एंटी वायरस डाला है तो क्या? हैकिंग तब भी संभव है

आज कल अकाउंट हैक होना आम बात सी है, हर जगह बस यही खबर देखने को मिलती रहती है। इसी वजह से ऑनलाइन यूज़र्स बेहद परेशान हैं। वो हर तरीका इस्तेमाल करके अपने कंप्यूटर, लैप्टॉप या मोबाइल में एंटी-वायरस भी डाल रहे हैं ताकि उनका अकाउंट हैक ना हो पाए।

आज कल अकाउंट हैक होना आम बात सी है, हर जगह बस यही खबर देखने को मिलती रहती है। इसी वजह से ऑनलाइन यूज़र्स बेहद परेशान हैं। वो हर तरीका इस्तेमाल करके अपने कंप्यूटर, लैप्टॉप या मोबाइल में एंटी-वायरस भी डाल रहे हैं ताकि उनका अकाउंट हैक ना हो पाए और अकाउंट पूरी तरह से सुरक्षित रहे। अगर अपने कंप्यूटर में आपने एंटी-वायरस डाला हुआ है और आप ऐसे किसी लिंक पर क्लिक भी नहीं करते जो अनसेफ हो तब भी अगर आपका कंप्यूटर हैक हो जाए या फिर आपकी ई-मेल आईडी पासवर्ड, बैंक डीटेल्स किसी को पता चल जाएं, तो आप बिल्कुल भी हैरान ना हों क्योंकि ऐसा संभव है।

ऐसा इसलिए संभव है क्योंकि अगर आप राउटर से कनेक्टेड हैं और सिर्फ आपका कंप्यूटर या डिवाइस ही उस राउटर से कनेक्ट नहीं है बल्कि कई कंप्यूटर या लैपटॉप भी उससे कनेक्ट हैं। और आप उस राउटर से इंटरनेट चला रहे हैं तो आपका सिस्टम हैक हो सकता है क्योंकि आप नहीं तो कोई और गलती से किसी ऐसा विज्ञापन वाले पॉप-अप को क्लिक कर सकता है जिसमें डीएनएस चेंजर होगा और इस तरह आपका अकाउंट या कंप्यूटर हैक हो जाएंगे।

ध्यान रखें कि किसी विज्ञापन वाले पॉप-अप को क्लिक बिल्कुल ना करें क्योंकि ये करने से आप तो हैक होंगे ही और साथ ही राउटर से जुड़े सभी डिवाइस के यूजर्स भी हैक हो जाएंगे। हैकर न्यूज ने कुछ दिन पहले एक रिपोर्ट पब्लिश की थी जिसमें बैनर एडवर्टाइजिंग वाले खतरनाक कोड के बारे में बाताया गया था जो ज्यादातर हाई प्रोफाइल न्यूज वेबसाइट में मिलते हैं। 

एक रिपोर्ट के मुताबिक अटैकर्स इन दिनों ऑनलाइन टार्गेट यूजर्स को डीएनएस चेंजर के जरिए निशाना बना रहे हैं। डीएनएस चेंजर नाम के इस किट को फोटो विज्ञापन में दिए जाने वाले इमेज में हाइड करके लोगों तक पहुंचाया जा रहा है। अगर आपको याद हो तो इसी डीएनएस चेंजर ने 2012 में लाखों कंप्यूटर्स को प्रभावित किया था।

आइये जानते हैं कि डीएनएस चेंजर मैलवेयर आखिर करता क्या है और कैसे हमारा डिवाइस हैक करता है-

हैकर्स जब कभी भी किसी कंप्यूटर को डीएनएस चेंजर मैलवेयर के द्वारा हैक करता है तो डीएनएस चेंजर मैलवेयर से प्रभावित हुए सभी डिवाइसेस के डीएनएस (डोमेन नेम सिस्टम) बदल देता है। जो इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर द्वारा दिए गए डीएनएस से अलग होता है, इसको बदल कर अटैकर्स डिवाइस को अपने कंट्रोल में ला सकते हैं।

इसके बाद प्रभावित कंप्यूटर के यूजर्स किसी वेबसाइट को ओपन करता है तो वो असली वेबसाइट की जगह अटैकर्स के जरिए किसी ऐसी वेबसाइट पर चला जाता है जो इंफेक्टेड होती है। और इतना ही नहीं हैकर्स यहां अपनी मर्जी से कोई भी विज्ञापन आपको दिखा सकते हैं। 

एक बार इस प्रभावित विज्ञापन को आपने क्लिक कर दिया तो आपके साथ-साथ आपका राउटर भी प्रभावित हो जाता है और मैलवेयर अपने आप को अटैकर द्वारा कंट्रोल किए जाने वाले डीएनएस सर्वर में बदल लेता है। और इसके ज़रिए दूसरे डिवाइस पर भी हैकर्स अपना कब्जा कर सकते हैं। 

रिसर्चर्स ने कुछ ऐसे राउटर्स की लिस्ट जारी की है जो कमजोर हैं और इस तरह के डीएनएस चेंजर मैलवेयर से पीड़ित भी हैं। लेकिन अभी ये साफ नहीं हो पाया है कि कितने लोग और कितने डिवाइस इससे प्रभावित हैं। लेकिन सेक्योरिटी फर्म्स का कहना है कि काफी पहले इस मैलवेयर ने एक दिन में 1 मिलियन कंप्यूटर्स को अपनी चपेट में लिया था, जिससे काफी यूज़र्स को नुकसान भी हुआ था। 

अगर इस तरह के मैलवेयर अटैक से आप बचना चाहते हैं तो अपने घर, ऑफिस या फिर जहां भी इंटरनेट इस्तेमाल करते हैं, तो राउटर का फर्मवेयर यानी सॉफ्टवेयर समय-समय पर अपडेट करते रहें। इसी अपडेट के जरिए कंपनी सिक्योरिटी पैच देती है जो आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

शैव्या शुक्ला

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