Madhya Pradesh Tourism: इतिहास, विरासत और हथकरघे की नगरी है चंदेरी

चंदेरी का इतिहास लगभग 11वीं शताब्दी से जुड़ा हुआ है। यह नगर विभिन्न राजवंशों— जैसे प्रतिहार, गुर्जर, सुल्तान, मुग़ल, बुंदेला और मराठा — के अधीन रहा है। यहां की वास्तुकला में हिन्दू, इस्लामी और जैन प्रभावों का सुंदर समन्वय देखने को मिलता है।
मध्य प्रदेश की मालवा और बुंदेलखंड की सीमाओं पर बसा चंदेरी (Chanderi) एक ऐतिहासिक नगर है जो अपने भव्य किलों, प्राचीन स्मारकों, जैन मंदिरों और विश्वप्रसिद्ध चंदेरी साड़ियों के लिए प्रसिद्ध है। यह नगर न केवल इतिहास प्रेमियों, बल्कि कला, संस्कृति और पारंपरिक वस्त्रों के शौकीनों के लिए भी एक आकर्षक पर्यटन स्थल है।
चंदेरी का ऐतिहासिक महत्व
चंदेरी का इतिहास लगभग 11वीं शताब्दी से जुड़ा हुआ है। यह नगर विभिन्न राजवंशों— जैसे प्रतिहार, गुर्जर, सुल्तान, मुग़ल, बुंदेला और मराठा — के अधीन रहा है। यहां की वास्तुकला में हिन्दू, इस्लामी और जैन प्रभावों का सुंदर समन्वय देखने को मिलता है।
पारंपरिक व्यापार मार्गों पर स्थित होने के कारण यह नगर व्यापार, विशेष रूप से वस्त्र उद्योग, का एक बड़ा केंद्र रहा है।
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प्रमुख दर्शनीय स्थल
1. चंदेरी किला
बंदरगढ़ पहाड़ी पर स्थित यह भव्य किला 13वीं शताब्दी में बना था और चंदेरी के इतिहास की रक्षा करता प्रतीत होता है। यहां से पूरे शहर का मनोरम दृश्य देखा जा सकता है। किले में कौशक महल नामक भव्य महल भी है, जिसे मुगल सम्राट जहांगीर के समय में बनवाया गया था।
2. जौरी की मस्जिद और बड़ी मस्जिद
चंदेरी की मस्जिदें अपनी मुगलकालीन वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध हैं। इनका निर्माण 15वीं शताब्दी में किया गया था और ये आज भी अपनी भव्यता और शांति के लिए जानी जाती हैं।
3. कटी घोड़ी
यह दो स्तंभों पर खड़ी एक अनूठी संरचना है, जो देखने में एक घोड़े के कटे हिस्से जैसी प्रतीत होती है। यह चंदेरी की पहचान बन चुकी है।
4. जैन मंदिर और नालगिरी पर्वत
यहां प्राचीन जैन मंदिरों की श्रृंखला है और नालगिरी पर्वत पर स्थित विशाल जैन तीर्थ क्षेत्र एक आध्यात्मिक केंद्र है, जहां भगवान आदिनाथ की विशाल प्रतिमा स्थापित है।
चंदेरी की साड़ियाँ
चंदेरी की पहचान सबसे अधिक उसकी चंदेरी साड़ियों से है। ये साड़ियाँ अपनी हल्के वजन, चमकदार कपड़े और पारंपरिक बूटियों के लिए प्रसिद्ध हैं। रेशम और सूती धागों से बनी ये साड़ियाँ भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में लोकप्रिय हैं। चंदेरी शहर के विभिन्न बुनकर मोहल्लों में आज भी पारंपरिक हथकरघा तकनीक से इन साड़ियों का निर्माण होता है।
कैसे पहुँचे?
निकटतम रेलवे स्टेशन: ललितपुर (36 किमी) और अशोकनगर (38 किमी)
निकटतम हवाई अड्डा: ग्वालियर (200 किमी) और भोपाल (215 किमी)
सड़क मार्ग: चंदेरी झांसी, ललितपुर, शिवपुरी और सागर जैसे शहरों से सड़क द्वारा अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
ठहरने की व्यवस्था
चंदेरी में अब पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई होटल और गेस्ट हाउस उपलब्ध हैं। मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा संचालित होटल भी हैं जो आरामदायक और सुविधाजनक ठहराव प्रदान करते हैं।
यात्रा का सर्वोत्तम समय
चंदेरी घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच होता है। सर्दियों में मौसम सुहावना रहता है और विरासत स्थलों की यात्रा अधिक सुखद होती है।
चंदेरी एक ऐसा नगर है जहां इतिहास की गलियों में कदम रखते ही समय ठहर जाता है। किले, महल, मस्जिदें, जैन मंदिर और हथकरघे की कला— यह सब मिलकर चंदेरी को एक अनूठा पर्यटन स्थल बनाते हैं। यदि आप भारतीय संस्कृति, शिल्प और इतिहास से रूबरू होना चाहते हैं, तो चंदेरी की यात्रा अवश्य करें।
-प्रीटी
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