हजारों मंदिरों का शहर भी कहा जाता है कांचीपुरम को

ईशा । Aug 24 2016 1:01PM

कांचीपुरम के हरेक इलाके में एक मंदिर है। यहां के मंदिर देखने में एक जैसे जरूर लगते हैं पर हर मंदिर अपने आप में एक रहस्य समेटे है। हर मंदिर के साथ एक कथा भी जुड़ी है।

चेन्नई से लगभग 70 किलोमीटर दूर भारत के पवित्र सात शहरों में एक है कांचीपुरम। यह उत्तरी तमिलनाडु में है। इसे हजारों मंदिरों का शहर भी कहा जाता है। इस शहर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां भगवान शिव और भगवान विष्णु दोनों की पूजा होती है। यहां के लोग दोनों में समान श्रद्धा रखते हैं और उनकी पूजा करते हैं। वेगवती नदी के किनारे बसे इस शहर में एक-एक मंदिर की कारीगरी और नक्काशी देखने लायक है।

कांचीपुरम के हरेक इलाके में एक मंदिर है। यहां के मंदिर देखने में एक जैसे जरूर लगते हैं पर हर मंदिर अपने आप में एक रहस्य समेटे है। हर मंदिर के साथ एक कथा भी जुड़ी है। कांचीपुरम अपने खास 'कांचीवरम' सिल्क साड़ी के लिए भी पूरी दुनिया में मशहूर है। यह शहर कभी पल्लवों की राजधानी हुआ करती था। लगभग आठवीं शताब्दी में पल्लवों ने यहां कई मंदिरों का निर्माण करवाया था। उन्होंने रेशम की बुनाई और भरतनाट्यम नृत्य को भी बढ़ावा दिया। देवदासियां मंदिर के प्रांगण में नृत्य करती थीं। यह नृत्य भगवान को समर्पित होता था। पल्लवों के बाद कांची कई राजाओं की राजधानी बनी। चोल, चालुक्य, विजयनगर, मुसलिम और ब्रिटिश शासकों ने बारी-बारी से यहां शासन किया। हर शासक से संबंधित कोई न कोई कलात्मक चीज यहां देखने को मिल जाएगी। एक किवंदती के अनुसार लगभग छठी शताब्दी में शंकराचार्य पूरे भारत में हिंदू धर्म के प्रचार के दौरान कांची भी आए थे।

कांचीपुरम के मुख्य आकर्षण हैं यहां के बेहतरीन मंदिर। पहले यहां हजारों मंदिर हुआ करते थे। वहीं आज सिर्फ 124 मंदिर ही शेष बचे हैं। उनमें से मुख्य मंदिर हैं- कामाक्षी अम्मा मंदिर, वरदराज मंदिर, कैलाशनाथ मंदिर, एकमबारेश्वर मंदिर, पेरूमल मंदिर। ये मंदिर अपनी बेहतरीन शिल्पकला और बनावट के लिए पूरी दुनिया में मशहूर हैं।

कांची का कामाक्षी मंदिर देखने देश-विदेश से पर्यटक आते हैं। इस मंदिर की खास बात यह है कि यह पूरी दुनिया के तीन सबसे खास पवित्र स्थलों में शामिल है, जहां शक्ति की पूजा की जाती है। मदुरै और वाराणसी ऐसे ही दो पवित्र स्थल हैं। इस मंदिर का निर्माण पल्लव राजाओं ने करवाया था। फरवरी-मार्च में मंदिर स्थित मां पार्वती के रूप में देवी कामाक्षी पूरे नगर की यात्रा पर निकलती हैं। इसे यहां वार्षिक महोत्सव भी कहा जाता है।

यहां का कैलाशनाथ मंदिर कांची के सबसे प्राचीन और बेहतरीन मंदिरों में से एक है। भगवान शिव का समर्पित इस मंदिर में पल्लवों की बेहतरीन कारीगरी देखने को मिलती है। इस मंदिर में प्रतिदिन प्रवेश की सुविधा नहीं है सिर्फ शिवरात्रि के दौरान यहां भक्तों की भीड़ देखी जा सकती है।

कांचीपुरम का सबसे विशाल मंदिर है एकबारेश्वर मंदिर। यह पूरी तरह भगवान शिव को समर्पित है। 12 हेक्टेयर में फैला यह मंदिर भारत का सबसे पुराना मंदिर है। इस मंदिर का प्रवेश द्वार लगभग 188 फीट ऊंचा है। यह मंदिर लगभग दस मंजिला है।

इसके अलावा आप यहां 16वीं शताब्दी में बना वेल्लोर किला देख सकते हैं। यह किला सैन्य कला का उदाहरण है। यह कई आक्रमणों का गवाह भी है। इस किले में छोटा सा संग्रहालय भी है, जहां ऐतिहासिक चीजें देखी जा सकती हैं। वेदाथंगल और किरीकिरी बर्ड सेंक्च्युरी देश के श्रेष्ठ पक्षी अभयारण्यों में से हैं। यहां पक्षियों की 115 प्रजातियां देखी जा सकती हैं।

कांचीपुरम को त्योहारों का शहर भी कहा जाता है। यहां के त्योहार देखने देख विदेश से पर्यटक आते हैं। पूरे साल यहां कोई न कोई त्योहार चलता रहता है। वरदराज मंदिर का ब्रह्मोत्सव त्योहार यहां का मुख्य त्योहार माना जाता है, जिसे मई में मनाया जाता है। इसके अलावा गरूड़ सेवई, फ्लोट फेस्टिवल और सबसे मुख्य कामाक्षी उत्सव है।

कांचीपुरम पूरे साल में कभी भी जा सकते हैं। मगर सबसे बेहतर समय है अक्टूबर से मार्च तक। कांचीपुरम का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा चेन्नई में है। यह शहर रेल और सड़क मार्ग से भी जुड़ा है।

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