस लिहाज से राधा मोहन सिंह का यह दौरा बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बी. एल. संतोष के साथ लखनऊ के तीन दिवसीय दौरे पर आए राधा मोहन सिंह ने सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भेंट के बाद मंगलवार को उप मुख्यमंत्रियों केशव प्रसाद मौर्य तथा दिनेश शर्मा से मुलाकात की। मौर्य ने इस मुलाकात के बारे में बताया, बैठक बहुत अच्छी रही। यह बैठक संगठन के मुद्दे को लेकर हुई। 

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2022 के विधानसभा चुनाव में हम ऐतिहासिक जीत दर्ज करने जा रहे हैं। उस चुनाव में हम एक बार फिर 300 से ज्यादा सीटें प्राप्त करेंगे। भाजपा उपाध्यक्ष ने कानून मंत्री बृजेश पाठक से भी मुलाकात की। पाठक ने बताया कि इस मुलाकात के दौरान संगठन से जुड़े मुद्दों तथा 2022 के प्रदेश विधानसभा चुनाव के बारे में विचार-विमर्श हुआ। हालांकि उन्होंने विस्तार से कुछ भी बताने से मना कर दिया। पाठक ने अप्रैल माह में स्वास्थ्य विभाग को एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने कोविड-19 महामारी को संभालने में विभाग की कथित नाकामी का जिक्र किया था। कानून मंत्री के इस पत्र से सरकार को असहज स्थिति का सामना करना पड़ा था क्योंकि वह लगातार यह दावा कर रही थी कि हालात पूरी तरह से नियंत्रण में हैं। कोविड-19 प्रबंधन को लेकर उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा के अंदर शिकायती स्वर उभरने के बीच राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सिंह ने महामारी के प्रबंधन की दिशा में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किए गए कार्यों को बेमिसाल करार दिया है। सिंह ने कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान योगी आदित्यनाथ सरकार की नाकामी के आरोपों को गलत बताते हुए दावा किया कि सरकार ने बेमिसाल काम किया है। उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने सबसे मुश्किल दौर में उस वक्त भी लोगों की मदद की जब दूसरी पार्टियां क्वारंटीन (पृथक-वास) अवधि का लुत्फ ले रही थीं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महामारी के प्रबंधन का जायजा लेने के लिए समाज की पंक्ति में अंतिम स्थान पर खड़े व्यक्ति तक का हाल लिया। यहां तक कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी कोविड-19 प्रबंधन के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार की तारीफ की है।

योगी सरकार का कोविड प्रबंधन बेमिसाल : भाजपा उपाध्यक्ष

कोविड-19 प्रबंधन को लेकर उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा के अंदर शिकायती स्वर उभरने के कुछ दिनों बाद पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राधामोहन सिंह ने महामारी के प्रबंधन की दिशा में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किए गए कार्यों को बेमिसाल करार दिया है। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राधा मोहन सिंह ने कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान योगी आदित्यनाथ सरकार के नाकाम रहने के आरोपों को गलत बताते हुए मंगलवार को बातचीत में कहा कि सरकार ने बेमिसाल काम किया है। भाजपा नेता और कार्यकर्ताओं ने सबसे मुश्किल दौर में उस वक्त भी लोगों की मदद की जब दूसरी पार्टियां पृथक-वास अवधि का लुत्फ ले रही थीं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महामारी के प्रबंधन का जायजा लेने के लिए समाज की पंक्ति में अंतिम स्थान पर खड़े व्यक्ति तक का हाल लिया, यहां तक कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी कोविड-19 प्रबंधन के मामले में उत्तरप्रदेश सरकार की तारीफ की है। सिंह ने उत्तर प्रदेश में भाजपा के नेतृत्व में परिवर्तन की अटकलों के बारे में पूछे जाने पर कहा कि यह कुछ लोगों की कपोल कल्पना है।

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गौरतलब है कि ऐसी अटकलें लगाई जा रही थी कि उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को एक बार फिर प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बनाया जा सकता है और उनके स्थान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विश्वासपात्र सेवानिवृत्त अधिकारी और मौजूदा विधान परिषद सदस्य ए.के. शर्मा को उप मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बी. एल. संतोष के साथ लखनऊ के तीन दिवसीय दौरे पर आए राधा मोहन सिंह ने सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भेंट के बाद मंगलवार को उप मुख्यमंत्रियों केशव प्रसाद मौर्य तथा दिनेश शर्मा से मुलाकात की। भाजपा उपाध्यक्ष ने कानून मंत्री बृजेश पाठक से भी मुलाकात की। पाठक ने बताया कि इस मुलाकात के दौरान संगठन से जुड़े मुद्दों तथा वर्ष 2022 के प्रदेश विधानसभा चुनाव के बारे में विचार विमर्श हुआ, हालांकि उन्होंने विस्तार से कुछ भी बताने से मना कर दिया। पाठक ने पिछले अप्रैल माह में स्वास्थ्य विभाग को एक गोपनीय पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने कोविड-19 महामारी को संभालने में विभाग की नाकामी का जिक्र किया था। कानून मंत्री के इस पत्र से सरकार को असहज स्थिति का सामना करना पड़ा था क्योंकि वह लगातार यह दावा कर रही थी कि हालात पूरी तरह से नियंत्रण में हैं।

मुख्यमंत्री योगी की मर्जी के बगैर उन पर थोपा जा रहा है एक सेवानिवृत्त अधिकारी : अखिलेश

समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा की नीति पर तंज करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मर्जी के बगैर दिल्ली से भेजे गये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक विश्वासपात्र सेवानिवृत्त अधिकारी को उन पर थोपा जा रहा है। अखिलेश ने मंगलवार को एक ट्वीट में प्रधानमंत्री के करीबी आईएएस अधिकारी रहे और गत जनवरी में भाजपा में शामिल हुए उत्तर प्रदेश के मौजूदा विधान परिषद सदस्य ए के. शर्मा की तरफ इशारा करते हुए कहा अजब है भाजपा की नीति। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पर उनकी मर्ज़ी के विरुद्ध दिल्ली से भेजा एक अधिकारी थोपना और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री की मर्ज़ी के विरुद्ध एक अधिकारी को वहां से दिल्ली बुलाना। उन्होंने भाजपा में अंदरूनी खींचतान का आरोप लगाते हुए इसी ट्वीट में कहा उत्तर प्रदेश में डबल इंजन से राज्य को खींचने के झूठे वादे करने वालों के बीच खींचातानी जारी है। गौरतलब है कि वर्ष 1988 बैच के गुजरात काडर के आईएएस अधिकारी ए. के. शर्मा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करीबी माना जाता है। शर्मा इस साल जनवरी में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर भाजपा में शामिल हो गए थे। उत्तर प्रदेश के मऊ जिले के मूल निवासी 58 वर्षीय शर्मा इस वक्त प्रधानमंत्री के संसदीय निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी तथा उसके आसपास के इलाकों में कोविड-19 राहत एवं प्रबंधन कार्य की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। वह अप्रैल के दूसरे हफ्ते से वाराणसी में ही हैं।

कांग्रेस को जनता से कोई लेना-देना नहीं: हरसिमरत

पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने पंजाब में सत्तारूढ़ कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि उसकी सरकार और नेता, कोविड के कारण होने वाली मौतों को रोकने पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, पार्टी की राज्य इकाई में “मतभेद” को सुलझाने में लगे हैं। विपक्षी शिरोमणि अकाली दल (शिअद) की नेता हरसिमरत बादल ने ट्वीट किया, पंजाब कांग्रेस के भीतर मतभेदों को सुलझाने के लिए दिल्ली में बैठकें करने के बजाय, राज्य में अधिक कोविड मौतों को रोकने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए था! शर्म की बात है कि कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकताओं में जनता नहीं है, उसको जनता से कोई लेना-देना नहीं है! कोविड से होने वाली मौतों की संख्या को लेकर अमरिंदर सिंह सरकार की आलोचना करते हुए, उन्होंने राज्य सरकार के “निराशाजनक” प्रदर्शन पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर भी सवाल उठाया। शिअद की बठिंडा से सांसद ने एक अन्य ट्वीट में पूछा, लगातार 34 दिनों से, पंजाब में कोविड से 100 से अधिक मौतें हो रही हैं और मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत से दोगुनी है।

को विड से लड़ने के बजाय आपस में लड़ रहे हैं पंजाब में कांग्रेस के नेता: आप

पंजाब के मुख्य विपक्षी दल आम आदमी पार्टी (आप) ने सत्तारूढ़ कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि उसके नेता कोविड से जंग के बजाय आपस में ‘लड़’ रहे हैं। आम आदमी पार्टी के पंजाब मामलों के प्रभारी राघव चड्ढा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस न तो पंजाब का कोई भविष्य सुनिश्चित कर सकती है और न ही राज्य में उसका कोई भविष्य है। चड्ढा ने मीडिया से कहा, ‘‘ कैप्टन की अगुवाई वाली सरकार कोविड-19 से नहीं लड़ रही है। वे (कांग्रेस नेता) आपस में ही एक दूसरे से लड़ रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ कहना चाहता हूं कि आपस में एक दूसरे के साथ लड़कर कांग्रेस पंजाब में अब पूरी तरह खत्म हो गयी है।’’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेता पंजाब को ‘छोड़कर’ दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। आप नेता ने आरोप लगाया , ‘‘ पंजाब में कांग्रेस वेंटीलेटर पर है और उसे किसी भी दवा से बचाया नहीं जा सकता।’’ उन्होंने यह भी आरोप लगाया, ‘‘ विधानसभा चुनाव के महज आठ महीने पहले राज्य सरकार ने विद्युत दर में महज प्रति यूनिट 25 से 50 पैसे की कमी की घोषणा करके लोगों को बेवकूफ बनाने का प्रयास किया है।

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पंजाब में टीके निजी अस्पतालों को ‘बेचे जाने’ की जांच हो: कांग्रेस सांसद बाजवा

कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा ने पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को पत्र लिखकर कहा कि राज्य सरकार की ओर से कोरोना रोधी टीके निजी अस्पतालों को बेचे जाने के आरोपों की जांच की जाए। पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष बाजवा ने पत्र में कहा, ‘‘मैं आपसे आग्रह करता हूं कि आप इसकी तय समयसीमा के भीतर जांच कराइए और जो भी इसके लिए जिम्मेदार है उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।’’ उन्होंने कहा कि टीकों को निजी अस्पतालों को देने से संबंधित प्रदेश सरकार की यह नीति कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए पूरी तरह अनुचित है।

नड्डा ने भाजपा महासचिवों की बैठक बुलाई, आगामी विधानसभा चुनावों पर चर्चा संभव

भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने इस सप्ताहांत पार्टी महासचिवों की दो दिवसीय बैठक बुलाई है। इस बैठक में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब सहित पांच राज्यों में 2022 की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर चर्चा संभावित है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कोविड-19 की दूसरी लहर की शुरुआत के बाद यह पहली ऐसी बैठक होगी जिसमें सभी नेता स्वयं उपस्थित रहेंगे। बैठक शनिवार को आरंभ होगी। सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में चुनावी राज्यों की रणनीति के अलावा कोविड-19 से उत्पन्न स्थिति और इसके मद्देनजर पार्टी द्वारा चलाए जा रहे ‘‘सेवा ही संगठन’’ अभियान की भी समीक्षा की जाएगी। यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब कोविड-19 की दूसरी लहर के प्रबंधन को लेकर सरकार आलोचनाओं से घिरी हुई है और विपक्षी दल सरकार की घेराबंदी करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। इस बैठक का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है कि पिछले दिनों भाजपा के संगठन महासचिव बी एल संतोष और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राधामोहन सिंह ने उत्तर प्रदेश का दौरा कर वहां के विधायकों के साथ अलग-अलग बैठकें की थीं। सिंह उत्तर प्रदेश के प्रभारी भी हैं। अगले साल की शुरुआत में जिन राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं उनमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब के अलावा गोवा और मणिपुर भी शामिल हैं। वर्ष 2022 के अंत में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में भी विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। इनमें पंजाब को छोड़कर सभी राज्यों में भाजपा सत्ता में है। सूत्रों ने बताया कि बैठक में पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में पिछले दिनों संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन पर भी चर्चा हो सकती है। पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने के भाजपा के सभी प्रयास विफल हुए थे। हालांकि 77 सीटें जीतकर वह राज्य की प्रमुख विपक्षी दल जरूर बन गई। उम्मीद की जा रही कि बैठक में भाजपा के सभी आठों महासचिव-भूपेंद्र यादव, सी टी रवि, दुष्यंत गौतम, डी पुरंदेश्वरी, अरुण सिंह, दिलीप सैकिया, कैलाश विजयवर्गीय, तरूण चुग और बी एल संतोष उपस्थित रहेंगे।

कांग्रेस समिति के साथ अमरिंदर की मैराथन बैठक, जल्द सोनिया को सौंपी जाएगी रिपोर्ट

पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस की प्रदेश इकाई में कलह को दूर करने के मकसद से गठित समिति के साथ मैराथन बैठक की और अपनी सरकार एवं मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड भी पेश किया। बैठक के बाद अमरिंदर सिंह ने इस मुलाकात का ब्यौरा देने से इनकार किया। हालांकि उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को सबको मिलकर जीतना है। पार्टी सूत्रों ने बताया कि अमरिंदर सिंह से इस मुलाकात के साथ ही समिति की संवाद करने की कवायद पूरी हो गई। अब वह जल्द ही आलाकमान को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। समिति की इस पूरी कवायद से अवगत एक सूत्र ने बताया, ‘‘मुख्यमंत्री के साथ करीब तीन घंटे तक चली बैठक में पार्टी में सहमति बनाने और अगले साल चुनाव जीतने के लिए जरूरी रणनीति बनाने पर जोर दिया गया। मुख्यमंत्री ने इस बैठक में समिति को अपनी सरकार और मंत्रियों के कामकाज का ब्यौरा भी दिया।’’ सूत्र ने कहा, ‘‘समिति की शुक्रवार को मुख्यमंत्री के साथ मुलाकात के बाद संवाद की प्रक्रिया पूरी हो गई। इसके बाद समिति जल्द ही कांग्रेस आलाकमान को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।’’ राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता वाली समिति ने पिछले चार दिनों में, कांग्रेस के पंजाब से ताल्लुक रखने वाले 100 से अधिक नेताओं से उनकी राय ली है। इनमें अधिकतर विधायक हैं। खड़गे के अलावा कांग्रेस महासचिव और पंजाब प्रभारी हरीश रावत तथा दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जेपी अग्रवाल इस समिति में शामिल हैं। 

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अंदरूनी राजनीति के लिए पंजाब के लोगों की अनदेखी का ‘पाप’ कर रही है कांग्रेस: भाजपा

पंजाब की सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार में चल रही कलह को ‘‘विचित्र राजनीति’’ करार देते हुए भाजपा ने आरोप लगाया कि ऐसे समय में जब पूरा राज्य कोरोना से प्रभावित है, अपनी अंदरूनी राजनीति के लिए वह पंजाब के लोगों की अनदेखी का ‘‘पाप’’ कर रही है। केंद्रीय मंत्री व वरिष्ठ भाजपा नेता प्रकाश जावड़ेकर ने यहां संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘पंजाब में क्या विचित्र राजनीति चल रही है? पूरा पंजाब कोरोना से प्रभावित है। वहां टीकों का उचित प्रबंधन नहीं हो रहा है। जांच और अन्य पहलुओं पर भी सरकार का जैसा ध्यान होना चाहिए वह नहीं हो रहा है।’’ उन्होंने कहा कि ऐसे समय में राज्य में पिछले छह महीने से उनकी आपसी लड़ाई चल रही है और पिछले तीन-चार दिनों से तो पूरी सरकार और पार्टी दिल्ली में है। उन्होंने कहा, ‘‘वहां पंजाब को कौन देखेगा? अपनी अंदरूनी राजनीति के लिए पंजाब के लोगों की अनदेखी करना कांग्रेस का बड़ा पाप है।’’ 


पंजाब कांग्रेस में कोई झगड़ा नहीं: मनीष तिवारी

कांग्रेस की पंजाब इकाई में चल रही कलह को दूर करने के मकसद से गठित समिति से मुलाकात के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने कहा कि प्रदेश में पार्टी के भीतर कोई झगड़ा नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों एवं रणनीति को लेकर विचार-विमर्श चल रहा है। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता वाली समिति के समक्ष पेश होने के बाद तिवारी ने संवादादाताओं से कहा, ‘‘पंजाब कांग्रेस में कोई झगड़ा नही है। जहां तक समिति के साथ बातचीत सवाल है तो वह गोपनीय है। जो भी उन्होंने पूछा मैंने जवाब उनके समक्ष रख दिया है।’’ लोकसभा सदस्य तिवारी ने इस बात पर जोर दिया, ‘‘पंजाब कांग्रेस में कोई अंतर्कलह नही है। ये पार्टी की प्रथा और परंपरा रही है कि जिस राज्य में चुनाव होने वाले हैं, वहां क्या रणनीति होनी चाहिए, क्या मुद्दे होने चाहिए, जनता के समक्ष क्या बातें रखनी चहिए, उन पर विचार विमर्श होता है। ये पहली बार और आखिरी बार नही हो रहा है।’’ इस समिति ने बुधवार को राज्य के कई सांसदों और पूर्व प्रदेश अध्यक्षों से मुलाकात कर उनकी राय ली थी। 

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कांग्रेस की समिति से मुलाकात के बाद सिद्धू ने कहा: सत्य प्रताड़ित हो सकता है, पराजित नहीं

कांग्रेस की पंजाब इकाई में चल रही कलह को खत्म करने के मकसद से गठित पार्टी की तीन सदस्यीय समिति से मुलाकात करने के बाद राज्य के पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि ‘‘सत्य प्रताड़ित हो सकता है, लेकिन पराजित नहीं हो सकता।’’ राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता वाली समिति के समक्ष अपनी बात रखने के बाद सिद्धू ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘आलाकमान के बुलावे पर आया था। उन्होंने पार्टी के बारे में जो पूछा उस बारे में उन्हें सजग कर दिया।’’ उन्होंने इस बात पर जोर दिया, ‘‘मेरा रुख था, है और रहेगा कि पंजाब के लोगों की ताकत जो सरकार के पास जाती है वह लोगों के वापस आनी चाहिए...सत्य प्रताड़ित हो सकता है, लेकिन पराजित नहीं हो सकता।’’ सिद्धू ने कहा, ‘‘पंजाब के हक की आवाज मैंने आलाकमान को बताई। जीतेगा पंजाब, जीतेगी पंजाबियत और जीतेगा हर पंजाबी।’’ 

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