प्रकृति का अद्भुत सौंदर्य समेटे है मुक्तेश्वर, खिंचे चले आते हैं पर्यटक

Mukteshwar is a hilly region encompassed by coniferous forests and fruit orchard
प्रीटी । Apr 20 2018 4:52PM

प्रकृति का अद्भुत सौंदर्य समेटे मुक्तेश्वर पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। चौली की जाली से प्राकृतिक नजारे को देखा जा सकता है। यहां से गिद्ध और अन्य पक्षियों की उड़ान और शिकार करते भी देख सकते हैं।

उत्तराखंड के नैनीताल जिले में है बेहतरीन पर्यटक स्थल मुक्तेश्वर। नैनीताल से 51 किलोमीटर दूर यह जगह कुंमाऊं हिल पर लगभग 7500 फीट ऊंचाई पर है। मुक्तेश्वर का नाम यहां 350 साल पुराने शिव मंदिर 'मुक्तेश्वर धाम' के नाम पर पड़ा। यह मंदिर इस शहर के सबसे ऊंचे स्थान पर है। मंदिर वेटेरिनरी इंस्टीट्यूट के पास है। यहां रॉक क्लाइबिंग व रैपलिंग की भी सुविधा है, जहां से घाटी का बेहतरीन नजारा दिखाई देता है। मुक्तेश्वर संतों का आवास स्थल रहा है। श्री मुक्तेश्वर महाराज जिनका निवास स्थल मंदिर के पास ही था, वहां आज इनकी समाधि है। पूरा मंदिर एक तपोवन की तरह है और यह ध्यान के लिए बेहतरीन जगह है।

प्रकृति का अद्भुत सौंदर्य समेटे मुक्तेश्वर पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। चौली की जाली से प्राकृतिक नजारे को देखा जा सकता है। यहां से गिद्ध और अन्य पक्षियों की उड़ान और शिकार करते भी देख सकते हैं। देवदार के जंगल, बर्फ की चोटियां और वन्य प्राणियों जैसे बाघ और भालू अनायास दिखाई दे जाते हैं। ये यहां के आकर्षण हैं। मुक्तेश्वर की असली खूबसूरती वहां की प्रकृति में तो है ही, देवदार के जंगलों में बहती हवाओं की आवाज रोमांच पैदा करती है। चिड़ियों की चहचहाहट मन को निर्मल करती है और पर्यटक ध्यानमग्न होकर शांति की तलाश करते हैं।

मुक्तेश्वर प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। खासकर हिमालय का खूबसूरत विहंगम दृश्य। यहां भारत की दूसरी सबसे ऊंची चोटी नंदा देवी है। पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण मुक्तेश्वर खेती के लिए बेहतर माना जाता है। आलू की खेती के साथ-साथ यहां के हिलसाइड में आर्किड की भी खेती की जाती है। लेखक जिम कार्बेट ने अपनी किताब 'मैन-इटर्रस आफ कुंमाऊं' के यहां के जंगलों के फायदे और रोमांच के बारे में जिक्र किया है। मुक्तेश्वर में इंडियन वेटेनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट भी देख सकते हैं।

यहां का मौसम उत्तरी भारत के इलाकों जैसा ही है। यहां गर्मियां थोड़ी कम पड़ती हैं। यहां गर्मियों में भी हल्की बारिश का मजा लिया जा सकता है। मानसून में यहां ठंडक रहती है। सर्दियों में मुक्तेश्वर बर्फ की तरह जमा देने वाली ठंड की चपेट में होता है।

ग्यारह मार्च 2010 में यहां लोकल कम्युनिटी रेडियो 'कुंमाऊं वाणी' की शुरूआत की गई। यह रेडियो वहां के निवासियों को पर्यावरण, खेती, संस्कृति, मौसम और शिक्षा के बारे में वहीं की भाषा में प्रोग्राम पेश करता है। दस किलोमीटर के दायरे तक इस रेडियो का प्रसारण सुना जा सकता है। यहां पर टेरी ने 'रिन्यूअवल पार्क' बनाया है जहां सौर ऊर्जा उत्पादन किया जाता है।

मुक्तेश्वर जाने के लिए नजदीकी हवाई अड्डा पंतनगर और काठगोदाम रेलवे स्टेशन हैं। भीमताल और नैनीताल से बस या टैक्सी से भी यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।

प्रीटी

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़