गोपीचंद के आरोपों पर बोले पादुकोण, बेंगलुरू में अभ्यास करने का फैसला साइना का था

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[email protected] । Jan 14 2020 2:44PM

भारत के महान बैडमिंटन खिलाड़ी पुलेला गोपीचंद के आरोप लगाने के बाद प्रकाश पादुकोण ने कहा कि अभ्यास करने का फैसला साइना नेहवाल का अपना था और अकादमी की इसमें कोई भूमिका नहीं रही।हमारे कई खिलाड़ी अपने कैरियर के अलग-अलग चरण पर अकादमी छोड़कर गए हैं। हम कभी उनकी प्रगति में बाधा नहीं बने और यही अकादमी की नीति रहेगी।

नयी दिल्ली। प्रकाश पादुकोण बैडमिंटन अकादमी ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि रियो ओलंपिक से पहले हैदराबाद में गोपीचंद अकादमी छोड़कर बेंगलुरू में विमल कुमार के मार्गदर्शन में अभ्यास करने का फैसला साइना नेहवाल का अपना था और अकादमी की इसमें कोई भूमिका नहीं रही। गोपीचंद ने आगामी किताब ‘ड्रीम्स आफ अ बिलियन : इंडिया एंड द ओलंपिक गेम्स’ के एक अध्याय ‘बिटर राइवलरी’ में लिखा है कि 2014 विश्व चैम्पियनशिप के बाद विमल कुमार के मार्गदर्शन में बेंगलुरू स्थित पादुकोण अकादमी में अभ्यास के साइना के फैसले से वह काफी दुखी हुए। 

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गोपीचंद ने यह भी कहा कि उन्हें बुरा लगा कि पादुकोण, विमल और ओलंपिक गोल्ड क्वेस्ट के अधिकारी वीरेन रासकिन्हा ने साइना को हैदराबाद छोड़ने के लिये प्रोत्साहित किया। पादुकोण अकादमी ने एक बयान में कहा ,‘‘बेंगलुरू में पीपीबीए पर अभ्यास करने के साइना के फैसले में पीपीबीए का कोई हाथ नहीं है।’’ इसने आगे कहा ,‘‘विमल कुमार ने साइना को खराब फार्म से निकलकर दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी बनने में मदद की। इसके अलावा उसने आल इंग्लैंड चैम्पियनशिप और विश्व चैम्पियनशिप में भी रजत पदक जीते।’’

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किताब ने गोपीचंद ने यह भी लिखा है कि उन्हें हैरानी है कि पादुकोण ने कभी उनके बारे में कुछ सकारात्मक नहीं कहा। इस पर पीपीबीए ने लिखा ,‘‘पीपीबीए एक खिलाड़ी और कोच के रूप में भारतीय बैडमिंटन में पुलेला गोपीचंद के योगदान का सम्मान करता है । हमने विश्व स्तर पर उनके खिलाड़ियों की सफलता की सराहना की है और हमेशा उनके साथ अच्छे रिश्ते रहे हैं ।’’ गोपीचंद ने खुद पादुकोण के मार्गदर्शन में अभ्यास किया और 2001 में आल इंग्लैंड जीतने के बाद कोच गांगुली प्रसाद के साथ जुड़े। पादुकोण अकादमी ने कहा ,‘‘पीपीबीए पिछले 25 साल से खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दे रहा है। हमारे कई खिलाड़ी अपने कैरियर के अलग अलग चरण पर अकादमी छोड़कर गए हैं । हम कभी उनकी प्रगति में बाधा नहीं बने और यही अकादमी की नीति रहेगी।’’

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