घर से दूर हैं तो इसे तरह मनाएँ छठ पूजा, नहाय-खाय से लेकर षष्ठी तक करें ये काम

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छठ पूजा में सूर्य की आराधना का बड़ा महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार छठी माता को सूर्य देवता की बहन माना जाता हैं। छठ पूजा की शुरुआत नहाय खाय से होती है और इसके अगले दिन खरना होता है। तीसरे दिन स्नान कर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और प्रसाद तैयार किया जाता है।

दीपावली के छह दिन बाद कार्तिक महीने की षष्ठी तिथि को छठ महापर्व मनाया जाता है। इस बार छठ पूजा 08 नवंबर 2021 (सोमवार) को है। छठ पूजा की शुरुआत कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से होती है और कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मुख्य पूजा के बाद सप्तमी की सुबह सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का समापन होता है। छठ व्रत में पूरे 36 घंटे तक बिना कुछ खाए-पिए रहना होता है। चार दिन तक चलने वाला यह महापर्व बिहार के अलावा झारखण्ड और पूर्वी उत्तर भारत में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। छठ पूजा में सूर्य की आराधना का बड़ा महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार छठी माता को सूर्य देवता की बहन माना जाता हैं। छठ पूजा की शुरुआत नहाय खाय से होती है और इसके अगले दिन खरना होता है। तीसरे दिन स्नान कर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और प्रसाद तैयार किया जाता है। छठ के आखिरी दिन उगते हुए सूर्य की आराधना की जाती है। अगर आप छठ के मौके पर घर से दूर हैं तो आज के इस लेख में हम आपको बताएंगे कि आप छठ पर्व पर क्या-क्या करें - 

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छठ पूजा में किस दिन क्या होता है -

नहाय-खाय

छठ पूजा की शुरुआत चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय से हो जाती है। इस बार नहाय खाय 08 नवंबर (सोमवार) को है। इस दिन घर की साफ-सफाई करें और नहाकर नए कपड़े पहनें। इस दिन लौकी की सब्जी और चावल बनाकर खाया जाता है। व्रत से पूर्व नहाने के बाद सात्विक भोजन ग्रहण करने को ही नहाय-खाय कहा जाता है। 


खरना 

इसके बाद पंचमी तिथि (09 नवंबर 2021, मंगलवार) को खरना होता है। इस दिन लोग छठ मैया का व्रत रखते हैं और सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही पारण करते हैं। इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को दिन में व्रत करके शाम को सात्विक आहार जैसे गुड़ की खीर और रोटी ग्रहण करना होता है। इस दिन मिट्टी के चूल्हे पर प्रसाद बनाने की परंपरा है। यदि संभव हो तो घर पर मिट्टी का चूल्हा बनाकर इस पर प्रसाद बनाएं।

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षष्ठी 

खरना के अगले दिन षष्ठी (10 नवंबर 2021, बुधवार) को निर्जला व्रत रखा जाता है। यह व्रत खरना के दिन शाम से शुरू होता है। छठ यानी षष्ठी तिथि के दिन शाम को डूबते सूर्य को अर्घ दिया जाता है। इस दिन छठ पर्व का प्रसाद बनाया जाता है। व्रत रखने वाली महिलाएं सूर्य को अर्घ्य देने और पूजा के लिए तालाब, नदी या घाट पर जाती हैं। अगर आप घाट पर नहीं जा सकती हैं तो छत पर ही टब या परात में पानी भरकर उसमें खड़ी होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य दे सकती हैं। व्रती मन्नत पूरी होने पर छठी मैया को छठ घाट पर कोसी भरते हैं। इसके लिए गन्ने, दीये और मिट्टी के बने कोसी का इस्तेमाल होता है। इसके बाद सप्तमी को उगते हुए सूर्य को अर्घ दिया जाता है। पूजा के बाद प्रसाद बाँट कर करीब 36 घंटे चलने वाला निर्जला व्रत समाप्त होता है।

- प्रिया मिश्रा 

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