कोणार्क सूर्य मंदिर के शिखर पर लगे पत्थर के बारे में जो बताया जाता है वह कितना सच है

Konark Sun Temple
प्रीटी । Jan 4 2022 5:17PM

कई कथाओं में इस प्रकार का उल्लेख मिलता है कि कोणार्क सूर्य मंदिर के शिखर पर एक चुम्बकीय पत्थर लगा है जिसके प्रभाव से, कोणार्क के समुद्र से गुजरने वाले सागरपोत इस ओर खिंचे चले आते हैं, जिससे उन्हें भारी क्षति हो जाती है।

ओडिशा के कोणार्क शहर में प्रतिष्ठित सूर्य मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहरों में शामिल हैं। वैसे तो इस मंदिर का निर्माण हजारों वर्षों पूर्व हुआ माना जाता है लेकिन कई इतिहासकार मानते हैं कोणार्क सूर्य मंदिर का निर्माण 1253 से 1260 ई. के बीच हुआ था। भारत के सुप्रसिद्ध मंदिरों में शुमार कोणार्क सूर्य मंदिर में सूर्य देव को रथ के रूप में विराजमान किया गया है तथा पत्थरों को उत्कृष्ट नक्काशी के साथ उकेरा गया है। स्थानीय लोग यहां सूर्य-भगवान को बिरंचि-नारायण भी कहते थे।

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कोणार्क सूर्य मंदिर की खासियत

केसरी वंश के राजा द्वारा निर्मित इस मंदिर की शिल्पकला दर्शनीय है। मंदिर का निर्माण सूर्य के काल्पनिक रथ का रूप देकर किया गया है। सूर्य मंदिर चौकोर परकोटे से घिरा है। इसके तीन तरफ ऊंचे−ऊंचे प्रवेशद्वार हैं। पूरब दिशा में मुख्य द्वार है जिसके सामने समुद्र से सूर्य उदय होता दिखाई पड़ता है। इसमें सूर्य भगवान को अपने विशाल चौबीस पहियों तथा सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर दिनभर की यात्रा के लिए निकलते हुए दिखाया गया है। रथ के सात घोड़ों को सूर्य के प्रकाश के सात रंगों तथा चौबीस पहियों की परिक्रमा के प्रतीक रूप में दिखाया गया है। कोणार्क सूर्य मंदिर ओडिशा के स्वर्णकाल तथा कलिंग शैली की शिल्पकला का प्रतीक है। इस मंदिर की दीवारों पर पत्थर की नक्काशी की हुई अनेक आकर्षक प्रतिमाएं हैं। सूर्य भगवान के रथ की अलंकृत नक्काशी वाला यह बेजोड़ मंदिर भव्यता में अद्भुत है।

कोणार्क मंदिर से जुड़ी अजब कथा

कई कथाओं में इस प्रकार का उल्लेख मिलता है कि कोणार्क सूर्य मंदिर के शिखर पर एक चुम्बकीय पत्थर लगा है जिसके प्रभाव से, कोणार्क के समुद्र से गुजरने वाले सागरपोत इस ओर खिंचे चले आते हैं, जिससे उन्हें भारी क्षति हो जाती है। एक अन्य कथा में उल्लेख मिलता है कि शिखर पर लगे इस पत्थर के कारण पोतों के चुम्बकीय दिशा निरूपण यंत्र सही दिशा नहीं बता पाते थे इसलिए कुछ आक्रांता इस पत्थर को निकाल कर ले गये जिससे मंदिर को नुकसान हुआ था। हालांकि यह सब कही-सुनी बातें हैं इसका कोई ऐतिहासिक साक्ष्य उपलब्ध नहीं है।

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कोणार्क मंदिर देखने कैसे आएं

यदि आप भी कोणार्क सूर्य मंदिर आना चाहते हैं तो भुवनेश्वर और पुरी से यहां आसानी से आ सकते हैं। ओडिशा पर्यटन विकास निगम की ओर से यहां भ्रमण की भी व्यवस्था कराई जाती है। वैसे कोणार्क में रहने की भी पर्याप्त व्यवस्था है। पर्यटक चाहें तो भुवनेश्वर से यहां आकर भ्रमण कर के उसी दिन वापस लौट सकते हैं। कोणार्क में रहने के लिए पर्यटन विभाग के लाज, टूरिस्ट बंगला और निरीक्षण भवन भी हैं।

कोणार्क का समुद्र तट भी अवश्य देखें

कोणार्क का समुद्र तट विश्व के सुंदरतम तटों में से एक माना गया है। यहां समुद्र के रेतीले गुट का आनंद उठाया जा सकता है। समुद्र की खूबसूरती निहारते हुए उठती−गिरती लहरों को देखना मंत्रमुग्ध कर देता है। यह एक सुंदर पिकनिक स्थल भी है। समुद्र तट सूर्य मंदिर से तीन किलोमीटर दूर है। इसके अलावा कोणार्क की दुर्लभ कलाकृतियों का संग्रह देखने के लिए मंदिर के पास ही स्थित संग्रहालय भी जा सकते हैं।

-प्रीटी

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