कपिल की नजर में पहले से परिपक्व कप्तान हो गए हैं विराट कोहली

kapil-eyes-are-already-matured-captain-virat-kohli
[email protected] । May 29 2019 2:14PM

इस किताब की खासियत आस्टिन काउटिन्हो के कैरिकेचर्स भी हैं। उन्होंने हर खिलाड़ी के बारे में आलेख के साथ खूबसूरत कैरिकेचर बनाये हैं

नयी दिल्ली। एक ने पहली बार भारत को विश्व विजेता बनाया तो दूसरा करोड़ों देशवासियों की उम्मीदों को साथ लिये भारतीय क्रिकेट का एक और सुनहरा अध्याय लिखने क्रिकेट के मक्का पहुंच गया है। ऐसे में पहले विश्व कप विजेता कप्तान कपिल देव ने मौजूदा कप्तान विराट कोहली को ‘पहले की तुलना में अधिक परिपक्व कप्तान’ बताते हुए कहा है कि टूर्नामेंट में उनकी बल्लेबाजी और कप्तानी अहम होगी। कैरेबियाई तिलिस्म को तोड़कर 1983 में पहली बार छिपे रूस्तम भारत को विश्व कप दिलाने वाले कपिल उस दौर के महानायक हैं जिन्हें देखकर मौजूदा टीम के कई खिलाड़ियों ने क्रिकेट खेलना शुरू किया। इंग्लैंड में बृहस्पतिवार से शुरू हो रहे विश्व कप से पहले आई एक नयी किताब ‘वर्ल्ड कप वारियर्स’ में चार विश्व कप (1979, 1983, 1987 और 1992) खेल चुके कपिल ने विराट की तारीफ करते हुए कहा ,‘‘ इस कठिन अभियान पर भारत की कप्तानी के लिये उससे बेहतर कोई नहीं हो सकता। वह चार साल पहले बहुत जज्बाती था लेकिन अब परिपक्व हो गया है। आप देख सकते हैं कि वह कैसे अपने साथी खिलाड़ियों से मशविरा लेता है, जो परिपक्वता की निशानी है।’’ उन्होंने आगे लिखा ,‘‘ क्रिकेट की उसकी समझ भी बेहतर हुई है और अब वह बहुत बेहतर कप्तान है। विश्व कप में उसकी बल्लेबाजी और कप्तानी अहम होगी। निश्चित तौर पर टीम को भी उसकी अपेक्षाओं पर खरा उतरना होगा और उसके पास शानदार टीम है।

पिछले तीन दशक से क्रिकेट कवर कर रहे अनुभवी खेल पत्रकार विजय लोकपल्ली की लिखी इस किताब में इंग्लैंड में विराट कोहली की कप्तानी में विश्व कप खेलने गए भारत के 15 खिलाड़ियों के बारे में 1983 की विश्व कप विजेता टीम के उनके समकक्ष रहे खिलाड़ी ने अपने विचार व्यक्त किये हैं। मसलन विराट के बारे में कपिल ने, महेंद्र सिंह धोनी के बारे में 1983 विश्व कप विजेता टीम के विकेटकीपर किरण मोरे ने, शिखर धवन के बारे में सलामी बल्लेबाज क्रिस श्रीकांत ने अपनी बात कही है। इनके अलावा 1983 टीम के सदस्यों मदन लाल, संदीप पाटिल, यशपाल शर्मा, कीर्ति आजाद, बलविंदर संधू ने भी ब्लूम्सबरी इंडिया द्वारा प्रकाशित किताब में अपनी राय रखी है। किताब में खिलाड़ियों की निजी जिंदगी, क्रिकेट में शुरूआत, उपलब्धियों, खेलने की शैली का ब्यौरा दिया गया है जो विश्व कप के दौरान टीवी पर नजरें गड़ाये अपने पसंदीदा खिलाड़ियों को खेलते देखने वाले भारतीय क्रिकेटप्रेमियों खासकर युवाओं के लिये काफी उपयोगी साबित होगी। इसकी प्रस्तावना युवराज सिंह ने लिखी है जो 2011 विश्व कप के प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट रहे थे जब भारत ने 28 बरस बाद दूसरी बार क्रिकेट का यह शीर्ष खिताब अपने नाम किया था।

इसे भी पढ़ें: क्या केएल राहुल और धोनी ने सुलझाई मिडिल आर्डर की गुत्थी ?

युवराज ने लिखा, ‘‘जब भारत ने 1983 में लार्ड्स पर पहला विश्व कप जीता था, तब मैं दो बरस का था। बचपन में हमारी बातचीत भारत के विश्व कप विजेता कप्तान और मेरे अपने शहर के कपिल देव के बारे में ही होती थी। मैं भी भारत के लिये खेलकर विश्व कप जीतना चाहता था।’’ उन्होंने आगे लिखा, ‘‘विश्व कप 2007 से जल्दी बाहर होने के बाद हमने 2011 में अपनी धरती पर खिताब जीतने के लिये कड़ी मेहनत की। इस विश्व कप को लेकर काफी हाइप और रोमांच था। हम सभी सचिन तेंदुलकर के लिये जीतना चाहते थे जिनका वह आखिरी विश्व कप था।’’ विश्व कप के दौरान ही युवराज को कैंसर के लक्षण दिखने लगे थे। उन्होंने लिखा, ‘‘मेरे लिये वह काफी कठिन समय था। टूर्नामेंट के दौरान ही मेरी हालत बिगड़ने लगी थी लेकिन हमें जीतना ही था। वानखेड़े स्टेडियम पर आखिरकार हमारा सपना सच हुआ और अब एक बार फिर विराट की कप्तानी में भारत के पास सुनहरा मौका है।’’ इस किताब की खासियत आस्टिन काउटिन्हो के कैरिकेचर्स भी हैं। उन्होंने हर खिलाड़ी के बारे में आलेख के साथ खूबसूरत कैरिकेचर बनाये हैं।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़