ओलंपिक अभियान के दौरान समर्थन की जरूरतः हरदीप सिंह
रियो ओलंपिक की 98 किग्रा ग्रीकोरोमन कुश्ती स्पर्धा के पहले दौर से ही बाहर होने के बाद भारतीय पहलवान हरदीप सिंह ने कहा कि देश को सिर्फ पदक जीतने के बाद ही खिलाड़ी का समर्थन नहीं करना चाहिए।
रियो डि जिनेरियो। रियो ओलंपिक की 98 किग्रा ग्रीकोरोमन कुश्ती स्पर्धा के पहले दौर से ही बाहर होने के बाद भारतीय पहलवान हरदीप सिंह ने कहा कि देश को सिर्फ पदक जीतने के बाद ही खिलाड़ी का समर्थन नहीं करना चाहिए बल्कि उसकी यात्रा के दौरान भी सहयोग करना चाहिए। तुर्की के इलदेम सेंक के खिलाफ 1-2 से शिकस्त के बाद हरदीप ने कहा, ‘‘पदक जीतने के बाद पैसे और पुरस्कार की कोई कमी नहीं होती लेकिन आपकी यात्रा के दौरान भारत में आपको जूझना पड़ता है और बामुश्किल सहयोग मिलता है।’’ भारत ने ओलंपिक में इस बार अपना अब तक का सबसे बड़ा दल भेजा है लेकिन अब खेलों के महाकुंभ के खत्म होने में जब सिर्फ पांच दिन बचे हैं तब भारत को एक भी पदक नहीं मिल पाया है। ओलंपिक की तैयारी में मदद के लिए भारतीय खेल प्राधिकरण की सराहना करते हुए हरदीप ने कहा, ‘‘यह अधिकांश ओलंपिक खिलाड़ियों की कहानी है, इस स्तर तक आने के लिए हमें सचमुच में जूझना पड़ता है।''
फ्रीस्टाइल में 2013 राष्ट्रमंडल चैम्पियनशिप के कांस्य पदक विजेता हरदीप ने भारत में ग्रीको रोमन पहलवानों की स्थिति पर कहा, ‘‘विश्व विद्यालय स्तर पर ग्रीको रोमन नहीं होता इसलिए मैंने फ्रीस्टाइल में प्रतिस्पर्धा पेश की। भारत में काफी लोग इस शैली में हिस्सा नहीं लेते।’’ वर्ष 2009 में ग्रीको रोमन शैली में कुश्ती शुरू करने वाले हरदीप ने कहा, ‘‘कोचिंग में हमें कोई नुकसान नहीं है। एकमात्र प्रतिकूल चीज यह रही कि मैंने देर से शुरूआत की। अगर मैं जल्दी शुरूआत करता तो फायदे की स्थिति में होता। अब वे जल्दी शुरूआत कर रहे हैं इसलिए उनका आधार मजबूत है।’’ हरदीप ने हालांकि उम्मीद नहीं छोड़ी है और चार साल बाद तोक्यो में अगले ओलंपिक में हिस्सा लेने की उम्मीद जताई। हरदीप ने हालांकि कहा कि महिला वर्ग में विनेश फोगाट, बबिता कुमारी और साक्षी मलिक पदक की प्रबल दावेदार हैं।
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